भाजपा राज में झारखंड विकास से रहा कोसो दूर, अब रघुवर-दीपक बयानबाजी के सहारे हेमंत सरकार पर आरोप लगा करना चाहती है बैतरनी पार
दीपक प्रकाश को चाहिए कि वह झारखंड पुलिस पर सवाल उठाने के बजाय अपने नेताओं को दें नैतिक नसीहत
रांची. झारखंड की सत्तारूढ़ हेमन्त सरकार को बदनाम करने के लिए प्रदेश रघुवर-दीपक जैसे भाजपा नेता अब हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. पहले भाजपा नेताओं की सोच थी कि अन्य राज्यों की तरह विधायकों की खरीद-फरोख्त कर यहाँ की सरकार को भी गिराया जाए. लेकिन साजिश का भंडाफोड़ हो गया. ऐसे में बदनामी से बचाने के लिए भाजपा नेता हेमंत सोरेन सरकार को ही बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं.
प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, बढ़ते अपराध और जज की मौत को फादर स्टेन स्वामी की मौत से जोड़कर हेमन्त सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं चूंकि जनता अब इनके झांसे में नहीं आ सकती. मसलन अच्छा यह होता कि प्रदेश अध्य़क्ष साजिश रचने के बजाय अपने नेताओं को नैतिक नसीहत देते कि झारखंड पुलिस की कार्यशैली पर सवाल न उठाये,क्योंकि पुलिस राजनीति पार्टी का अंग नहीं होती है. और वह कुकृत्य से बचें.
रघुवर ही कर सकते हैं मौत पर राजनीति, एक पिता को जलील करने का अनुभव है उनके पास
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने एक जज की मौत पर वैसी संवेदनशीलता नहीं दिखायी, जैसी देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार स्टेन स्वामी की बीमारी से हुई मौत पर दिखायी थी. देखा जाए, तो मौत पर राजनीति करने का काम केवल रघुवर दास ही कर सकते हैं. उनके इस आरोप की जितनी भी निंदा हो, कम ही होगी. हालांकि, रघुवर की मानसिकता नयी नहीं है. मुख्यमंत्री रहते उनके द्वारा की गयी कई घटनाएं इसे साबित करती है. सोरेन परिवार के खिलाफ अपशब्द बोलना, बेटी के लिए न्याय मांगने वाले पिता को जलील करना केवल रघुवर दास ही तो कर सकते है.
छत्तीसगढ़ से खुद को अलग नहीं कर पा रहे रघुवर दास
पूर्व सीएम को इतना भी भान नहीं कि फादर स्टेन स्वामी ने हमेशा झारखंडियों की हक की लड़ाई लड़ी. लेकिन, वह छत्तीसगढ़ से खुद को अलग नहीं करने पा रहे. मसलन, प्रवासी मानसिकता से ग्रसित रघुवर दास इसे समझ भी नहीं समझ पाएंगे. कि मोदी सरकार ने सुनियोजित साजिश रचकर एनआईए के जरिये फादर स्टेन स्वामी को जेल में मार दिया. फादर स्टेन के साथ एनआईए के आक्रामक व्यवहार से इस अनहोनी की आशंका पहले ही हो चुकी थी. यही कारण था कि कोरोना काल में भी महामारी प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाकर एनआईए की टीम ने 84 वर्षीय बीमार फादर स्टेन को जबरन मुंबई स्थित तलोजा जेल में क़ैद कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी.
भाजपा के लिए नया नहीं हैं आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वालों के साथ तानाशाही रवैया अपनाना
आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वालों के साथ तानाशाही रवैया भाजपा के लिए कोई नया नहीं है. राज्य गठन के बाद से ही राज्य की सत्ता में काबिज़ भाजपा ऐसे लोगों को निशाने पर लेती रही है, ताकि प्रदेश के जल जंगल ज़मीन और खनिज की कॉर्पोरेट लूट का विरोध कर रहे ऐसे लोगों का दमन हो सके. रघुवर दास शासन में तो ऐसे लोगों पर ही ‘राजद्रोह’ का मुकदमा किया गया था.
भाजपा के जंगलराज में महिला होना ही सबसे बड़ा अपराध
रघुवर-दीपक का आरोप है कि हेमन्त सरकार के 18 माह के शासन में अपराधिक वारदातों का आंकड़ा करीब 10,000 के करीब पहुंच गया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को चाहिए था कि ऐसे आरोपों लगाने से पहले वे तथ्य पेश करें. उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि भाजपा शासित राज्यों की पहचान है जंगलराज. जहां आदिवासियों, दलितों, गरीब, अल्पसंख्यकों के साथ मारपीट, उत्पीड़न एक आम सी बात होती है.
यही नहीं, भाजपा के जंगलराज में महिला होना ही सबसे बड़ा अपराध हो गया है. भाजपा सरकार में अपराधी को सत्ता का संरक्षण और अपराध को सामने लाने वाले पर मुकदमा दर्ज होने का अजीबोगरीब खेल चलता है. लेकिन रघुवर-दीपक को यह सब नहीं दिखता. क्योंकि जैसे ही वह यह देखेंगे उनके आका नाराज हो जायेंगे. क्योंकि वह ताक़त मंत्रियों को बदल सकता है तो इनकी क्या बिसात है.