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नक्सलवाद को लेकर बीजेपी नेताओं के बेतुके बयानों पर हेमंत सरकार का करारा जवाब

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हेमंत सरकार

नक्सलवाद को लेकर बीजेपी नेताओं के बेतुके बयानों पर हेमंत सरकार का करारा जवाब

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दो दिनों में दो बड़े नक्सलियों को मारा जाना झारखंड पुलिस के लिए बड़ी सफलता और हेमंत सरकार का भाजपा नेताओं के बेतुकी आरोपों का करारा जवाब

हेमंत सरकार के प्रयास दे रहा है राज्यवासियों को सुरक्षा का भरोसा

रांची। विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में शांति व सुरक्षा को पहली प्राथमिकता देते हुए प्रमुखता से उठाया था। सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने नक्सलवादी से लेकर राज्य के तमाम अपराधों के रोकथाम के लिए कई गंभीर कदम उठाये हैं। मुख्यमंत्री ने कार्रवाई में किसी प्रकार के कोताही न बरतने को लेकर कई बार आला पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये हैं। लेकिन, सत्ता से बेदखल व उपचुनाव भी हारने के बाद बौखलाहट में मुद्दा रहित बीजेपी नेताओं ने इस बाबत कई बेतुकी बयान दिए हैं।

बिडम्बना है कि बकोरिया कांड, बास्के हत्या कांड कांस्पीरेसी के सच्चाई बाहर आने के बावजूद, बीजेपी नेता बेशर्मी से रघुवर शासन में राज्य से नक्सलवाद समाप्त होने का बयान देते रहे हैं। ज्ञात हो कि जिस दल के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री आवास के बाहर अपराध नहीं  रोक पाए वह दल हेमंत सरकार में नक्सलवाद और उग्रवाद बढ़ने का आरोप लगा रही है। 

लेकिन हेमंत सरकार के मिले समर्थन और झारखंड पुलिस की मुस्तैदी ने उन प्रदेश बीजेपी नेताओं को करारा जवाब दिया है। बीते दो दिनों में  झारखंड पुलिस ने कार्यवाही करते हुए जिस प्रकार दो कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया है, वह हेमंत सरकार की अपराध व नक्सल नियंत्रण की ईमानदारी पहल की सच्चाई बयान करती हैं। और इसी के साथ यह फिर साबित होता है कि हेमंत सरकार राज्यवासियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है।

सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति स्पष्ट बयान करती है कि राज्य की प्रगति संभव है, लेकिन बीजेपी नेताओं के हवा-हवाई बयानों से जनता को आती है केवल धोखे की बू!  

झारखंड पुलिस ने दो दिनों में जिन दो नक्सलियों (जीतन गुड़िया और पुनई उरांव, दोनों PLFI से जुड़े थे) को मार गिराया है, वे किसी तरह से कम खतरनाक नहीं थे। दोनों नक्सलियों के मारे जाने से पुलिस जवान काफी उत्साहित है। इनका मारा जाना प्रदेश बीजेपी नेताओं के लिए यह संदेश है कि दृढ़ इच्छाशक्ति है तो नक्सलियों पर काबू पाया जा सकता है। लेकिन, बीजेपी नेताओं की हवा-हवाई बातों से केवल धोखे की बू आती है और सत्ता पाने की भूख। 

दोनों नेताओं का मारा जाना PLFI संगठन की कमर टूटने के बराबर, निश्चित रूप से यह हेमंत सरकार की उपलब्धि है  

खूंटी में सोमवार को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया 15 लाख का इनामी शीर्ष नक्सली, जीदन गुड़िया पर करीब 125 से अधिक मामले दर्ज थे। झारखंड पुलिस ने इस नक्सली का फोटो भी जारी किया था। कुख्यात नक्सली में शुमार PLFI के जीदन गुड़िया की गिनती कम उम्र में ही खूंखार उग्रवादियों में होने लगी थी। ऐसे में झारखंड पुलिस ने इसे मार गिराकर नक्सली संगठन पर बड़ा चोट पहुंचाया है।

ठीक एक दिन बाद झारखंड पुलिस को पीएलएफआइ के खिलाफ लगातार दूसरी बड़ी सफलता हाथ लगी। रांची पुलिस ने लोधमा इलाके में हुई मुठभेड़ में PLFI के एरिया कमांडर पुनई उरांव को मार गिराया है। पुनई उरांव पर झारखंड पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। ऐसे में दोनों नक्सलियों का मारा जाना PLFI संगठन के राज्य में कमर टूटने के बराबर है। और जहाँ यह हेमंत सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है वहीं भाजपा के लिए करारा जवाब। 

हेमंत सरकार में कमजोर पड़ते दिख रहे हैं प्रतिबंधित नक्सली संगठन

बीजेपी नेताओं के मनगढ़त व बेतुकी आरोपों का जवाब हेमंत सरकार ने हमेशा मुंह के बजाय एक्शन से दी है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तो 2018 में ही कहा था कि अगले छह माह में ही नक्सलवाद खात्मा हो जाएगा, लेकिन उनका बयानबाजी सफ़ेद झूठ साबित हुआ। और जमीन हकीकत के रूप में बकोरिया कांड जैसे सच सामने आया। जबकि, सत्ता में आते ही हेमंत सरकार ने नक्सलियों पर अंकुश लगाने का हर संभव कदम उठा कर नक्सलवाद को जवाब दिया है। 

मौजूदा सत्ता में राज्य में भाकपा माओवादी, टीपीसी और पीएलएफआई जैसे प्रतिबंधित नक्सली संगठन लगातार कमजोर पड़ते दिखे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राज्य पुलिस को मिले निष्पक्ष सहयोग के कारण, पुलिस नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। जनवरी-दिसंबर 2020 तक पुलिस की नक्सलियों के साथ 39 मुठभेड़ हुई, जिनमें ये दोनों नक्सलियों को मिलकर  कुल 11 ढेर हो चुके हैं।

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