मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य के मीडिया जगत से मुलाकात कार्यक्रम में सामूहिकता व झारखंडी संस्कृति के साथ आगे बढ़ने की झलकी मंशा
रांची. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का राज्य के प्रमुख मीडिया जगत के संपादक एवं ब्यूरो प्रमुख के साथ मुलाकात कार्यक्रम में, राज्य के विकास के प्रति उनकी सोच व विजन सामने आए. ज्ञात हो, बतौर मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन की दूसरी पारी की शुरूआत कोरोना संकट के बीच हुई. अभूतपूर्व मानवीय संकट के बीच मुख्यमन्त्री की संवेदनशीलता व उनकी राजनीतिक कुशलता का रूप देखने को मिला. उनके नेतृत्व कुशलता का मुरीद विरोधी भी हुए. भले ही राजनीतिक व दलगत कारणों से वे सार्वजनिक स्तर पर स्वीकार न कर सके. लेकिन, विधानसभा सत्र के दौरान, भाजपा के विधायक भी मुख्यमन्त्री के साथ तस्वीर खिंचवाना, इस तथ्य की पुष्टि करती है.
हेमन्त सोरेन की कार्य प्रणाली – जितनी चादर उतना ही पाँव…
मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन का सहजता से आम जनता से मिलना. मीडिया से सहजता से मुखातिब होना, बिना कड़क आवाज, डराये-धमकाये अधिकारियों संग मिलकर टीम की तरह करना. लोकतंत्र की सुखद अनुभूति हो सकती है. इनकी कार्य प्रणाली में यह देखने को मिला कि जितनी चादर है उतना ही पाँव फैलाते हैं. छोटे-छोटे, कम लागत वाली योजनाओं के साथ स्थिरता के साथ लगातार आगे बढ़ते देखे जा रहे हैं. जो देश के समक्ष झारखण्ड की एक स्वावलंबी तस्वीर पेश करती है.
12 अगस्त, 2021 – मीडिया वार्ता में मुख्यमन्त्री ने सहजता से उनके समक्ष राज्य के विकास के आगामी 25 वर्षों की योजना पर बात की. इस बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम में उनके द्वारा केवल बुनियादी तथ्यों को रखना, राज्य की व्यवस्था के सुदृढ़ कहानी बयान करती है. मुख्यमन्त्री ने कहा कि राज्य की 80% आबादी गांवों में निवास करती है. आनेवाले कल में उन्हें बेहतर व्यवस्था, क्षेत्र में ही रोजगार, मुहैया कराना व कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती की बात करना, उन्हें झारखंड का बड़ा व मुक्कमल नेता, दूरदर्शी मुख्यमंत्री बनाता हैं.
हेमन्त सोरेन द्वारा कोरोना संघर्ष का श्रेय राज्य के नागरिकों को देना. सामूहिकता व झारखंडी संस्कृति की आत्मा को दर्शाता है
साथ ही, मुख्यमन्त्री का कोरोना संघर्ष का श्रेय पूरे राज्य के नागरिकों को देना. सामूहिकता व झारखंडी संस्कृति की आत्मा को दर्शाता है. यहीं सामूहिकता झारखंड की पहचान है. विविधता, जनजातीय और सदान संस्कृति का सौहार्दपूर्ण संगम ही तो झारखंड की पहचान रही है. यहीं पहचान झारखंड की ताकत भी है. इन्ही विशेषताओं ने ही तो झारखण्ड को अपने अधिकार के लिए आंदोलन करने को ताक़त दिया. फिर सामने वाला दुश्मन अंग्रेज रहे हों या फिर शोषक महाजन. झारखण्ड हमेशा इसी ताक़त के बल अन्याय के खिलाफ उठ खड़ा होता है.
बहरहाल, झारखंडियों को जब भी मौका मिला उन्होंने इतिहास रचा. मौजूदा काल में महेंद्र सिंह धोनी को मौका मिला तो देश का परचम लहराया. यहाँ की बेटियों ने ओलम्पिक में देश को गौरवान्वित किया. और अब हेमन्त सोरेन जैसा झारखंडी बेटा बतौर मुख्यमंत्री मजबूती के साथ राज्य की तकदीर लिख रहा है.