देश में सक्रीय PIL गैंग सामंत व्यवस्था का ही हिस्सा

देश में सक्रिय PIL गैंग सामंत व्यवस्था का ही हिस्सा. सामंती नेताओं के भ्रष्टाचार में नहीं, केवल सम्यक विचार के नेताओं के धवस्तिकरण में इस गैंग का सक्रिय दिखना, तथ्य स्पष्ट करता है.

रांची : PIL ‘पीआईएल मैन’ के रूप में चर्चित झारखण्ड हाईकोर्ट अधिवक्ता की कोलकाता पुलिस के द्वारा गिरफ्तारी, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के विपक्ष समर्थित पीआईएल गिरोह की सक्रियता के आरोप की पुष्टि करती है. लेकिन गहराई से देश के राजनीतिक इतिहास को देखने से स्पष्ट प्रतीत होता है कि यह पीआईएल गिरोह और कोई नहीं सामंत व्यवस्था का ही हिस्सा है. 

देश में सक्रीय PIL गैंग सामंत व्यवस्था का ही हिस्सा

मसलन, भारत की राजनीति में यह बुद्धिजीवी, पीआइएल गैंग गहराई तक पैठ रखता है. यह गिरोह आदिवासी, दलित, पिछड़ा व गरीब बाहुल्य राज्यों के स्थानीय सम्यक विचार के नेताओं के करियर ध्वस्त कर उनके विचार को पनपने रोकता है. और बीजेपी व संघी व्यवस्था के लूटतंत्र और सत्ता को कायम रखने हेतु गुप्त रूप से सक्रीय रहता हैं. 

इस सुनियोजित खेल को एक तरफ थिंक टंक के अभाव में सम्यक नेता नहीं समझ पाते. इसका स्पष्ट तस्वीर उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल व झारखण्ड के 20 वर्षों के राजनीतिक इतिहास में स्पष्ट दिखती है. और वर्तमान में इस गिरोह की सक्रियता झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के मामले में देखी जा सकती है. 

इस पीआईएल गिरोह का सामंतवादी नेताओं के भ्रष्टाचार में कभी सक्रीय ना दिखना और देश के नयायिक व पत्रकारिता जगत में सामंतवादी विचार की कायम सत्ता से इस गैंग को संरक्षण प्राप्त होना, तथ्य की पुष्टि कर सकती है. झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन के पीआएईएल मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाना इस सुनियोजित खेल को उजागर करती है.

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