राजनीति से प्रेरित है तानाशाह मोदी सत्ता की नीतियाँ, जनहित मुद्दे पर उलगुलान होगा : हेमंत

हेमंत सरकार को मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान कर अस्थिर करना चाहती है भाजपा की तानाशाह मोदी सत्ता

राँची। दूसरे कार्यकाल के शुरूआती दौर से ही केंद्र की मोदी सरकार ने तानाशाही तरीके से उन नीतियों पर ज्यादा जोर दिया है, जो जनहित के खिलाफ है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार की झारखंड से संबंधित तमाम उक्त नीतियाँ राजनीति से प्रेरित हो सकती है। क्योंकि अधिकांश नीतियों का सीधा जुड़ाव झारखंड की राजनीति से साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। कोलब्लॉक नीलामी, डीवीसी बकाया और श्रम व कृषि कानून में संशोधन जैसी नीतियाँ इसका स्पष्ट उदाहरण हो सकता है। 

दरअसल, भाजपा ऐसा कर राज्य के विकास के प्रति संकल्पित हेमंत सरकार को अस्थिर कर न केवल उसकी गति रोकना चाहती है बल्कि झारखंडी मानसिकता को मोड़ना चाहती है। इससे इतर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भाजपा के सौतेला व्यवहार व पूंजीपतिप्रस्त नीतियों से मुस्तैदी के साथ मुकाबला करते हुए झारखंड की जनता को संरक्षण दे रहे हैं। लेकिन केंद्र की लगातार हेमंत सरकार को टारगेट करने से नहीं चुकना तानाशाह मोदी सरकार का चंद वैसे पूँजीपतियों प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है, जिनकी काली नजर झारखंड की खनिज सम्पदा व संसाधन पर गड़ी है।   

झारखंड जैसे खनिज बाहुल्य प्रदेश को विकास की दौड़ में पीछे रखना भाजपा की साज़िश 

झारखंड देश का एक खनिज बाहुल्य राज्य है। यहाँ की जनता के साथ हमेशा से सौतेला व्यवहार होता रहा है। क्षेत्र की जनता ने सुनहरे भविष्य की आस में झारखंडी महापुरुषों के विचारधारा में, लंबी लड़ाई लड़ी और अलग झारखंड का निर्माण किया। लेकिन, 17-18 सालों की भाजपा के शासन ने संसाधन लूट के मद्देनज़र झारखंडियों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया। प्रदृश्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा ने साज़िशन झारखंड को विकास के दौर में पीछे छूटने पर मजबूर किया है।

राज्य में पहली बार 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली भाजपा की पिछली रघुवर सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर राज्य को पूँजीपतियों के प्लेट में केक की तरह परोस दिया। और आदिवासी-मूलवासी के हितों को पूरी तरह से हासिये पर धकेल दिया। गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट प्रकरण एक बड़ा उदाहरण हो सकता है। लेकिन, विगत चुनाव में जनता द्वारा सत्ता से बाहर करने के बाद भाजपा अपने चहेते आकाओं के लिए परेशान है। और बौखलाहट में वह लगातार हेमंत सरकार को मानसिक और आर्थिक तौर पर परेशान कर सरकार को अस्थिर करना चाहती है। 

तानाशाह मोदी सत्ता का झारखंड के साथ सौतेले व्यवहार की फ़ेहरिस्त लंबी है

डीवीसी मामले में भाजपा शासित राज्यों पर बकाया अधिक लेकिन नोटिस भेजा जाता है केवल झारखंड को 

केंद्र सरकार ने डीवीसी का 5608.32 करोड़ रुपये का बकाया राशि को 15 दिन में चुकाने का एक नोटिस भेजा है। नोटिस 11 सितंबर को जारी किया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे गंभीरता से लिया है। हालांकि यह बहुत कम लोग जानते है कि डीवीसी पर बकाया अन्य राज्यों पर भी है। लेकिन नोटिस केवल झारखंड को भेजा गया है। जो साफ बताता है कि केंद्र की भाजपा सरकार राजनीति से प्रेरित होकर काम कर रही है।

कोल ब्लॉक नीलामी प्रक्रिया पर हेमंत सरकार से संवाद नहीं 

मोदी सरकार ने कोल ब्लॉक के नीलामी प्रकिया को देश को अँधेरे में रखकर अंजाम दिया। झारखंड एक खनिज बहुल क्षेत्र है और राज्य में कोयले की भरमार है। ऐसे में केंद्र द्वारा राज्य सरकार से संवाद स्थापित न करना उनकी मंशा पर कई सवाल खड़े करते हैं। और मोदी सत्ता का संघीय ढांचे और सहकारी संघवाद पर किये गए चोट को भी प्रदर्शित करता है । 

श्रमिकों की समस्या खत्म कर रहे है मुख्यमंत्री हेमंत 

राजनीति में जन नेता उसी को माना जाता है, जिनकी कार्य जनता के हितों के अनुरूप होती है। मोदी सरकार द्वारा जिस तरह श्रम कानून में सुधार के नाम पर श्रमिकों के अधिकार छिना गया, उससे श्रमिक वर्ग में मोदी सरकार के प्रति नाराज़गी जायज़ है। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा श्रमिक वर्गों के रोज़गार को बनाए रखने के लिए केंद्र जूझते हुए निरंतर प्रयास करना उन्हें जन नेता के फ़ेरहिस्त में ला खड़ा करती है। 

भाजपा द्वारा कृषि बिल गरीब किसानों पर थोपने जाने पर हेमंत नाराज़ -कहा, उलगुलान होगा

केंद्र की तानाशाह मोदी सरकार ने पिछले दिनों कृषि बिल जबरन लाकर किसानों के अधिकारों पर एक बड़ा कुठाराघात किया है। इसके लिए झारखंड समेत देश भर के किसानों में भयंकर रोष है। झारखंड के मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि केंद्र की यह नीति सरासर गुंडागर्दी और तानाशाही है। ऐसी परिस्थिति में पूरे राज्य के समक्ष उलगुलान के अतिरिक्त कोई एनी विकल्प नहीं रह गया है। हेमंत के इस नाराज़गी को राज्य की जनता का भी समर्थन मिला है। दूसरी तरफ हेमंत सरकार किसानों के हित में हर संभव काम करने के कारण भाजपा में ख़ौफ़ है।

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