लाल आतंक पर हेमन्त सरकार की सख्ती का नतीजा – 8 महीने में 245 नक्सली गिरफ्तार

नक्सली क्षेत्रों में विकास की सरकारी कवायद तेज. नक्सलवादी विचारधारा से जनता का हुआ मोह भंग. सरकार की सरेंडर पॉलिसी भी प्रभावी. क्षेत्र के युवा बंदूक के बजाय खेल को दे रहे हैं प्राथमिकता 

रांची : झारखंड देश के उन राज्यों में शामिल है जो रेड कॉरिडोर (नक्सल प्रभावित क्षेत्र) के तहत आता है. सालों से नक्सली संगठन राज्य की कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं. वर्तमान राज्य सरकार नक्सली गतिविधियों को सिर्फ विधि व्यवस्था की समस्या के रूप में न देखकर, इसे व्यापक सामाजिक, आर्थिक समस्या के रूप में भी रेखांकित किया है और इसी नीति के अनुरूप नक्सल समस्या पर अंकुश लगाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. 

सरकार की कोशिशों को मोटे तौर पर दो बिंदुओं में समझा जा सकता है. पहला, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को तेज करना. और दूसरा, नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने को प्रेरित करने के लिए अवसर प्रदान किए जा रहे है. बावजूद इसके जो नक्सली कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं. सरकार की इसी कोशिशों का परिणाम है कि आज झारखंड में नक्सल कमजोर होता दिखता है. साथ ही नक्सलवादी विचारधारा से नक्सलियों का मोह भंग हुआ है और सरकार की नई सरेंडर पॉलिसी से प्रभावित नक्सलिय़ों ने सरेंडर किया है. 

राज्य में नक्सली संगठन धीरे-धीरे पड़ रहे हैं कमजोर 

अपने वजूद को दर्शाने की कोशिश में नक्सली कोर संगठन यदा-कदा छोटे-मोटे वारदातों को अंजाम दते हैं. पर हकीकतन राज्य में नक्सली संगठन धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहे हैं. माना जाता है कि कोरोना संक्रमण काल में कई नक्सली संक्रमित होने पर इलाज के अभाव में मर गए. इससे भी नक्सलियों का हौसला टूटा है. और  सरकार की सख्ती भी एक बड़ा कारण है जिससे नक्सली कमजोर हुए हैं.

आंकड़ों के हवाले बात करें तो, साल 2021 में अगस्त महीने के तीसरे हफ्ते तक 245 नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई है. इनमें नक्सलियों के बड़े ओहदेदारों से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक शामिल है. इस साल 11 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. मुठभेड़ में चार नक्सलियों की मौत भी हुई है. जबकि बड़ी संख्या में पुलिस से लूटे गए हथियार भी बरामद हुए हैं. इसके अलावा पुलिस ने लगातार नक्सलियों के द्वारा बिछाये गए आइइडी विस्फोटकों को निष्क्रिय किया है. 

सरकार ने पिछले कुछ समय से नक्सली क्षेत्रों में विकास के तहत पक्की सड़कों का जाल बिछाया है. यह अभी भी जारी है. इसके अलावा गांवों में विद्युतीकरण करने व मनरेगा तथा कृषि क्षेत्र में नयी योजनाओं को लाकर ग्रामीण क्षेत्रों का (नक्सली क्षेत्र भी) परिदृश्य बदलने की कोशिश की है. कृषि को पशुपालन के साथ जोड़कर नयी य़ोजनाएं लाई गई है. जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में  धीरे-धीरे सुधार आने लगी है.

नक्सल क्षेत्रों में युवा बंदूक के बाजाय खेल को दे रहे हैं प्राथमिकता

इतना ही नहीं हेमन्त सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खेल के जरिये भी बदलाव लाने की दिशा में बढ़ चली है. जिसके कारण इन क्षेत्रों में युवा बंदूक उठाने के बजाय खेल को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसके लिए योजना पर काम जारी है. यही गति कायम रही तो उम्मीद किया जा सकता है कि बहुत जल्द राज्य को नक्सली समस्या से मुक्ति मिल जाएगी.

Leave a Comment