शिक्षा के क्षेत्र में झारखण्ड ने मारी लंबी छलांग, SC-ST-OBC, अल्पसंख्यक सहित सामान्य जाति को मिलेगा, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ 

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय स्कॉलरशिप स्कीम, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, सामान्य वर्ग के बच्चों को साइकिल योजना, पारा शिक्षकों के लंबे समय के संघर्ष को मिला विराम और अल्पसंख्यक वर्ग की छात्रवृत्ति भी प्रमुख पहलों में शामिल.

रांची : वर्ष 2021 का आधा से अधिक समय पूरी तरह से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में रहा. इस दौरान राज्य में विकास के काम काफी प्रभावित हुए. लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने किसी क्षेत्र को प्राथमिकता से अछूता नहीं रखा, जिसमे शिक्षा प्रमुखता से शामिल रहा. मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में वह सभी काम हुए, जो वर्षों से लंबित थे. पहली बार झारखंड के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए सरकारी स्कॉलरशिप पर विदेश जाने का मौका मिला. इसके अलावा सीएम सोरेन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने ऐसे कई अहम फैसले लिये, जो पिछले कई वर्षों से लंबित थे. 

उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजने वाली पहली बार बनी हेमंत सरकार

शिक्षा के क्षेत्र में हेमंत सरकार द्वारा सबसे लंबी छलांग जनजातीय बच्चों के उच्च शिक्षा को लेकर लगाया गया. पहली बार झारखंड के जनजातीय बच्चों को सरकारी स्कॉलरशिप पर विदेश भेजकर उच्च शिक्षा लेने का मौका दिया गया. योजना का नाम रखा गया, मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय स्कॉलरशिप स्कीम. स्कीम की सफलता देख मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि भविष्य में सरकार अनुसूचित जनजाति के साथ अन्य वर्गों के सरकारी स्कॉलरशिप पर उच्च शिक्षा के योजना पर काम कर रही है. 

शिक्षा के लिए हेमन्त सरकार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना से ऋण सुविधा को बनाएगी आसान, सभी वर्ग के बच्चों को साइकिल योजना का मिलेगा लाभ

राज्य के बच्चे शिक्षा से वंचित न हो, इसके लिए पहली बार राज्य सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लाने की पहल की. मुख्यमंत्री ने स्वंय सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर इसकी घोषणा की. इस योजना से बच्चों को शिक्षा के लिए कम ब्याज दर पर ऋण लेने में सुविधा मिल पाएगी. इसी तरह साइकिल योजना का लाभ जो पहले आठवीं और नौवीं क्लास के एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को मिल पाता था, उसे मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य वर्ग के बच्चों के लिए भी लागू किया गया. 

पारा शिक्षकों को किया स्थायी, मेडिकल सुविधा सहित बढ़ा मानदेय की सुविधा

शिक्षा के क्षेत्र में हेमंत सरकार को दूसरी अहम सफलता पारा शिक्षकों के मामले में मिली. पिछले कई वर्षों से लंबित पारा शिक्षकों के मांगों पर मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में सकारात्मक विचार किया गया. पारा शिक्षकों की सेवा ने केवल स्थायी हो पायी, बल्कि इन्हें सहायक अध्यापक का नाम देते हुए इनके लिए मेडिकल सुविधा और मानदेय बढाने जैसे फैसले लिए गए. मुख्यमंत्री ने तो यहां तक विश्वास दिलाया है कि इस निर्णय से अब पारा शिक्षक जो पहले साल में 11 माह हड़ताल पर रहते थे, 11 माह बच्चों को शिक्षा देने में काम करेंगे. 

मदरसा शिक्षकों के लंबित अनुदान को किया पूरा, जो नियम का पालन नहीं कर पा रहे थे उनके लिए किया गया संशोधन

अन्य वर्गों के लिए बेहतर शिक्षा की दिशा में भी हेमन्त सोरेन काफी सजग दिखे. पिछले कई वर्षों से लंबित अल्पसंख्यक वर्गों के मदरसों के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के अनुदान पर सहमति बनी. इसमें मुख्य बिंदु यह रहा कि राज्य के स्वीकृति प्राप्त 183 मदरसों में मात्र 130 मदरसे ही अनुदान की शर्तों का पालन कर पा रहे थे. ऐसे में हेमन्त सोरेन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने मदरसों के अनुदान पर संशोधन की मंजूरी दी. संशोधन के तहत कुछ शर्तों को शिथिल कर दिया गया और कुछ मदरसों को नियम पालन करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया.

जानिये, वर्षो से लंबित अन्य किन मांगों को मुख्यमंत्री ने किया पूरा

शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार दिलाने में भी हेमन्त सोरेन पीछे नहीं रहे. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की गलत नीतियों के कारण PGT के हजारों छात्र सेवा पाने से वंचित रह गये थे. यह काम पिछले 7 वर्षों से लंबित था. सीएम के निर्देश पर PGT शिक्षकों की सेवा संपुष्टि की गयी. इसी विभागीय स्तर पर ऐसे कई विषयों पर काम शुरू हुआ, जो वर्षों से लंबित थे. इसमें शामिल हैं…

  1. इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय की नियमावली प्रारूप ( 1995 के बाद).
  2. मॉडल स्कूल के घंटी आधारित मानदेय में बढ़ोत्तरी (2012 के बाद). 
  3. मॉडल विद्यालयों में केवी की तर्ज़ पर संविदा शिक्षकों की नियुक्ति (2012 के बाद).
  4. प्लस टू (+2) उच्च विद्यालयों में 451 प्राचार्य के पद की स्वीकृति और उसके बाद नियुक्ति की कार्यवाही शुरू करना. (2000 के बाद). 
  5. मदरसा सेवा शर्त नियमावली का प्रारूप (1980 के बाद). 
  6. PGT हेतु पॉलिटिकल साइंस और साइक्लोजी के पद स्वीकृति के लिए आदेश जारी करना. (2000 के बाद).
  7. जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए रोजगार से जोड़ने का प्रयास.

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