निशिकांत फर्जी डीग्री मामला : झारखण्ड के सम्मान से जुड़ा – बीजेपी वैध दस्तावेज करना चाहिए जारी

झारखण्ड : निशिकांत दुबे फर्जी डिग्री मामला झारखण्ड के मान-सम्मान से जुड़ा. सम्मान की रक्षा में बीजेपी को जल्द वैध दस्तावेज जारी करना चाहिए और नैतिकता के अक्स में पत्रवीर को निष्पक्ष जाँच हेतु पत्र भी लिखना चाहिए.  

रांची : जहाँ बाबा की नजर हर पहर, शहर मशहूर वह देवघर. तो क्या यह माना जाए कि बाबा की तीसरी नजर बाबनागरी के फर्जी व सामन्तवादी बाबा पर पड़ चुकी है. ज्ञात हो, झारखण्ड सरकार को शाप देने वाले, दिसोम गुरु के संघर्षशील व्यक्तित्व से जलने वाले व 1932 खतियान के फैसले को कोसने वाले निशिकांत बाबा की पाप के गठरी पर शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया है. प्राप्त सूचनाओं व बीजेपी नेताओं के फर्जी मामलों से चोली दामन के इतिहास से ऐसा ही प्रतीत होता है. 

वक्त का पहिया 360 डीग्री पर घूम चूका है. जिसके अक्स में यह साफ़ हो चला है की देवघर-गोड्डा, हाई प्रोफाइल संघर्ष वाली लोकसभा सीट से लड़ने वाला बाबा सह अभियार्थी फर्जी पाया गया है. ज्ञात हो, देवघर में हुए इस फर्जीवाडे के लड़ाई को देवघर ने ही लड़ने की ठानी थी. दुबे की पत्नी पर कोरोना काल में लगे नियम विरुद्ध ज़मीन खरीदने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि देवघर के शिकायतकर्ता ने निशिकांत दुबे से सम्बंधित मामले में सिलसिलेवार विचित्र खुलासे किये थे. 

लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा का निशिकांत दुबे के फर्जी डीग्री मामले में ट्विट

तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे के फर्जी डीग्री मामले में ट्विट किया है कि – माननीय सदस्य ने अपने 2009 और 2014 के लोकसभा हलफनामे में “दिल्ली विश्वविद्यालय से अंशकालिक एमबीए” होने का दावा किया. कृपया ध्यान दें- 2019 से पहले शैक्षिक योग्यता की पूरी सूची सूचीबद्ध करने की आवश्यकता थी.

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27.08.2020 को दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक लिखित उत्तर में स्पष्ट रूप से कहा कि माननीय सदस्य के नाम वाले किसी भी उम्मीदवार को वर्ष 1993 में डीयू में किसी एमबीए प्रोग्राम से प्रवेश नहीं दिया गया था या पास आउट नहीं किया गया था, जैसा कि हलफनामे में दावा किया गया है. साथ ही एक आरटीआई का जवाब भी यही बताते हुए दिया.

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2019 के लोकसभा हलफनामे में माननीय सदस्य ने MBA का कोई उल्लेख नहीं किया है और इसके बजाय केवल यह कहा है कि उन्होंने 2018 में प्रताप विश्वविद्यालय राजस्थान से प्रबंधन में पीएचडी की है. कृपया ध्यान दें- वैध मास्टर डिग्री के बिना कोई भी यूजीसी डीम्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी नहीं कर सकता है.

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लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा का निशिकांत दुबे पर तंज 

प्रताप यूनिवर्सिटी अपने पीएचडी आवेदन में माननीय सदस्य के डीयू एमबीए की डिग्री का कोई उल्लेख नहीं करते हैं और इसके बजाय चमत्कारिक रूप से 2013-15 से ही प्रताप यूनिवर्सिटी से एक और एमबीए प्रतिलेख है! स्पष्ट है कि एमबीए की डिग्री इकट्ठा करना पसंद है – नहीं पता कि कौन सा काम कर सकता है. अब राष्ट्र जो देखना चाहता है वह माननीय सदस्य को डीयू द्वारा 1993 में जारी एमबीए डिग्री प्रमाण पत्र है. हो सकता है कि वह उसी के आगे एक व्हाट्सएप कर सके.

निशिकांत फर्जी डीग्री मामला : झारखण्ड के सम्मान से जुड़ा - बीजेपी वैध दस्तावेज करना चाहिए जारी

पूर्णकालिक एमबीए 2013-15 के लिए प्रताप यूनिवर्सिटी में माननीय सदस्य की उपस्थिति रिकॉर्ड देखने के लिए बहुत उत्सुक हूं, क्योंकि वह तब पूर्णकालिक सांसद थे और एलएस उपस्थिति और निर्वाचन क्षेत्र के दौरे के साथ मेल खाते थे. बीटीडब्ल्यू प्रताप यूनी एमबीए ट्रांसक्रिप्ट ने “संचयी” गलत तरीके से लिखा है, इसलिए यह नहीं पता कि यह कितना वास्तविक है.

क्या पत्रवीर ऐसे फर्जी मामले की जाँच के लिए लिखेंगे पत्र 

जाहिर है यह फर्जी डिग्री मामला झारखण्ड के मान-सम्मान से जुड़ा हुआ है. कोई भी अन्य राज्य का सांसद झारखण्ड के सांसद पर ऐसे तंज नहीं कस सकता. ऐसे में यह जरुरी हो चला है कि झारखण्ड बीजेपी मामले में सामने आना चाहिए और पीसी कर वैध दस्तावेज जनता के समक्ष प्रस्तुत कर राज्य का मान-सम्मान बरकार रखना चाहिए. साथ ही नैतिकता व निष्पक्षता के आधार पर ख्याति प्राप्त पत्रवीर को मामले में निष्पक्ष जाँच के लिए जल्द पत्र लिखना चाहिए. 

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