झारखण्ड : मारिया गोरती खलखो 30 साल तक बतौर पूर्व कोच रहीं है, जेबलिन थ्रो की नेशनल खिलाड़ी रह राज्य का नाम रौशन भी किया है. पूर्व सरकारों की नीतियों के अक्स में वह बिमारी व मुफलिसी में जी जीने को मजबूर रहीं थी. लेकिन हेमन्त शासन में मिली
रांची : झारखण्ड शासन के मौजूदा परिदृश्य में हेमन्त सोरेन की छवि एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप उभरा है. जो निश्चित रूप हेमन्त सरकार की शासन पद्धति को परिभाषित कर सकता है. ज्ञात हो, जब भी समस्याओं के बीच जनता द्वारा हेमन्त सोरेन को बतौर मुख्यमंत्री पुकारा गया है, उन्होंने जनता की पुकार न केवल सुनी है, निदान करने की दिशा में संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ते दिखे है. इस फेहरिस्त में केस स्टडी 2.
केस स्टडी 2 – 63 साल की मारिया गोरती खलखो 30 साल तक बतौर पूर्व कोच रहीं है, जेबलिन थ्रो की नेशनल खिलाड़ी रह राज्य का नाम रौशन भी किया है, लेकिन, पूर्व सरकारों की नीतियों के अक्स में वह मुफलिसी में जी जीने को मजबूर रहीं थी. वह बीमार हैं और उनकी स्थति यह चली थी कि उनके पास दवा खरीदने तक के पैसे नहीं थे. उन्हें वृद्धा पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा का लाभ भी नहीं मिल रहा था.
वह चाहती थी कि उन्हें खेल विभाग से उनका हक पेंशन के रूप में मिले. मारिया की दर्द भरे पुकार को मुख्यमंत्री द्वारा न केवल सुना गया, मामले में Directorate of Sports & Youth Affairs, Jharkhand को तत्काल आदेश भी दिया गया.
नतीजतन, Directorate of Sports & Youth Affairs, Jharkhand द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देश पर झारखण्ड की बेटी मारिया जी को जिला खेल पदाधिकारी के माध्यम से त्वरित इलाज के लिए हर संभव मदद की पहल हुई. और पेंशन देने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई है.