मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मानना है कि कोरोना संकट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है बड़ा असर,
राँची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के लिए उठाये गए कदम ‘लॉकडाउन’ का सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. इस बात को राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन भी समझते है. राज्य की बड़ी आबादी को रोज़गार देने के साथ कृषि संसाधनों को विकसित करने में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम योगदान रहता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही मनरेगा, वॉटरशेड विकास परियोजना आदि जैसी योजनाओं से न केवल रोज़गार सृजन होता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र से लोगों का पलायन पर भी अंकुश लगते हैं. इसलिए महज 8 माह के कार्यकाल में मुख्यमंत्री श्री सोरेन ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास पर पूरा जोर देते नजर आये हैं. नयी-नयी योजनाओं को लागू कर ग्रामीण विकास विभाग जहां एक तरफ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है. वहीं दूसरी ओर राज्य में कौशल का विकास करते हुए रोजगार सृजन को बढावा दे रहा है.
तीन महत्वाकांक्षी योजनाएं जिससे 25 करोड़ मानव कार्य दिवस का होगा सृजन
बीते 3 मई को मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने तीन नयी योजनाओं का शुभारंभ किया है.
1. बिरसा हरित ग्राम योजना,
2. नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना
3. पोटो हो खेल विकास योजना
सीएम ने दौरान कहा कि सरकार का प्रयास है कि प्रवासी मज़दूर समेत राज्य के तमाम ग्रामीणों को गांव में ही रोज़गार मिले. तीनों योजना के माध्यम से उन्होंने 25 करोड़ लोगों के लिए रोज़गार सृजन होने की संभावना जतायी है. बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत 5 करोड़ पौधा रोपण से जहां झारखंड के पर्यावरण में सुधार होगा, वहीं प्राकृतिक संसाधनों में वृद्धि कर रोज़गार को बढ़ाया जा सकेगा.
मनरेगा मजदूरी दर 300 रूपये करने की मांग
ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार बढ़ाने की दिशा में सहायक मनरेगा योजना के सुदृढ़करण पर भी हेमंत का पूरा जोर है. केंद्र सरकार से किये सीधे बातचीत में श्री सोरेन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में मनरेगा मजदूरी दर को बढ़ाकर 300 रूपये करने, मनरेगा योजनाओं को लागू करने, योजना का बजट और मानव दिवस सृजन को 50% करने जैसे मानवीय पहलुओं पर जोर देते रहे हैं. क्योंकि उनका मानना है कि मनरेगा को तरजीह मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में काफी मदद मिलेगी. हालांकि केंद्र अपने अड़ियल रवैय से उनके मांग को नजरअंदाज करता आ रहा है. फिर भी मुख्यमंत्री अपने इस मांग पर अड़े है.
वाटरशेड विकास परियोजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगी मज़बूती
बीते शनिवार को कृषि संसाधन में बढ़ौतरी कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मज़बूती के दिशा में हेमंत सरकार ने एक बड़ी पहल की है. सरकार ने भारत रूरल लाइवलीहुड़्स फ़ाउंडेशन (बीआरएलएफ) के साथ एक करार किया. जिसमे राज्य के 24 प्रखंडों में वॉटरशेड विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए करीब 565 करोड़ रूपये का समझौता हुआ है.
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई के साधन विकसित कर कृषि योग्य भूमि को दो फसलों के लिए सक्षम बनाने, कौशल विकास और रोज़गार सृजन जैसे आयामों को बढ़ावा दिया जाएगा. साथ ही करार से ग्रामीण क्षेत्र के 1 लाख किसानों की आय को दोगुना करने का भी लक्ष्य है. यह करार एक तरह से सरकार की महत्वाकांक्षी बिरसा हरित ग्राम योजना का ही एक रूप है.