कम से कम आजसू सुप्रीमो तो नहीं ही कहें कि गरीब का बेटा पढ़े और बड़ा आदमी बनकर नाम कमाए. संस्थापक सदस्य तक लगा चुके हैं पार्टी के जरिये अपने परिवार और निकट व्यवसायियों को लाभ पहुंचाने का आरोप.
लंबे समय तक अपने पास पेयजल एवं स्वच्छता विभाग रखने वाले आजसू बताएं, क्या डुमरी प्रत्याशी बेबी देवी को मध निषेध विभाग देना कैसे गलत है. जनता का सवाल क्या आजसू सुप्रीमों पुरुषवादी मानसिकता से ग्रसित हैं?
रांची : झारखण्ड डुमरी उपचुनाव को लेकर विपक्ष तरह-तरह का आरोप लगा रही है. आजसू पार्टी का कहना है कि राजनीति विकास की होनी चाहिए. आश्चर्य है कि जो आजसू हर राजनीतिक दलों के साथ सत्ता का सुख भोगा हो. जिस आजसू ने, पिछले दरवाजे से इंट्री कराकर अपने निकट संबंधी को झारखण्ड लोक सेवा आयोग में अफसर बनाया. सत्ता में रहकर अपने परिवार और निकट व्यवसायियों को लाभ पहुंचाया. वह आजसू आज विकास की राजनीति की बात कर रही है.
इतना ही नहीं, जिस आजसू का लंबे समय तक स्वच्छता और पेयजल विभाग अपने पास रखने का राज जगजाहिर हो. आज उसी आजसू ने डुमरी उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी को मध निषेध विभाग देने पर भी सवाल क्यों उठा रहा है. क्या उसे भारतीय महिलाओं की कुशलता पर सन्देश है. या फिर आजसू सुप्रीमों पुरुषवादी मानसिकता से ग्रसित हैं. जिसके अक्स में उसे एक महिला का मंत्री पद पर सुशोभित होना रास नहीं आ रहा है. उसे ज्ञात होना चाहिए कि झारखण्ड का परिदृश्य बदल चुका है.
आजसू पार्टी के संस्थापक रहे ललित महतो ने कभी सुदेश महतो पर उठाया था सवाल
आजसू पार्टी के संस्थापक और दो बार (1993 के दुमका अधिवेशन और 1995 के चाईबासा अधिवेशन) केंद्रीय अध्यक्ष रह चुके ललित महतो ने भी कभी सुदेश महतो पर सवाल उठाया था. उन्होंने स्पष्ट कहा था कि राज्य गठन के बाद आजसू पार्टी भाजपा के साथ सत्ता में आयी. जब-जब झारखण्ड में सरकार बनी, चाहे वह भाजपा की सरकार हो, झामुमो की सरकार या फिर कांग्रेस समर्थित मधु कोड़ा की सरकार, हर बार आजसू पार्टी ने सत्ता का सुख भोगा है.
सुदेश महतो व चंद्रप्रकाश चौधरी सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे. लंबे समय तक पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अपने पास रखा. इस पार्टी में भरी संख्या में पूंजीपति और कारोबारियों का जुटान हो चूका है. रांची के न्यूक्लियस मॉल के मालिक कहने को विष्णु अग्रवाल हैं, लेकिन जनता के बीच शोर है कि इसमें सीधे सुदेश महतो और दूसरे नेताओं का पैसा लगा है. अपराध जगत में चर्चित नाम डॉन अखिलेश सिंह के पिता चंद्रगुप्त सिंह भी आजसू पार्टी में शामिल हुए.
कम से कम आजसू सुप्रीम तो न कहे कि गरीब का बेटा पढ़े और बड़ा आदमी बने
जनता का मानना है कि आजसू सुप्रीमों सुदेश महतो अपनी राजनीति चरित्रता की बात करते हुए उन्हें सीधे-सीधे बेवकुफ बना रहे हैं. वे कहते हैं कि उनकी सोच केवल यही है कि ग़रीब का बेटा पढ़े और बड़ा आदमी बनकर नाम कमाए. कम से कम आजसू सुप्रीमो तो यह बात नहीं कहनी चाहिए. ललित महतो ने कभी यह भी कहा था कि जेपीएससी को नियंत्रण में लेकर उन्होंने कैसे अपने भाई को डीएसपी कैसे बनवाया, इससे सभी वाकिफ है.
डुमरी की जनता का स्पष्ट कहना है कि भाजपा संग आजसू ने अपने कार्यकाल में JPSC को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया था. एनडीए नेताओं के ऐसे कई रिश्तेदार हैं, जो भाई-भतीजावाद के तहत अधिकारी बने. पूर्व में भाई भतीजावाद के तहत चयनित कई अधिकारियों जैसे विनोद राम, कुमारी गीतांजलि, कुमारी मौसमी नागेश, राधा प्रेम किशोर, मुकेश महतो, श्वेता वर्मा, रंजीत लोहरा के नाम पब्लिक डोमेन में हैं, जो अधिकारी बने थे.
जिसने पहला फैसला महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा में लिया, क्या उसे विभाग देना गलत?
डुमरी विधानसभा उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी बेबी देवी को लेकर सुदेश महतो का बयान भी काफी हस्यास्पद और महिला विरोधी है. एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महतो महिला से शराब बेचवा रही है. ऐसे में जनता को सुदेश महतो को यह भी बताना चाहिए कि क्या उत्पाद एवं मध निषेध विभाग जो कि बेबी देवी को दिया गया है, कोई विभाग नहीं है. क्या किसी महिला मंत्री को यह विभाग देना गलत है?
जिस महिला मंत्री पर आज सुदेश महतो सवाल उठा रहे हैं, उसी ने मंत्री पद की शपथ लेने के बाद ऐसा फैसला लिया था, जो काफी चर्चा में रहा. बता दें कि उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की मंत्री बनने के बाद बेबी देवी ने अपने पहले कार्यदिवस पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए यह कहा था कि देवघर के श्रावणी मेले में और कावड़िया पथ के आसपास शराब की बिक्री नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा की खातिर यह फैसला लिया गया है.