झारखण्ड : पोषण सखी मानदेय बंद केंद्र सरकार ने किया और रघुवर ने पत्र लिखा हेमन्त सरकार को

झारखण्डी बहनों के साथ रघुवर दास की दोहरी नीति. पोषण सखी मानदेय केंद्र द्वारा बंद हुआ रहुवर सरकार में और वह पत्र लिखते हैं हेमन्त सरकार को. पोषण सखी का जो 1.36 लाख करोड़ बकाया रघुवर सरकार में भुगतान होना चाहिए था वह हुआ हेमन्त सरकार में…

राँची : केन्द्रीय भाजपा सरकार महिला उत्थान की बात करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उनकी सरकार में काम करने वाली महिलाओं पर विशेष जोर है. लेकिन वहीं, दूसरी तरफ झारखण्ड में भाजपा पोषण सखी बहनों के जीविकोपार्जन पर चोट देना मोदी सरकार की मंशा करती है. ज्ञात हो, पोषण सखी को दी जाने वाली मानदेय राशि में केन्द्रीय अंश को मोदी सरकार द्वारा 23 नवंबर 2017 बंद कर दिया गया है. उस वक़्त में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ही थे और भाजपा की ही सरकार थी. जबकि हेमन्त सरकार में बकाया मानदेय भुगतान हुआ है. 

केंद्र के इस रवैये पर न तो तब रघुवर दास ने आवाज उठाया था और न ही किसी अन्य भाजपा नेता ने. आज जब राज्य की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर पोषण सखी सेवा बंद हुआ है, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास हेमन्त सोरेन को पत्र लिख सेवा जारी रखने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में उन्हें जनता को बताना चाहिए कि केंद्र ने 2017 मानदेय क्यों बंद किया था. जबकि उस वक़्त कोरोना भी नहीं था. और उन्ही के सरकार में अनुबंध पर पोषण सखियों की नियुक्ति भी हुई थी और मंदी भी बंद हुआ था. एसे में उन्हें तब भी केंद्र से सवाल पूछना चाहिए था और अब भी पूछना चाहिए. हालांकि इस सेवा को दूसरे रूप में ही सही हेमन्त सरकार को जल्द शुरू करना चाहिए.

हेमन्त सरकार में 1.36 लाख करोड़ बकाया भुगतान की पहल हुई, जबकि यह रघुवर सरकार में होनी चाहिए थी

इस सच इनकार नहीं किया जा सकता कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में, राज्य का सरकारी खजान बिना लक्ष्य पूर्ति के खाली हुए. जो बाद में कई घोटालों के रूप में सामने आया है. साथ ही कोरोना महामारी के कारण राज्य को आर्थिक तौर पर गंभीर चोट पहुंचाया है. यही नहीं रघुवर काल के त्रिपशीय समझौता जैसे कारनामें के कारण डीवीसी के नाम पर झारखण्ड को विकत परिस्थिति में आर्थिक चोट पहुंचाया गया. 

यदि रघुवर दास मूल झारखण्ड की समस्याओं से इत्तेफाक रखते हैं, तो वह क्यों नहीं कोयला कंपनियों पर राज्य के बकाये 1.36 लाख करोड़ रुपये दिलाने हेतु पहल करते हैं? क्यों नहीं, वह केंद्रीय कोयला मंत्री को इस सम्बन्ध में पत्र लिख परेशर बनाते हैं? मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा कोयला कंपनियों पर बकाया राशि 1.36 लाख करोड़ रुपये के भुगतान के सम्बन्ध में केंद्रीय कोयला मंत्री को पत्र भी लिखा है. और सीएम ने हमेशा जिक्र किया है कि बकाया राशि के कारण झारखण्ड को घोर आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. 

क्यों भाजपा सांसद का आश्वासन भी सच नहीं हो पाया?

भपोषण सखियों के मानदेय जारी रखने के लिए केंद्र से पहल करने की बात बीते दिनों सखी बहनों ने धनबाद सांसद व भाजपा नेता पीएन सिंह से भी की थी. झारखण्ड राज्य एकीकृत पोषण सखी संघ ने इस सम्बन्ध में धनबाद सांसद को एक ज्ञापन भी सौंपा था. सांसद से मांग की गयी थी कि वे केंद्र से बात कर पोषण सखियों के अपने हिस्से के अंशदान सेवा शुरू करवाये. पोषण सखियों के ज्ञापन पर सांसद पीएन सिंह ने सकारात्मक आश्वासन भी दिया था, पर यह आश्वासन ही क्यों नहीं हो पाया. धनबाद सांसद नेता पीएन सिंह को भी बताना चाहिए.

पोषण सखियों के बकाया मानदेय के लिए हेमन्त सरकार ने 38 करोड़ की व्यवस्था की

ज्ञात हो, कायदे से पोषण सखी के बकाया मानदेय रघु सरकार में दिया जाना चाहिए था वह बकाया मानदेय के भुगतान के लिए पहल हेमन्त सरकार में हुआ. विधानसभा से पास अनुपूरक बजट में मानदेय के लिए 38 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. विभागीय मंत्री ने कहा था कि राज्य में कुपोषण अभी खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में सरकार पूरे राज्य का अध्ययन कर पोषण सखी मामले पर समेकित निर्णय लेगी. विभागीय मंत्री के बयान से साफ है कि भविष्य में राज्य सरकार पोषण सखियों के जीविकोपार्जन के लिए कोई विशेष पहल करेगी.

Leave a Comment