6 माह में नक्सलवाद खत्म करने जैसी जुमलेबाजी नहीं करती हेमंत सरकार,रघुवर दास नक्सल खात्में के वादे को पूरा करते तो शायद नहीं घटती ऐसी घटना अब चर्चा में बने रहने के लिए अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं
नक्सल गतिविधियों पर हेमंत सरकार ने लगाया लगाम, 2020 में पुलिस पर हुए 4 हमले को सरकार की मुस्तैदी ने किया विफल
रांची। अपने एक साल के शासन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नेअपने प्रयासों से राज्यवासियों को मुसीबत से दूर रखने में सफल हुए हैं। चाहे वह कोरोना से लड़ाई हो, या नक्सल गतिविधियों पर लगाम लगाने की। अब तक के अल्प कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने झारखंड पुलिस को सख्त निर्देश दिया है कि नक्सली गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखें। साथ ही हेमंत सरकार द्वारा मुख्य नक्सलियों को गिरफ्त में लेने के लिए कई अहम निर्णय भी लिया गया है।
अपनी धमक दिखाने या सरकार को अस्थिर करने के प्रयास में, कुछ असामाजिक तत्वों ने राजधानी में राजभवन से कुछ दूर स्थित चौराहे पर पोस्टरबाजी की है। जांच में पता चल सकता है कि यह किसका काम हो सकता है। भाजपा द्वारा इसे नक्सली संगठनों द्वारा की गयी पोस्टरबाजी बताया जा रहा है। लेकिन पोस्टरबाजी किए जाने का मामला अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, जैसा विपक्ष चाहता था।
पूर्व मुख्यमंत्री का छह माह में नक्सल खात्में का वादा तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन रांची में 228 करोड़ का घोटाला जरुर हो गया
इस मामले में खासकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी चिर परिचित राजनीति करने से नहीं चूक रहे। दिलचस्प बिंदु यह है कि ये वही साहेब हैं, जिन्होंने 7 नवंबर 2018 को बतौर मुख्यमंत्री बयान दिया था कि वह अगले छह माह में राज्य से नक्सल वाद को खत्म कर देंगे। उनके द्वारा निर्धारित वक़्त तो 7 मई 2019 को बीत गया, लेकिन यदि यह नक्सली घटना है तो उन्हें जिम्मेदारी लेते हुए जवाब देना चाहिए।
विडंबना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटे वह मामले में राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं। दास्तावेज बताते हैं कि रघुवर राज में नक्सलवाद के नाम पर केवल बेकसूरों की जान गयी व खुलेआम करोड़ की लुट हुई। जिसका हिस्सा अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी नेताओं तक भी पहुंचा होगा।
यही नहीं राजधानी के विकास के नाम पर अगर केवल कुछ चुनिंदा योजनाओं को ही लिया जाए, तो रघुवर सरकार का नाम सीधे तौर पर 225 करोड़ के घोटाला से जुड़ जाता है। बड़ा तालाब सौदंर्यीकरण में 17 करोड़, हरमू नदी के सौंदर्यीकरण में 84 करोड़, सीवरेज-ड्रैनेज में 85 करोड़, कांके में बने स्लाटर हाउस में 17 करोड़ और कांटाटोली प्लाईओवर निर्माण में करीब 18 करोड़ रूपये का घोटाला प्रमुखता से शामिल हैं।
सत्ता से उतारे जाने के बाद उपाध्यक्ष बनकर रघुवर दास फ्रस्टेट हैं
नक्सली पोस्टर मामला, (आसाजिक तत्वों की करतूत हो सकती है, जो अभी जांच का विषय़ है) का ज़िम्मेदारी लेने के बजाय रघुवर दास हेमंत सरकार पर नक्सलियों से साथ-गाँठ होने का आरोप लगा रहे हैं। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बने केवल 1 साल ही हुआ है, और नस्लवाद के खिलाफ मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय से ऐसा प्रतीत भी नहीं होता हैं। जबकि सत्ता व राजनीति से विलुप्त हुए रघुवर दास फ्रस्ट्रेशन में अपने संघी लम्पटों के माध्यम से ऐसे कारनामों को अंजाम दे सकते हैं। अन्य राज्यों में प्रत्यक्ष रूप से ऐसा हुआ भी है जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं। निष्पक्ष जांच में पता चल सकता है।
सक्रिय 18 नक्सलियों की गिरफ्तारी को लेकर सरकार ने उठाया है कदम
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और पीएलएफआई के फरार चल रहे 18 सक्रिय नक्सलियों की गिरफ्तारी को लेकर नए पुरस्कार राशि की घोषणा सरकार द्वारा की गयी है। हेमंत सरकार ने इन सभी हार्डकोर उग्रवादियों को गिरफ्तार एवं उनके द्वारा अर्जित संपत्ति की सूचना देने वालों को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की है।
हार्डकोर उग्रवादियों ( नक्सल ) की सूची :
- मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सुनिर्मल जी उर्फ सागर
- प्रशांत बोस उर्फ किसन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ा
- अनल दा उर्फ तुफान उर्फ पतिराम मॉझी उर्फ पतिराम मरांड़ी उर्फ रमेश
- असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर
- चमन उर्फ लम्बु उर्फ करमचन्द हाँसदा
- लालचन्द हेम्ब्रम उर्फ अनमोल दा
- मोछू उर्फ मेहनत उर्फ विभीषण उर्फ कुम्बा मुर्मू
- अजय उर्फ अजय महतो उर्फ टाईगर उर्फ बासुदेव
- अमित मुंडा उर्फ सुखलाल मुंडा उर्फ चुका मुंडा
- सुरेश सिंह मुंडा
- जीवन कण्डुलना उर्फ पतरस कण्डुलना
- महाराज प्रमाणिक उर्फ राज प्रमाणिक
हेमंत सरकार मुस्तैद – पुलिस ने किए सभी नक्सली हमले विफल
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को शायद फ्रस्टेशन में ज्ञात नहीं है कि राज्य में प्रतिबंधित नक्सली संगठन (भाकपा माओवादी, टीपीसी और पीएलएफआई) कमजोर होते जा रहे है। अगर आंकड़ों को देखे, तो कोरोना काल में हेमंत सरकार के मुस्तैदी के कारण जनवरी-दिसंबर 2020 तक कुल 9 नक्सली ढेर हो चुके है। सभी नक्सली पुलिस और नक्सलियों के साथ हुए 39 मुठभेड़ में मारे गये है। अब तक केवल एक पुलिसकर्मी ही नक्सली घटना में शहीद हुए। वहीं 2020 में नक्सलियों ने पुलिस वालों पर चार बार हमले किये, लेकिन पुलिस ने नक्सलियों के मंसूबे को विफल कर दिया।