को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के अक्स में सीएम हेमन्त का केंद्र से सहयोग की गुहार 

नई दिल्ली : नीति आयोग, शासी परिषद् 8वीं बैठक. को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के तहत सीएम हेमन्त का केंद्र से सहयोग की गुजारिश. MSME स्थायी पूंजी में सब्सिडी 25% से 40% तक बढ़ाने का आग्रह.

नई दिल्ली : झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन ने अपने शासन में देश के साथ एका बना कर चलने का उधाहरण पेश किया है. ताकि कि देश के विकास के साथ राज्य का भी विकास संभव हो. सीएम के इस मंशा को काफी हद तक सफलता भी हसिल हुई है. झारखण्ड पिछले 3 वर्षों में विकास रफ़्तार पकड़ा है. चूँकि झारखण्ड में निवेश की असीम संभावनाएं हैं और सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है. मसलन, राज्य में आधारभूत संरचना के क्षेत्र में सीएम प्रयास करते दिखे है.

को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के अक्स में सीएम हेमन्त का केंद्र से सहयोग की गुहार

राज्य व देश को समर्पित सीएम सोरेन की यह मंशा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद् की 8वीं बैठक में भी दिखी. पक्ष-विपक्ष से परे सीएम हेमन्त ने को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के सिद्धान्तों के अक्स में प्रधानमंत्री से झारखण्ड को उचित सहयोग प्रदान की आग्रह की.  ताकि देश के महापुरुषों की विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में झारखण्ड भी अपनी भागीदारी निभाए. और झारखण्ड भी देश के साथ कदम ताल कर सके. 

झारखण्ड में हर गरीब तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का हो रहा प्रयास

सीएम हेमन्त ने शासी परिषद् बैठक में कहा कि राज्य सरकार के द्वारा विगत वर्षों में समाज के सभी वर्गों के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास हुए हैं. बैठक में उपस्थित सदस्यों को विश्वास दिलाते हुए सीएम के द्वारा कहा जाना कि झारखण्ड सदैव देश के साथ एका बना कर कार्य करने हेतु तत्पर रहा है. क्योंकि झारखण्ड के रगों में देश-भक्ति का संचार होता है, निश्चित रूप देश विकास में सीएम के प्रतिबद्धता दर्शाता है.

झारखण्ड विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने का कर रहा प्रयास 

ज्ञात हो, हेमन्त शासन में विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने हेतु झारखण्ड में शिक्षा, स्वास्थ्य, आरक्षण, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण अर्थवयवस्था जैसे तमाम मूलभूत सरंचना के मजबूतीकरण के सार्थक प्रयास हो रहे हैं. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को बढ़ावा देने हेतु प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर कार्य हो रहा है. MSME को सुदृढ़कारण हेतु पृथक् निदेशालय की स्थापना एवं जिला उद्योग केन्द्रों को जिला MSME केन्द्र के रूप में विकसित करने का प्रयास हो रहा है. 

सरकार राज्य एवं जिला में समन्वय स्थापित कर 2.8 लाख से अधिक पंजीकृत MSME उद्योगों को जिवंत करने का प्रयास हो रहा है. MSME प्रोत्साहन नीति 2023 और MSME विशेष रियायत अधिनियम 2023 का प्रारूप तैयार हो चुका है. MSME में स्थायी पूंजी पर देय सब्सिडी को 25% से 40% तक बढ़ने की योजना है. RAMP कार्यक्रम के तहत स्ट्रेटेजिक निवेश योजना भी तैयार हो रही है. वर्तमान के खरीद नीति को रिवाइज किया जा रहा है. जिससे निवेशकों में विश्वास बढ़ा है. 

झारखण्ड में स्थानीय को MSME उद्योगों में मिलेगा अधिक महत्व

झारखण्ड राज्य में गरीबी का एक कारण यह भी है कि MSME उद्योगों में सथानीय दरकिनार हुए हैं. ऐसे में स्थानीय को MSME उद्योगों में अधिक महत्व मिले इसके लिए सरकार द्वारा नई Public Procurement Policy का मसौदा तैयार किया गया है, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा. इससे समाज के कमजोर वर्गों यथा महिलाएं, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े, गरीब व दिव्यांग उद्यमियों के स्वामित्व वाले उद्योगों को संविधान सम्मत लाभ मिलेगा, उनके अधिकार सुनिश्चित होंगे.

