झारखण्ड : इडी को बतौर सीएम एवं नागरिक हेमन्त सोरेन के सवालों का मान रखते हुए कोर्ट में ही गलत साबित करना चाहिए. इससे जनता का विश्वास भी इडी के प्रति मजबूत होगा.
रांची : विभिन्न सोशल मीडिया की खबरों के अनुसार, राजनितिक गलियारों के सूत्रों एवं चर्चाओं से मिली जानकारी के अनुसार झारखण्ड वासियों के मस्तिस्क में एक दृष्टिकोण ने घर कर लिया है कि सीएम हेमन्त सोरेन के मामले में इडी कार्रवाही केंद्र प्रायोजित है. और इडी पांचवी बार सीएम हेमन्त को समन भेजने की तैयारी में है. साथ ही इडी के तमाम समन के सभी टाइम फ्रेम को देखने से प्रतीत होता है कि इडी के द्वारा समन भेजने पहले केन्द्रीय आदेश का इन्तजार किया जाता है.
ज्ञात हो झारखण्ड में जब भी इडी कार्रवाही जोरों पर होती है तो सीएम हेमन्त सोरेन जनहित मामलों के मद्देनजर और मजबूती से निखर कर सामने आते हैं. ज्ञात हो, इस बार भी राज्य में हेमन्त सरकार के द्वारा पेशा क़ानून को जनहित में परिभाषित कर लिया गया. जिसके अक्स में पूर्व की सरकार में ग्रामसभा के कतरे गए अधिकार को नए रूप में वापस किया गया है. उन्हें मामलों में दंड देने का अधिकार दिया गया है और पहली बार ग्रामसभा में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है.
इडी समन को राजनीतिक प्रतिशोध का एक सुनियोजित प्रयास – हेमन्त सोरेन
ज्ञात हो, झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा ईडी समन को राजनीतिक प्रतिशोध का एक सुनियोजित प्रयास बताते हुए निराधार करार दिया है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि ईडी ने उन्हें बिना ठोस सबूत के समन भेजा है. और परिवार को बदनाम करने का प्रयास बताया है. इसलिए उनके द्वारा ईडी समन को कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है. मसलन, तमाम परिस्थितियों के अक्स में इडी को भी चाहिए कि वह कोर्ट के समक्ष ही सीएम हेमन्त सोरेन के दलीलों को गलत साबित करे.
लेकिन, इडी के द्वारा बार-बार बतौर सीएम हेमन्त सोरेन को एक के बाद एक कर पांचवीं समन भेजा जाना, प्रतिष्ठा के अक्स में उसके जिद्द को दर्शा सकता है. और तमाम प्रक्रिया का सीधा राजनीतिक फायदा झारखण्ड बीजेपी के नेताओं के द्वारा उठाये जाने का सच सामने आया है. ऐसे में जब एक सीएम ने कोर्ट की राह पकड़ी है तो इडी को बतौर सीएम एवं नागरिक हेमन्त सोरेन के सवालों का मान रखते हुए कोर्ट में ही अपने आरोपों को सच साबित करना चाहिए. इससे जनता का विश्वास भी इडी के प्रति फिर से मजबूत होगा.