झारखण्ड : आदिवासी, दलित व पिछड़े वर्ग को नारकीय जीवन से बाहर निकालने की दिशा में सीएम हेमन्त सोरेन का राष्ट्रपति से गुहार व शिक्षा पर उठाये जा रहे निर्णायक कदम अतुलनीय…
रांची : 21वीं सदी में सामन्ती राजनीति की पराकाष्ठा के अक्स में आदिवासी, दलित व पिछड़े वर्ग को नारकीय जीवन से बाहर निकालने मद्देनजर झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा राज्य स्तर पर ही नहीं देश के स्तर पर भी कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. उनके द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष आदिवासियों की पहचान सुनिश्चित करने वाली सरना व आरक्षण बढोतरी विधयेक पर चिंतन करने की गुहार व बेहतर व सरल सुलभ शिक्षा के दिशा में लगातार प्रयास इसी कड़ी का हिस्सा भर है.
उस सामन्ती राजनीति के अक्स में, आजादी से लेकर अमृत काल तक में आदिवासी, दलित व पिछड़े वर्ग को उसके असल पहचान व शिक्षा व अन्य मूलभूत अधिकार से वनवासी जैसे शब्दों के आसरे भटकाने का सच हो. तो ऐसे में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष सरना आरक्षण बढोतरी विधयेक पर चिंतन करने की गुहार व बेहतर व सरल-सुलभ शिक्षा के दिशा में सीएम का प्रयास ना केवल इनकी निर्णायक भविष्य का पक्ष लेता है, भारत में आजादी का संवैधानिक अर्थ को परिभाषित भी करता है.
आदिवासी वर्ग की पहचान सुनिश्चित करने के राहों में कई चुनौतियां
जहाँ एक ओर देश के समक्ष एक ख़ास विचारधारा के द्वारा पहले एससी फिर एसटी राष्ट्रपति को पदस्थापित करने का सच हो. और उस एससी राष्ट्रपति की पहचान केवल रबर स्टाम्प अधिक न हो. और एसटी महिला राष्ट्रपति को उसके अधिकारों से वंचित कर, राष्ट्रपति पद का अपमान करने का सच वर्तमान हो. तो उस ख़ास विचारधार के अक्स में उस राष्ट्रपति के लिए आदिवासी वर्ग की पहचान सुनिश्चित करने की राहों में खड़ी चुनौतियों को समझा जा सकता है. लेकिन यह भी सच है कि देश में संवैधानिक अक्षरों तहत एक सीएम की उम्मीद तो उसी राष्ट्रपति होगी.
झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन का लगातार शिक्षा पर जोर
ज्ञात हो, सीएम हेमन्त सोरेन का मानना है कि झारखण्ड में दलित, आदिवासी, पिछड़ा व गरीब वर्ग को त्रासदी से केवल गुणवत्तापूर्ण, सरल व सुलभ शिक्षा के आसरे ही बाहर निकाला जा सकता है. इस कड़ी में पहले चरण में 80 सीएम स्कूल ऑफ़ एक्ससिलेंस को धरातल पर उतारा जा चुका है. इन एक्ससिलेंस स्कूलों में 12146 सीटों पर नामांकन के लिए करीब 40 हजार से अधिक आवेदन आना इसकी सफलता की कहानी बयान कर रही है.
इस कड़ी में अब सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा राज्य में डिजिटल स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना की घोषणा निश्चित रूप उनकी शिकाह्स के प्रति गंभीरता को प्रदर्शित करता है. ज्ञात हो इस AI के युग में युवाओं का तकनीकी तौर पर दक्ष होना अति आवशयक है. महंगी शिक्षा वयवस्था के दौर में राज्य के तमाम वर्गों के गरीब युवाओं को तकनीकी तौर पर दक्ष बनाने की यह कवायद मानवता की कसौटी पर अतुलनीय प्रभाव छोड़ेगा.