झारखण्ड : राज्य के इतिहास के अक्स में पूर्व के सामंती साताओं व केन्द्रीय नीतियों के अक्स में झारखण्डियों की केवल एक उम्मीद शेष, सत्ता पर बतौर सीएम केवल हेमन्त सोरेन की दीद.
रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर सुनियोजित हमला. शिक्षा-चिकित्सा ध्वस्त. बेटियों को न्याय के एवज में पिता को दुत्कार. भूख से मौत. 1932 स्थानीय व आरक्षण बढ़ोतरी विधेयक की अनदेखी. सरना धर्म कोड बिल पर चुप्पी. आरक्षित-गरीब वर्गों का अधिकार हनन. बाहरियों का बर्चस्व. झारखण्ड राज्य के इतिहास के अक्स में पूर्व के सामंती साताओं व केन्द्रीय नीतियों के अक्स में झारखण्डियों की केवल एक उम्मीद शेष, सत्ता पर बतौर मुख्यमंत्री केवल हेमन्त सोरेन की दीद.
राज्य गठन के बाद यह पहली बार है जब राज्य के हर वर्गों की जायज मांग पूरी हो रही है. इस फेहरिस्त में सरकारी कर्मचारी, व्यापारी, किसान, गरीब-मजदूर्, बेरोजगार युवा, अल्पसंख्यक जैसे सभी वर्गों का कल्याण शामिल हैं. हेमन्त सत्ता का 2020 से जून 2023 वर्ष का कल उम्मीद पूर्ति का सच लिए है. महत्वपूर्ण योजनाओं ने जन जीवन में प्रभावी बदलाव लाया है. रोजगार, शिक्षा स्वास्थ्य से लेकर आधारभूत संरचना तक की तस्वीर बदली है. झारखण्ड का स्पष्ट भविष्य सामने आया है.
सवा लाख सरकारी कर्मियों को पहले ही दिया है बड़ा तोहफा, अब एससोपी की मंजूरी
ज्ञात हो, सरकारी कर्मियों की बहुप्रतीक्षित मांग पुरानी पेंशन योजना बीते साल सितंबर में हेमन्त सरकार ने लागू कर राज्य के लगभग सवा लाख सरकारी कर्मियों को बड़ा तोहफा दिया था. अब मंगलवार को पुरानी पेंशन योजना के लाभ प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश ‘एसओपी’ से जुड़े प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दिया गया है. सीएम हेमन्त के इस फैसले को झारखण्ड ऑफिसर्स टीचर्स एम्प्लाइज फेडरेशन के द्वारा ढोल-नगाड़े के साथ आभार जताते हुए जोरदार स्वागत किया गया है.
इस खुशी के अवसर पर सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा हर्षित सरकारी कर्मियों से कहा गया कि – राज्य के कर्मचारियों को जनहित में मान-सम्मान के साथ बेहतर माहौल देने के लिए उनकी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इस दिशा में सरकार उनकी जायज जरुरी मांगों को, राज्य के आर्थिक क्षमता के अनुसार पूरा करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है. ताकि राज्य के कर्मचारी वर्ग अपनी पूरी उर्जा-क्षमता के साथ जनहित में जिम्मेदारियों को निभाते हुए राज्य के विकास को गति दे.
किसान हित में निर्णय – राज्य के उत्पादन का पांच प्रतिशत किया जाएगा निर्यात
राज्य के किसानों की आर्थिक क्षमता बढ़ा उन्हें बेहतर भविष्य देने को समर्पित हेमन्त सोरेन सरकार में निर्यात नीति 2023 के प्रस्ताव को कैबिनेट में स्वीकृति मिली है. यह नीति राज्य में अगले पांच साल तक प्रभावी रहेगा. इस नीति को लाने का मुख्य उद्देश्य राज्य में कुल उत्पादन का कम से कम पांच प्रतिशत उत्पाद के निर्यात को सुनिश्चित करना है. ज्ञात हो, झारखण्ड में सब्जी व मछली उत्पादन लगातार बढोतरी हुई है. राज्य के कई जिलों में किसान पाठशाला की भी शुरूआत हुई है.
