रांची : झारखंड के सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्यों, प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर जातीय जनगणना और सरना आदिवासी धर्म कोड के मुद्दों को उठाया है. हालांकि मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह ने जातीय जनगणना कराने को कठिन बताया है. सरना आदिवासी धर्मकोड के मामले पर भी केंद्र सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्यों की बैठक, जिसमें अंत समय में प्रदेश भाजपा भी शामिल हुई, उसका कोई सकारात्मक परिणाम अभी सामने नहीं आया है.
प्रदेश भाजपा के प्रतिनिधि बैठक में शामिल तो हुए लेकिन मामलों में सकारात्मक जवाब नहीं
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा इस मामले में दोहरी चाल चल रही है. प्रदेश भाजपा के प्रतिनिधि बैठक में शामिल होते हैं लेकिन उनकी मौजूदगी में भी इन दो महत्वपूर्ण मामलों में केंद्र से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आता. इससे पता चलता है केंद्र सरकार को झारखंडी सवालों की रत्ती भर भी परवाह नहीं है. भाजपा एक ओर सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का नारा देती है, दूसरी ओर वह अपने एकपक्षीय एजेंडे पर भी चलती है. भाजपा ने कभी भी उन राज्यों के मुद्दों पर संवेदनशीलता नहीं दिखाई है जहां उसका शासन नहीं है. ऐसे में सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का नारा खोखला प्रतीत होता है.
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड लगातार चुनौतियों को पार करते हुए विकास की राह पर अग्रसर है. मुख्यमंत्री के साहासिक फैसलों ने उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है जिसके कारण उनकी लोकप्रियता में लगातार इजाफा हुआ है. इतना ही नहीं, गैर भाजपा शासित राज्यों में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उन गिने-चुने नेताओं में शामिल है. जो भाजपा के नीतियों को सीधी चुनौती दे रहे हैं. मसलन, केंद्र सरकार कभी नहीं चाहेगी कि झारखंड के मुद्दों पर कोई सकारात्मक फैसला हो. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कुशलता से राज्य का नेतृत्व करना ऐतिहासिक माना जा सकता है.