इज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी झारखण्ड का प्रदर्शन उत्कृष्ट  

व्यापार की सुगमता के मामले में झारखण्ड का प्रदर्शन उत्कृष्ट है. व्यापार सुधार कार्य योजना के शुरुआती 5 संस्करणों में झारखण्ड 10 शीर्ष राज्यों की सूची में रहा है. Reduction of compliance burden कार्यक्रम के तहत विशेष प्रक्रियाओं को सरल एवं युक्तिसंगत बनाया गया है. 2021-22 में व्यवसायों के साथ साथ नागरिक सेवाओं से संबंधित कुल 507 Compliance Burden को कम किया गया है.

डिक्रिमिनलाइजेशन की दिशा में भी सरकार काम कर रही है, जिसका उद्देश्य छोटे उल्लंघनों पर सजा के स्थान पर वित्तीय दंड का प्रावधान सुनिश्चित करना है, ताकि व्यवसायियों और नागरिकों में भय का वातावरण समाप्त हो. इस क्रम में राज्य के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग के द्वारा एक धारा को कम किया गया है और 8 धाराओं को गैर-अपराधीकरण के लिए प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.

झारखण्ड में आवागमन के ठोस साधन हो रहे हैं विकसित 

ज्ञात हो हेमन्त शासन में, झारखण्ड में आवागमन के साधन विकसित करने के दिशा में ठोस प्रयास हो रहे है. झारखण्ड में राष्ट्रीय उच्च पथ घनत्व को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने के लिए कुल 08 प्रमुख सड़क कॉरिडोर (1662.50 किमी) को भी चिन्हित किया गया है. इन राजकीय पथों को राष्ट्रीय उच्च पथों में विकसित किये जाने से राज्य अन्तर्गत उत्तर से दक्षिण एवं पूरब से पश्चिम कनेक्टिविटी सुदृढ़ होगी. जिसे व्यापार की संभावनाएं मजबूत होगी.

साहेबगंज एवं मनिहारी घाट (बिहार) के मध्य गंगा नदी पर निर्माणाधीन उच्च स्तरीय सेतु के तर्ज पर राजमहल एवं मानिकचक (पश्चिम बंगाल) के मध्य गंगा नदी पर उच्च स्तरीय सेतु निर्माण हेतु NHAI से अनुरोध किया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए सीएम सोरेन के द्वारा केन्द्र से सहयोग की अपेक्षा की गई है. इसके लिए कॉरिडोर, होली टूरिस्ट कॉरिडोर एवं सेंट्रल कॉरिडोर को चिन्हित कर DPR तैयार किया जा रहा है. निश्चित रूप से यह प्रयास झारखण्ड विकास में मिल का पत्थर साबित होगा.

झारखण्ड में नगरीय क्षेत्रों एवं आबादी का निरंतर विकास हो रहा है. इसलिए नगरीय अवसंरचनाओं एवं नागरिकों की मूलभूत जरूरतों की पूर्ति के लिए प्रयास हो रहे है. इसके तहत् 10 शहरों का नगर विकास योजना एवं 06 शहरों का Comprehensive Mobility Plan तैयार किया गया है. राज्य के कुल 43 शहरों का GIS Based Master Plan भी तैयार है. Online Building Plan Approval Management System एवं Layout Plan Approval Management System वर्तमान में 45 निकायों, 2 विकास प्राधिकार एवं रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन में लागू है.

महिला सशक्तिकरण, पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति सरकार संवेदनशील 

महिला विकास की दिशा में भी हेमन्त सरकार की प्राथमिकता दिखी है. राज्य में SHG एवं ग्राम संगठनों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने में भी झारखण्ड अग्रणी रहा है. पंचायतों में भी महिला भागीदारी के मामले में झारखण्ड अव्वल राज्यों में में एक है. सावित्रीबाई फुले योजनान्तर्गत बालिकाओं की शिक्षा, बाल विवाह रोकथाम, विद्यालय परित्याग की प्रवृति को कम करने आदि के उद्देश्य से 08 से 12 कक्षा वाले बालिकाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. 