किसान पाठशाला के माध्यम से स्टॉबेरी, ड्रैगेन फ्रूट, लेमन ग्रास जैसे खेती की तकनीकी जानकारी दी जा रही है. इसकी मांग राज्यों व विदेशों में काफी है. राज्य के खूंटी जैसे इलाके में फूलों की खेती को बढ़ावा मिला है. ऐसे में निर्यात नीति राज्य के किसानों को न केवल उसके उपज का उचित मूल्य, निनायक भविष्य भी देगा. निर्यात को बढ़ावा देने हेतु सरकार बोर्ड के गठन पर भी विचार कर रही है. निर्यातकों के उत्पाद विश्वस्तरीय हों, सरकार द्वारा कई फैसिलिटेशन सेंटर बनाए जायेंगे.
स्ट्रांग हेल्थ सर्किट, सरकारी अस्पतालों बेहतर ईलाज सुविधा, अब स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी हेमन्त सरकार में बेहतर बुनियादी काम हुए हैं. सीएम स्वयं राज्य में स्ट्रांग हेल्थ सर्किट बनाने के दिशा में अपनी प्रतिबद्धता जताई है. मरीजों को सरकारी अस्पतालों में ईलाज की बेहतर सुविधा मिले, इसके लिए संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. मेदिनीनगर, हजारीबाग, दुमका मेडिकल कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रचकर पर सरकारी जोर स्पष्ट उदाहरण हो सकता है. अब सरकार राज्य में स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की दिशामें बढ़ चली है.
झारखण्ड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक – 2023 को कैबिनेट से स्वीकृति मिली है. इस विधेयक को मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. दरअसल राज्य के मेडिकल कॉलेजों, पारामेडिकल, फार्मेसी, होमियोपैथी, यूनानी चिकित्सा पद्धति व आयुर्वेदिक संस्थानों में स्वास्थ्य चिकित्सा से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित हैं. राज्य में अभी स्वास्थ्य विभाग से संबंधित पृथक विश्वविद्यालय अलग से स्थापित नहीं है. ऐसे में सरकार की सोच को दूरदर्शी माना जाना चाहिए.
राज्य के हर वर्ग के गरीब बेटा-बेटी को बेहतर शिक्षा और वित्तीय सहायता देने कवायद
झारखण्ड राज्य में गरीब वर्गों के बेटा-बेटी भी अब बेहतर शिक्षा के हकदार होंगे, उन्हें सिक्षा का अधिकार प्राप्त होगा. वह अपने सपनों को साकार करेंगे. गया हो, राज्य के सरकारी स्कूलों को अपग्रेड कर निजी स्कूलों से भी बेहतर बनाया गया है. पहले चरण में कुल 80 ऐसे एक्ससिलेंस स्कूल की स्थपाना की जा चुकी हैं.
राज्य के सभी जिलों में युद्ध स्तर पर स्कूल-कॉलेज बन रहे हैं. सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि हो, इसलिए सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना समेत कई योजनायें शुरू की गई है. सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के माध्यम से गरीब वर्ग की बालिकाओं को कक्षा 8वीं से 12वीं तक वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है.
गरीबों को पेट्रोल सब्सिडी. विस्तापितों को मुफ्त जमीन. सभी बुजुर्गों को पेंशन सुविधा
राज्य के गरीबों व लाचारों को आर्थिक मदद मुहैया कराने की दिशा में हेमंत सरकार के द्वारा कई जन कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही है. राज्य के वैसे गरीब राशन कार्ड धारियों को जिनके पास मोटरसाइकिल, जो लगातर बढ़ रहे पेट्रोल की कीमत चुकाने में असमर्थ हैं. उन्हें महीने में 250 रूपए सीधे उनके खाते में भेजा जा रहा है. ताकि वह केन्द्रीय नीतियों के बढ़ती जानलेवा महंगाई में अपना व अपने परिवार का जीवन यापन कर पाए.
यही नहीं 60 साल से अधिक उम्र के सभी अमीर-गरीब लोगों जो लाचार है और कमाने में सक्षम नहीं है. एकल एवं विधवा महिलायें, सभी को हेमंत सरकार के द्वारा मासिक पेंशन दिया जा रहा है. गरीब लाभुकों के बीच ग्रीन कार्ड, पेंशन स्वीकृति पत्र, भीमराव आंबेडकर आवास योजना का स्वीकृति पत्र, परिसंपत्ति वितरण, गरीब भुमिहीन लोगों को मुफ्त में 3 डिसमिल जमीन देने जैसे कई कल्याणकारी व मानवीय कार्य युद्ध स्तर पर हो रहा है.