झारखण्ड : CM सोरेन के वैसे काम जो 2024 में विपक्ष को कर देगा फीका

झारखण्ड : शपथ तो हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड के 11वें मुख्यमंत्री रूप में ली, लेकिन उनके नेतृत्व में 22 वर्षों में पहली बार झारखण्ड हित में हो रहे हैं कई सराहनीय व ठोस काम.

रांची :  झारखण्ड की झामुमो-कांग्रेस-राजद की महागठबंधन सरकार में हेमन्त सोरेन अब तक 11वें सीएम के रूप में सफलतापूर्वक चौथे वर्ष में हैं. सीएम के कार्यकाल में ही 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में हर स्तर पर विफल विपक्ष आगामी चुनावों में हेमन्त सरकार को कई मुद्दों के आसरे घेरने की कोशिश करेगी. लेकिन अभी से ही प्रतीत हो रहा है कि सीएम सोरेन के कामों के सामने उसके सारे दलील फीके पड़ेंगे व बेअसर साबित होंगे. 

झारखण्ड : CM सोरेन के वैसे काम जो 2024 में विपक्ष को कर देगा फीका

हेमन्त सोरेन ने बतौर कुशल मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीन साल (2020, 2021, 2022) में कई ऐसे असंभव कामों को पूरा कर दिखाया जिसकी आस झारखंडी जनता ने लगभग छोड़ दी थी. ऐसे कामों में नक्सल प्रभावित इलाकों में रात गुजराना, राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना, राजधानी की परिवहन व्यवस्था को दुरस्त करना, आदिवासी-मूलवासी को उनकी पहचान दिलाना, कर्मचारियों की समस्या को सुलझाने जैसे कार्य प्रमुखता से शामिल हैं. 

नक्सलग्रस्त लातेहार में रात गुजर कर विकास का संदेश देने वाले पहले सीएम

सीएम हेमन्त सोरेन ने 14 फरवरी 2023 को नक्सल प्रभावित लातेहार के जिला मुख्यालय में रात बितायी. राज्य गठन के बाद नक्सलग्रस्त इस जिले में रात बिताने वाले वे पहले सीएम हैं. इस दौरान उन्होंने न केवल जन समस्या सुनी बल्कि जिला घुमकर स्थिति का जायजा भी लिए. जिले में रात बिताकर यह संदेश भी दिया कि वह जमीन से जुड़े सीएम हैं. और उनकी सरकार में नक्सल तो समाप्त होगा ही, साथ ही अति पिछड़े इलाकों का विकास भी होगा. 

सीएम के कुशल नेतृत्व व दृढ़निश्चय संकल्प से बूढ़ा पहाड़  हुआ नक्सलमुक्त

हेमन्त सोरेन झारखण्ड के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिनके कुशल नेतृत्व व दृढसंकल्प से बूढ़ा पहाड़  नक्सल मुक्त हुआ. छत्तीसगढ़ और गढ़वा जिले की सीमा से सटा बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र पिछले तीन दशक तक नक्सलियों का गढ़ रहा था. नक्सल मुक्त कराने के साथ हेमन्त सोरेन बूढ़ा पहाड़ भी गए, जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अब अपना कैंप बना लिया था. पहली बार यहां के दबे-कुचले लोगों तक मुख्यमंत्री के प्रयासों से सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचा. 

सरकारी स्कूलों में सीबीएसई की तर्ज पर शिक्षा पहुंचाने वाले पहले सीएम 

ज्ञात हो देश भर की तुलना में राज्य की शिक्षा व्यवस्था काफी लचर रही है. पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने स्कूलों को बंद कर इसके सबूत भी दिए. लेकिन सीएम के शासन में राज्य की शिक्षा व्यवस्था ने यू टर्न लिया हैं. जिलों में 80 मॉडल स्कूलों बनाए गए हैं. यहां की पढ़ाई सीबीएसई की तर्ज पर व अंग्रेजी के माध्यम से होगी. 

अगले शैक्षणिक सत्र (अप्रैल 2023) से इन स्कूलों में पढ़ाई शुरू होगी. यह मॉडल स्कूल महंगे प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देंगे. मॉडल स्कूलों में कम्प्यूटर, लैब, लाइब्रेरी सहित हर प्रकार के आधुनिक सुविधाएं मौजूद होंगी. ट्रेंड शिक्षक यहां के बच्चों को सीबीएसई की तर्ज पर शिक्षा देंगे. जिला के बाद प्रखंड फिर पंचायत स्तर पर मॉडल स्कूलों खोले जाएगी. 

सीएम सोरेन ने राजधानीवासियों को बेहतर परिवहन व्यवस्था दिया 

राज्य की राजधानी किसी भी राज्य की हृदयस्थली होती है. इसलिए यहां की परिवहन व्यवस्था को दुरस्त रखना जरूरी होता है. देश-विदेश के डेलीगेटों के लिए यह उस राज्य की तस्वीर होती है. सीएम सोरेन ने इस दिशा में भी काफी बेहतर काम किये हैं. जबकि पूर्व की सरकार द्वारा वोट की राजनीति के अक्स में परिवहन व्यवस्था को बिगड़ा गया था. 

लेकिन, वर्तमान हेमन्त सरकार में कांटाटोली प्लाईओवर और सीरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर का काम का निर्माण काम जोरों पर है. जिस तेजी व गंभीरतापूर्वक इसका निर्माण कार्य चल रहा है, प्रतीत होता है कि 2024 तक राजधानीवासियों को 22 सालों में पहली बार बेहतर व भीड़रहित  परिवहन व्यवस्था की सौगात मिल सकेगी.  

सीएम हेमन्त सोरेन ने आदिवासी-मूलवासी को उनका पहचान दिलाया

हेमन्त सोरेन ऐसे पहले सीएम हैं, जिन्होंने झारखण्ड के आदिवासी-मूलवासी को 20 वर्षों में ठोस पहचान दिया है. जहाँ एक तरफ राज्यवासियों को 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक के रूप में दिया, तो वहीं अपनी पहचान की आस खो चुके आदिवासी समुदाय को विधानसभा से पारित करा केंद्र को भेज सरना धर्म कोड प्रस्ताव दिया है. निश्चित तौर पर यह समुदाय जल्द अपना अधिकार प्राप्त करेंगे.

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