विश्व बैंक सम्पोषित तेजस्विनी योजनान्तर्गत कौशल प्रशिक्षण दे किशोरियों को सशक्त किया जा रहा है. आजीविका मिशन के तहत लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण हेतु विशेष प्रयास हो रहे है. सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं के हिंसा मुक्ति हेतु प्रयास हो रहे हैं. इसके लिए 4,368 ग्रामों में जेंडर फोरम की स्थापना की गई है. डायन प्रथा से मुक्ति हेतु “गरिमा परियोजना’ मिशन मोड में चलाई जा रही है. ब्याज मुक्त ऋण के माध्यम से 30,000 महिलाओं व्यवसाय से जोड़ा गया है.

कुपोषण की रोकथाम में सरकार का ‘समर’ कारगर 

स्वस्थ्य झारखण्ड सुखी झारखण्ड के संकल्प के तहत प्रत्येक व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में प्रतिबद्धता के साथ कार्य हो रहे हैं. जिसे राज्य के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सूचकांको में काफी सुधार हुआ है. वर्तमान में शिशु मृत्यु दर 25 एवं मातृ मृत्यु दर 56 है. कालाजार उन्मूलन के क्षेत्र में किये गये निरंतर प्रयासों के कारण राज्य के चार जिलों यथा दुमका, गोड्डा, पाकुड़ एवं साहेबगंज में एन्डेमिक प्रखण्डों की संख्या 16 से घटकर मात्र 01 रह गई है. 

झारखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां के सभी 24 जिलों के 260 प्रखण्डों तथा 32,210 ग्रामों का विश्लेषण कर ग्रामवार कुष्ठ रोगियों का जी०आई०एस० मैपिंग किया गया है. आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना अंतर्गत 33 लाख से अधिक अतिरिक्त परिवारों को वित्तीय लाभ प्रदान किया गया है. कुपोषण की रोकथाम हेतु सरकार द्वारा समर (SAAMAR) अभियान चलाया जा रहा है. इसके अन्तर्गत कुपोषित बच्चों के चिन्हितीकरण हेतु गृह सर्वेक्षण का कार्य हो रहा है.

सीएम हेमन्त के प्रयासों से राज्य के युवाओं हो रहे स्किल्ड 

झारखण्ड में वंचित वर्गों को कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़ने हेतु मुख्यमंत्री सारथी योजना का शुभारंभ किया गया है.इसके तहत तीन वर्षों में राज्य के सभी 264 प्रखण्डों में कौशल केन्द्र स्थापित किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त, राज्य के सर्वांगीण विकास में गरीब एवं वंचित की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु मुख्यमंत्री सारथी योजना के अंतर्गत प्रखंड स्तरीय Institute for Rural Skill Acquisition (BIRSA) स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है. 

इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर युवा, जो कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों में गैर आवासीय व्यवस्था के तहत कौशल करेंगे, उन्हें घर से प्रशिक्षण केन्द्र तक आने-जाने हेतु प्रति माह रु.1,000/- की राशि दी जायगी. जो युवा प्रशिक्षणोपरांत सफल Certification के तीन माह के अंदर नियोजित नहीं हो पाते हैं, उनका मनोबल बनाये रखने के लिए एक वर्ष तक उन्हें प्रतिमाह रूपये 1,000/- दिए जायेंगे.

जबकि, युवतियों, दिव्यांगों, परलैंगिकों को प्रतिमाह रूपये 1,500/- रोजगार प्रोत्साहन भत्ता दिया जाएगा. सीएम के द्वारा कहा गया है कि दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत 15 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 63,000 ग्रामीण गरीब युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है एवं लगभग 48,000 युवाओं को नौकरी उपलब्ध कराई गई है. झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा बंगलोर एवं रेवाड़ी में प्रवासी सहायता केंद्रों की स्थापना की भी गयी है.

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