संघीय ढांचे से खिलवाड़ हो या जनहित मुद्दे जिम्मेदार CM के रूप में हेमन्त सोरेन ने मोदी सरकार को हमेशा जगाया है

मौजूदा दौर में CM हेमन्त सोरेन गुजरात के CM नरेंद्र मोदी के किरदार में दिखते हैं. संघीय ढांचे से खिलवाड़, स्वास्थ्य, शिक्षा, भाषा, जीएसटी, खनन, महिला सशक्तिकरण, दलित-आदिवासी-पिछड़ों के अधिकार आदि मुद्दों पर, एक जिम्मेदार CM के रूप में हेमन्त सोरेन ने हमेशा जन पक्ष में मोदी सरकार को पत्र लिख वस्तुस्थिति से अवगत कराते रहे हैं…

रांची : 2014, बहुमत से सत्ता में आई एनडीए गठबंधन की मोदी सरकार के नीतियों के अक्स में, उसपर देश की संघीय व्यवस्था से खिलवाड़ करने, तोड़ने के आरोप लगते रहे हैं. गैर भाजपा शासित राज्यों द्वारा इसका लगातार विरोध तथ्य को सत्यापित भी करता है. इनकार नहीं किया जा सकता कि सत्ता के नशे में मनुवाद विचारधारा से ग्रसित केन्द्रीय भाजपा सरकार संघी एजेंडे को आगे बढ़ाने के क्रम में तानाशाही रवैया अपनाते हुए गैर भाजपा शासित राज्यों के अधिकारों का दमन किया है. और भाजपा शासित राज्यों के चुप्पी के अक्स में देश भर में भयानक ख़ामोशी का दौर रहा है.

लेकिन, तमाम विपरीत परस्थितियों के बीच भी हेमन्त सोरेन देश भर में बतौर एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री, जनप्रतिनिधि व नेता होने का फर्ज अगले पायदान पर खड़ा हो कर निभाया है. ज्ञात हो, चाहे संघीय ढांचे से खिलवाड़ का मुद्दा हो या जनहित से जुड़े स्वास्थ्य, शिक्षा, भाषा, जीएसटी, खनन, आदिवासी – दलित-पिछड़ों के अधिकार, गरीबी, महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दे, सीएम सोरेन ने हमेशा मोदी सरकार को पत्र लिखकर, संविधान विरोधी नीति के प्रति जगाया है. कई पत्रों में सीएम हेमन्त सोरेन ने खुले तौर पर केंद्र से संघीय व्यवस्था से होने वाले खिलवाड़ को रोकने का भी गुहार लगाया है. और वर्तमान में भी मुख्यमंत्री का यह प्रयास लगातार जारी है. 

CM मोदी का चेहरा PM बनते ही क्यों बदल चुका है? जबकि उस किरदार में आज झारखण्ड CM हेमन्त सोरेन दिखते हैं 

ज्ञात हो, बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री, नरेंद्र मोदी संवैधानिक भावनाओं के अनुरूप राज्यों के अधिकारों के प्रति मुखर दिखे थे. जो अपने अधिकार, विवेक व राजकोषीय स्वायत्तता की मांग केंद्र से करते रहे थे. इस मामले में उनके द्वारा तत्कालीन यूपीए सरकार पर हमला भी बोला गया था. और योजना आयोग के समक्ष भी उन्होंने अपनी बातों को रखा था. वह नरेंद्र मोदी जब मई 2014 में पीएम बनते हैं तो उनके कार्यकाल में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों के अधिकारों को छिनने काम हुआ है. 

जबकि वर्त्तमान में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के उस किरदार में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन दिखते हैं. हेमन्त सोरेन आज न केवल केंद्र से राज्यों के अधिकारों की मांग कर रहे हैं, केन्द्रीय नीतियों के अक्स में संवैधानिक क्षेत्राधिकार के उल्लंघन के परिस्थियों को भी साफ़ तौर पर सामने रखते दिखते हैं. 

