झारखंड : जातियों के प्रतिनिधित्व पर आधारित अध्ययन को लेकर गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व जनजाति को मिलता रहेगा आरक्षण का लाभ. आबादी के अनुपात में एसटी/एससी कर्मियों की संख्या सरकारी नौकरियों में कम है.
पूर्व की सरकारों में अनुसूचित जाति व जनजाति के के साथ हुआ भेद भाव
झारखंड : जातियों के प्रतिनिधित्व पर आधारित अध्ययन को लेकर गठित समिति की रिपोर्ट में उजागर सच ने पूर्व की भाजपा सरकारों की पोल खोल दी है. रिपोर्ट के अनुसार माना जा सकता है कि पूर्व की भाजपा सरकारों में, राज्य की सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के साथ पक्षपात हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में प्रोन्नतिवाले पदों पर हर स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की कमी है. ऐसे में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व जनजाति के कर्मचारियों की प्रोनात्ति में सवाल उठाया जाना उनके मंशे पर सवाल खड़े करते है.
रिपोर्ट के अनुसार प्रोन्नति के आधार पर पद धारण करनेवाले कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या में एससी-एसटी का क्रमश: 4.45 और 10.04 प्रतिशत है, जो राज्य में क्रमशः 12.08 प्रतिशत (एससी) और 26.20 प्रतिशत (एसटी) के जनसांख्यिकीय अनुपात से बहुत कम है. कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि, राज्य की सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर से काफी नीचे है, इसलिए प्रोन्नति के मामले में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखा जाना आवश्यक है. मसलन, प्रोन्नति के मामले में sc/st को मिलता रहेगा आरक्षण.
सरकारी नौकरियों में आबादी के अनुपात में एसटी/एससी कर्मियों की संख्या कम
सरकारी सेवाओं में पदों के अधीन प्रोन्नति, प्रशासनिक दक्षता और अनुसूचित जातियों-जनजातियों के प्रतिनिधित्व पर अध्ययन को लेकर उच्चस्तरीय समिति गठित की गयी थी. समीति के रिपोर्ट के अनुसार सरकारी नौकरियों में आबादी के अनुपात में एसटी/एससी कर्मियों की संख्या काफी कम है. मसलन, समिति द्वारा प्रोन्नति में एससी-एसटी को आरक्षण देने की वर्तमान नीति को जारी रखने की अनुशंसा राज्य सरकार से की गयी है.
ज्ञात हो, एससी-एसटी के प्रमोशन में आरक्षण के मामले में विधानसभा की भी कमेटी बनी थी, विधायक दीपक बिरुवा इसके संयोजक थे. बंधु तिर्की, सरफराज अहमद सहित अन्य विधायक सदस्य थे. इस कमेटी ने भी एससी-एसटी के साथ प्रमोशन में भेदभाव किये जाने की बात कही थी. इसके बाद सरकार द्वारा इस कमेटी की रिपोर्ट और अन्य अध्ययन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी गठित गयी थी. एससी-एसटी के प्रमोशन का मामला 2007 से लंबित चल रहा था.
समिति के अध्ययन पर आधारित तथ्य
रिपोर्ट – समीति द्वारा 34 विभागों में से 29 विभागों में कर्मचारियों की जाति, श्रेणीवार संख्या सहित सीधी नियुक्ति या प्रोन्नति के आधार पर भरे गये पदों की कुल संख्या पर रिपोर्ट पेश की गयी है. 10 विभागों ने सेवाओं में हर जाति वर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा श्रेणीवार संख्या सहित रिपोर्ट प्रस्तुत की है. एचआरएमएस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 34 में से 31 प्रमुख विभागों में राज्य में कुल स्वीकृत पदों की कुल संख्या 3,01,1 98 है. इसमें से 57182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं, जबकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाने हैं. समिति ने विभागों में प्रोन्नति के संबंध में एक कार्यप्रणाली तैयार करने का निर्णय लिया है.
समिति की अनुशंसाएं
- प्रमोशन में आरक्षण के वर्तमान प्रावधान में किसी भी प्रकार की ढील देना या किसी भी खंड को हटाना न्यायोचित या वांछनीय होगा और बड़े पैमाने पर सामुदायिक हितों के विरुद्ध होगा.
- झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी), झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) और कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग को भी वर्षवार तथा श्रेणीवार विवरण के साथ परिणामों के डेटाबेस को बनाये रखने की आवश्यकता है कि कितने एससी, एसटी व ओबीसी ने अनारक्षित श्रेणी के अंतर्गत योग्यता प्राप्त की है.
- सभी विभागों द्वारा आरक्षण नीति और उसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए अधिक कठोर और निरंतर निगरानी रखने के लिए कार्मिक विभाग के अंतर्गत पृथक कोषांग बनाया जाना चाहिए.
- कार्मिक विभाग को भर्तियों, प्रोन्नतियों और अन्य संबंधित सूचनाओं पर वार्षिक प्रतिवेदन अवश्य प्रकाशित करना चाहिए.