रघुवर सरकार के बिगड़े अपराध ग्राफ़ को रोकने में कामयाब रही हेमंत सरकार

प्रदेश भाजपा हेमन्त सरकार को बताने का प्रयास अपराधियों की सरकार, लेकिन अपराध ग्राफ़ कुछ और ही सच्चाई कहती है।

बीते तीन वर्षों (2018,2019 और 2020) के (1 जनवरी से 30 जून तक) आंकड़ें खुद बयाँ करती है सच्चाई

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे समय पर झारखंड की बागडोर संभालते है, जब राज्य नहीं बल्कि पूरा देश वैश्विक कोरोना महामारी की चपेट में है। झारखंडी जनता के परेशानी को समझते हुए हेमंत सरकार ने इस महामारी से लड़ने के लिए हरसंभव कदम उठाई है। जैसे राज्य के हर थाने तक का इस्तेमाल करते हुए कई माह तक लोगों को निःशुल्क भोजन कराया। नतीजतन राज्य में पुलिस की छवि न केवल अच्छी हुई, पुलिसकर्मी कोरोना काल में राज्य वासियों की सफलता पूर्वक सुरक्षा मुहैया भी करवा रही है।

हेमंत सरकार को अपराधी की सरकार बताती है भाजपा 

जहाँ एक तरफ यह सब हो रहा है तो वहीँ दूसरी ओर प्रदेश भाजपा अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से हेमंत सरकार के पुलिस व्यवस्था पर ही सवाल उठाती दिखती है। पार्टी का कहना है कि पिछले 6 माह के दौरान अपराध एवं उग्रवाद की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। और हेमंत सरकार में राज्य की कानून व्यवस्था बिगड़ी है। अपराधियों और उग्रवादियों का मनोबल बढ़ा है। लोग डर-भय के साये में जी रहे है।

आंकड़ों से साफ होता है कि हेमंत सरकार रघुवर राज से काफी बेहतर

भाजपा के आरोप की सच्चाई को परखने के लिए पिछली रघुवर सरकार और हेमंत सरकार के अबतक (आंकड़ा 1 जनवरी से 30 जून तक) के कार्यकाल में हुए अपराधों के आंकड़ों की तुलना की। तुलना करने पर पता चला कि भाजपा के लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह निराधार हैं। हेमंत सरकार ने केवल सुरक्षा की दृष्टि से बल्कि मानवीय पहलुओं के आधार पर भी रघुवर सरकार से बेहतर काम कर रही है।

  • हत्या की घटना  – रघुवर सरकार के कार्यकाल में, 2018 में 956, 2019 में 960 हत्याएं हुई जबकि  2020 में यह संख्या 863 ही रही है। 
  • नक्सली घटना – 2018 व 2019 मे क्रमशः 196 और 162 थी। जबकि हेमंत सरकार में यह घटकर 145 रही है। 
  • डकैती की घटना – 2018 व 2019 मे क्रमशः 78 और 64 थी जो कि अब 2020 में घट कर 55 है। 
  • लूट की घटना – 2018 व 2019 मे क्रमशः  268 और 292 थी। वहीं 2020 में 283 है।
  • दुष्कर्म जैसी घटना – 2018 व 2019 मे क्रमशः  792 और 892 थी। लेकिन, 2020 में 892 है।
  • अपहरण की घटना – 2018 व 2019 मे क्रमशः 15 और 8 थी। जबकि 2020 में 10 है। 

मसलन, आंकड़ों से साफ है कि हेमंत सरकार में अपराध और नक्सलवाद की स्थिति में बढ़ोतरी नहीं बल्कि घटती दिखती है। जो स्थिति रघुवर राज्य में थी, कमोवेश उससे सुकून देने वाली स्थित है। ऐसे में भाजपा का दावा कि अपराधी बेलगाम हो गये है, पूरी तरह से खंडन होता है। 

मानवीय के साथ-साथ हर दृष्टि से बेहतर काम कर रही पुलिस प्रशासन

दरअसल प्रदेश भाजपा के पास हेमंत सरकार को घेरने के लिए कुछ खास मुद्दे नहीं हैं। इसलिए अपराध के दृष्टिकोण से लिस-प्रशासन को ही ज्यादा टारगेट कर रखी है। जबकि हकीक़तन यह है कि पुलिस केवल कानून व्यवस्था की दृष्टि से ही नहीं, मानवीय पहलू के आधार पर भी अपराधियों पर काबू पा रही है। जैसे –

  • पूरे लॉकडाउन में पुलिस प्रशासन ने थानों का इस्तेमाल गरीब, दबे-कुचले लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में किया है। जिसके कारण आज राज्य में भूख से मौतें नहीं है।
  • कोयला बहुल जिलों में चल रहे अवैध कोयला कारोबार को रोकने की दिशा में कार्रवाई कर रही है। 
  • इसी प्रकार बालू माफिया पर नकेल कसेन की जो कोशिश की है वह दिख रहा है।
  • पिछली रघुवर सरकार में कई ऐसे नेताओं या उनके करीबी-माफियाओं को अंगरक्षक दिया गया, जहाँ कोई जरूरत नहीं थी। हेमंत सरकार के दिये निर्देश से डीजीपी ने उन सभी अंगरक्षकों को वापस बुलाया है। 

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