पूर्वोत्तर राज्यों की तरह झारखण्ड के भी आदिवासी उद्योग क्षेत्र में होंगे आगे – हेमन्त सोरेन

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड सीआईआई द्वारा आयोजित चौथे ट्राइबल डेवलपमेंट मीट में “उद्योग में आदिवासियों की भूमिका” विषय पर वर्चुअल प्लेटफॉर्म से किया संबोधित 

– पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी समाज उद्योग क्षेत्र में आगे, झारखण्ड में पीछे रहना चिंताजनक

– उद्योग में आदिवासियों की सहभागिता के लिए व्यापारी वर्ग आगे आएं

– पर्यटन, संस्कृति, वनोपज और खेल से संबंधित उद्योगों से आदिवासियों को जोड़ने की है आवश्यकता

– आदिवासियों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक दशा पर गौर करने की जरूरत 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, झारखंड 

झारखण्ड में कुल संख्या के 27% आदिवासी निवास करते हैं. लेकिन व्यापार या उद्योग में आदिवासियों की भूमिका मात्र 2.5 प्रतिशत है. झारखण्ड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 31 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है वहां भी आदिवासियों की सहभागिता मात्र दो प्रतिशत है. झारखण्ड में संसाधन की कोई कमी नहीं है. वहीं नार्थ ईस्ट में आदिवासियों और अनुसूचित जनजाति के लोग झारखण्ड के समतुल्य निवास करते हैं और व्यापार के क्षेत्र में उनकी सहभागिता 9 प्रतिशत है. इसकी वजह क्या है. सीआईआई इस बात पर विचार करे. राज्य सरकार भी इसकी समीक्षा कर कमी को पाटने का कार्य करेगी. 

पूर्व में झारखण्ड के आदिवासी समुदाय के लोगों को जरूरी सहयोग और मार्गदर्शन नहीं मिला और वे व्यापारिक क्षेत्रों में आगे नहीं बढ़ पाए. लेकिन वर्तमान में राज्य के आदिवासियों और स्थानीय लोगों के विकास पर सरकार का ध्यान केंद्रित है. कई योजनाएं लागू हुईं और अन्य कई पाइपलाइन में हैं. अचानक आयी महामारी ने सरकार की प्राथमिकताओं को कुछ हद तक जरूर बदल दिया, लेकिन आदिवासी और पिछड़े समाज का उत्थान हमारी सोच के केंद्र में है, ये बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड सीआईआई द्वारा आयोजित चौथे ट्राइबल डेवलपमेंट मीट में कही. मुख्यमंत्री “उद्योग में आदिवासी समाज की भूमिका” विषय पर बोल रहे थे. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग क्षेत्र में आदिवासी समाज अधिक मौका मिले, इसके लिए हमें मिलकर कार्य करना होगा. 

राज्य सरकार सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए वंचित आदिवासी समाज के लोगों को व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में अवसर प्रदान कर लाभान्वित करने की योजना बना रही है. अगर हम सभी अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो देश और राज्य के आदिवासी अवश्य उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करेंगे. 

खनिज क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य उद्योगों में मिले बढ़ावा  

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड के अधिकांश उद्योग खनिज पर आधारित हैं. पर्यटन, संस्कृति, कृषि और खेल के क्षेत्र में आजतक किसी ने मंथन नहीं किया. जबकि इन क्षेत्रों में असीम संभावनाएं हैं. राज्य में खेल से संबंधित उद्योग नहीं है. हॉकी और फुटबॉल के उद्योग लगाए जा सकते हैं. राज्य सरकार ने उद्योग विभाग को इन क्षेत्रों में उद्योग लगाने का निर्देश दिया है. झारखंड की 75% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और करीब 90% आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. झारखंड लाह, तसर, इमली समेत अन्य वनोपज उत्पादन के मामले में देश में अग्रणी स्थान रखता है. लेकिन इस इन सब को प्रमोट करने की दिशा में कार्य पूर्व में नहीं किया गया. 

देश का एकमात्र लाह संस्थान झारखंड में है. उसकी स्थिति भी नाजुक है. रेशम उत्पादन के मामले में राज्य पहला स्थान रखता है, जबकि भागलपुरी सिल्क का नाम आता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के उत्पाद का सही ढंग से वैल्यू एडिशन नहीं हो सका. वर्तमान सरकार वन आधारित उपज के लिए फेडरेशन का गठन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिससे ऐसे उत्पाद का वैल्यू एडिशन हो और बाजार मिल सके. 

स्टेकहोल्डर्स को भी प्राप्त हो शेयर 

मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन एवं अन्य क्षेत्र में उद्योग लगाए जाते  , इससे विस्थापित लोगों को मुआवजा राशि दी जाती है. यह राशि एक समय के बाद समाप्त हो जाती है और विस्थापित पुनः उसी स्थिति में आ जाते हैं. मेरा मानना है कि अगर उद्योग लगे तो स्टेकहोल्डर को भी उद्योग में शेयर मिले, जिससे उनका भी सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके. 

इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार चौबे, श्री चाणक्य चौधरी, श्री संजय सबरवाल, श्री सौरव राय, श्री गणेश रेड्डी, श्री अमरेंदु प्रकाश, श्री तापस साहू व अन्य उपस्थित थे.

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