ST, SC व नारी उत्पीड़न मामलों में आरएसएस क्यों हो जाता है चुप?

आरएसएस व उसके मोदी शासन में स्पष्ट दिखा है कि उसे स्थानीय, अनुसूचित व दमित वर्गों के मामलों के प्रति संवेदनशीलता नहीं. इसलिए ST, SC, OBC, गरीब व नारी उत्पीड़न मामलों में वह चुप हो जाता है.

रांची : स्वयं सेवक संघ (RSS) का एक राष्ट्रवादी संगठन होने का पोल तब और आसानी से खुलता प्रतीत है जब आदिवासी, दलित, पिछड़ा, महिला व अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न मामलों में यकायक उसकी जुबान सिल जाता है. जिसके अक्स में उसके मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, समरसता, और सांस्कृतिक उत्थान केदम तोड़ता प्रतीत होता है. और केवल उसके सवर्ण हितकारी होने के मंशा पटल पर उभारा जाता है. और कई स्पष्ट कारणों पर स्वतः ही मुहर लगा जाता है.

ST, SC व नारी उत्पीड़न मामलों में RSS क्यों हो जाता है चुप?

आपत्तिजनक गतिविधियां : स्वयं सेवक संघ व बीजेपी के कुछ सदस्य आदिवासी, दलित व नारी वर्ग के खिलाफ आपत्तिजनक गतिविधियों में शामिल होते हैं. मसलन, संगठन के उपरी चोले को बचाने के लिए आरएसएस ऐसे विषयों में चुप हो जाता है. चूँकि संगठन की विचारधारा व इमेज अनुसूचित जातियों के प्रतीकों के आसरे सवर्ण हितों की रक्षा में राजनीति करता है, मसलन, ऐसे मामलों में संगठन चुप्पी के आसरे अपने संगठन व सदस्यों को बचाने हेतु खुद को दूर कर लेता है.

आरएसएस का कार्यप्रणाली में उभरता है दमित समुदाओं के खिलाफ जाने के अक्स 

चूँकि आरएसएस व उनके अनुषंगी संगठनों का नीव सवर्ण मानसिकता के द्वारा रखी गई है, इसलिए उसपर सवर्ण के लूट आधारित हितों की रक्षा का स्पष्ट दबाव होता है. ऐसे में उसपर आदिवासी, दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, महिला व गरीब उत्पीड़न के मामले में सवर्ण मानसिकता के सामाजिक दबाव होता है. जो अनुसूचित, गरीब अल्पसंख्यक व महिला वर्ग के अधिकार हनन का पक्षधर भी है. मसलन उसके कार्यप्रणाली में दमित समुदाओं के खिलाफ जाने के अक्स को उभरता है.

आरएसएस का प्रसार मनुस्मृति विचार पर आधारित है. और मनुस्मृति जाति जाति आधारित उत्पीड़न न केवल पक्षधर है स्पष्ट व्याख्याय भी करता है. EWS के अक्स में आरएसएस के मोदी शासन में स्पष्ट दिखा है कि उसे स्थानीय गरीबी, अनुसूचित व दमित वर्गों के मामलों के प्रति संवेदनशीलता नहीं है. उसके अधिकारियों का रवैया भी यह स्पष्ट करता है.नतीजतन, इस संगठन या इसके सत्ता से उत्पीदीत समुदायों को सहायता व न्याय की उम्मीद नहीं बची है.

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