आईएएस (IAS) प्रतिनियुक्ति नियमों में संशोधन राज्यों के अधिकार क्षेत्र में बड़ा केन्द्रीय हस्तक्षेप

ज्ञात हो, 22 जनवरी 2022, दिन शनिवार केंद्र द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों के प्रतिनियुक्ति नियमों में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ कई राज्यों के साथ सीएम हेमन्त सोरेन द्वारा भी विरोध किया गया है. सीएम सोरेन द्वारा पत्र लिखकर पीएम मोदी को केंद्र सरकार द्वारा किये गए कैडर से जुड़े नियमों में संशोधनों पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए इसे राज्यों के अधिकारों पर बड़ा हस्तक्षेप करार दिया गया है. 

सीएम हेमन्त सोरेन ने पत्र में कहा है कि केंद्र का यह प्रस्तावित संशोधन ‘सहकारी संघवाद’ के बजाय पूरी तरह से ‘एकपक्षवाद’ को बढ़ावा देना है. केंद्र को फिर एक बार जगाते हुए हेमन्त सोरेन ने उम्मीद जताया है कि उनके प्रस्ताव पर केंद्र द्वारा विचार किया जाएगा. ज्ञात हो, मोदी सरकार द्वारा आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में बदलाव हेतु प्रस्ताव लाया गया है. इस बदलाव के तहत, केंद्र, राज्य सरकार के आरक्षण (अधिकार) को बिना माने किसी भी आईएएस अफसर को डेपुटेशन पर बुला सकती है. साफ शब्दों में कहा जाए तो अफसरों की नियुक्ति को केंद्र पूरी तरीके से केवल अपने अधिकार क्षेत्र लाना चाहती है .

सहकारी संघवाद से खिलवाड़ के विरुद्ध CM हेमन्त सोरेन ने मुखर होकर उठाया है आवाज़

इससे पहले भी केंद्र के सहकारी संघवाद विरोधी नीति के खिलाफ हेमन्त द्वारा केंद्र को कई बार पत्र लिखा गया है. 

  • 4 सितम्बर 2020, जीएसटी कंपनसेशन को लेकर लिखे पत्र में हेमन्त सोरेन कहा था कि केंद्र सरकार का रवैया संघीय ढांचे के विरुद्ध है. दरअसल केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) कंपनसेशन की राशि देने से मना कर दिया था. इससे चालू वित्तीय वर्ष में राज्य को लगभग 2700 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान लगाया गया था.
  • 22 जून 2020, केंद्र सरकार के उस फैसले जिसमें आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला ब्लॉकों (इसमें 22 ब्लॉक झारखंड में हैं), की नीलामी का विरोध किया गया था. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को विश्वास में लिए बिना जल्दबाजी में यह निर्णय लिया है. केंद्र सरकार पूरी तरह उद्योगपतियों के झुंड से घिरी हुई है.

जनहित के मुद्दों पर भी कई बार केंद्र को पत्र लिख चुके हैं CM हेमन्त सोरेन

संविधान विरोधी नीतियों के अलावा सीएम हेमन्त सोरन द्वारा जनहित के मुद्दों पर भी केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है.

  • 17 अप्रैल 2021, मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर झारखण्ड में तैनात सेंट्रल पारा मिलिट्री फोर्स और एसएसबी के डॉक्टरों, पारा मेडिकल स्टाफ की मदद कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था. साथ ही रांची और रामगढ़ के मिलिट्री हॉस्पिटल का उपयोग कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए उपयोग में लाने की अनुमति दिलाने के लिए गृह मंत्रालय से अनुरोध किया. 
  • 1 जून 2021, हेमन्त सोरेन ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर 18+ लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने का अनुरोध किया था. इसके साथ उन्होंने वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता की परिभाषा को स्पष्ट करने का भी आग्रह किया था. पत्र में उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी का दंश झेल रहे झारखंड के लिए लगभग 1100 करोड़ रुपये व्यय करना संभव नहीं है.
  • 6 सितम्बर 2021, मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 15वें वित्त आयोग द्वारा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए 2020-21 में झारखण्ड को आवंटित 312 करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करने का आग्रह किया गया था. सीएम ने पत्र कहा है कि पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न राज्यों के लिए सामान्य आवंटन के अतिरिक्त 7,735 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटन देने की अनुशंसा की गई है. झारखण्ड की स्थिति को देख अतिरिक्त 312 करोड़ रुपये आवंटित करने की आवश्यकता है.

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