…आपके द्वार में आए लाखों आवेदन दर्शाते हैं -BJP सत्ता में नहीं हुए जन कार्य 

झारखण्ड : सरकार आपके द्वार अभियान में सरकार को मिले लाखों आवेदन साबित करते हैं कि पूर्व की बीजेपी सत्ता में नहीं हुए जन कार्य. सीएम की योजनाएं सीएम की संवेदनशीलता का पर्याय.  

रांची : ‘सरकार आपके द्वार’ अभियान में आयें लाखों आवेदन झारखण्ड में पूर्व की बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली, नीतियों और मंशा की पोल खोलती है. जाहिर है सरकार आपके द्वार अभियान की सफलता जहां एक तरफ सीएम हेमन्त सोरेन की गरीब व आम जनता के प्रति संवेदनशीलता को परिभाषित करती है, तो वहीं पूर्व की बीजेपी सरकार की असंवेदशीलता, मंशा व आइडियोलॉजी को भी स्पष्ट तौर पर उजागर करती है. 

आपके द्वार में आए लाखों आवेदन दर्शाते हैं -BJP सत्ता में नहीं हुए जन कार्य 

सीएम अक्सर कहते हैं कि वर्तमान में योजनाएं जनता की जरूरतों के हिसाब से तैयार हो रही है. हेमन्त सत्ता में योजनाओं का जनता के मर्म को छूना कथन को सत्यापित भी करते हैं. हेमन्त सरकार की योजनाएं राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर, युवा, गरीब, किसान, एससी, एसटी, ओबीसी, मूलवासी, महिला, व्यापारी, कर्मचारी से संबंधित शिक्षा, रोजगार, श्रम, व्यापार समाजिक सुरक्षा, न्याय जैसे मूल्यों के हल में सहायक साबित हुए हैं. 

यह सब वर्तमान में हेमन्त सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार में संभव हुआ है. चूंकि सीएम हेमन्त स्वर्ण वर्ग से नहीं आते इसलिए स्वर्ण विश्लेषकों का नजरिया भिन्न हो सकता है. यदि ऐसा नहीं होता तो जन व राज्य के पक्ष में हो रहे कार्यों के प्रति तथाकथित स्वर्ण कलम आँखें नहीं मूँदे रहते. कलम की स्याही शब्द बन जरूर सीएम की हौसला अफजाई करते. इस कटु सत्य को वह जमात जैसे भी परिभाषित करे लेकिन सच यह है कि गरीब जनता का जुड़ाव सीएम के साथ गहराता जा रहा है. 

हेमन्त सरकार में गरीबों के पक्ष में चलाई जा रही योजनाएं 

  • सर्वजन पेंशन योजना : सामाजिक सुरक्षा को परिभाषित करता देश की पहली जनकल्याण योजना. केंद्र भी इसे लागू करने की हिम्मत न जुटा पाई. यह योजना राज्य के गरीब, वृद्ध, दिव्यांग, निराश्रित, एकल महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस योजना ने गरीबों को पेंशन न देने सभी बहानों को खत्म कर दिया. 10 लाख से अधिक लोगों का योजना से आच्छादित होना पूर्व की सत्ताओं के मंशा उजागर करती है. 
  • मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना : झारखण्ड ही नहीं पूरा देश कृषि प्रधान है. पशु पालन देश की परंपरा रही है. हेमन्त शासन की मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना राज्य के गांव में पशु पालने की परंपरा को फिर से जीवित कर रही है.
  • सोना सोबरन धोती, साड़ी, लुंगी योजना : राज्य के 57 लाख गरीबों को वर्ष में दो बार वस्त्र प्रदान किया जाना, जहां एक तरफ झारखण्ड मे गरीबी की पराकाष्ठा को उभारती है. तो वहीं दूसरी तरफ मनुवादी विचारधारा पर खड़ी बीजेपी सत्ताओं की मंशा व नीतियों पर बहुसंख्यक गरीब जनता के पक्ष में गंभीर सवाल भी खड़ा करती है. 
  • हरा राशन कार्ड योजना : Right to Food – अन्न का अधिकार देश में फंडामेंटल अधिकार के तहत आता है. राज्य में 20 वर्षों के बाद भी हेमन्त शासन में 20 लाख लोगों को हरा राशन कार्ड से जोड़ने की कवायद, जिसमें 15 लाख से अधिक लोग हरा राशन कार्ड से अन्न का अधिकार प्राप्त कर चुके हैं. पूर्व की बीजेपी सत्ता की असंवेदनशीलता का स्पष्ट रूप ही तो है. 
  • फूलो झानो आशीर्वाद अभियान : हड़िया-दारू शराब निर्माण व बिक्री कार्य से जुड़ी महिलाओं को आजीविका के सम्मानजनक अवसर प्रदान कर रहा है. ऐसे प्रयास पूर्व की बीजेपी सत्ता में न होना दर्शाता है कि वह मानसिकता राज्य को किस दिशा में धकेलना चाहती थी. 

हेमन्त सरकार में शिक्षा सुदृढीकरण में चलाई जा रही योजनाएं 

झारखण्ड देश का एक आदिवासी, दलित, पिछड़ा व गरीब बाहुल्य राज्य है. ऐसे राज्यों के लिए शिक्षा ही वह आखरी हथियार होता जिसके सहारे उसका विकास संभव हो सकता है. लेकिन शिक्षा के पटल पर भी पूर्व की बीजेपी सत्ता में मर्जर के आड़ में हजारों स्कूलों को बंद किया जाना. गरीब विद्यार्थियों का फ़ेलोशिप बंद किया जाना. स्थानीय भाषाओं को हासिए पर धकेला जाना. झारखण्ड के पीढ़ी को उसके इतिहास से दूर करना. क्या बीजेपी सत्ता की कुंठित मानसिकता नहीं?

किसने कल्पना की थी कि झारखण्ड के वंचित प्रतिभाशाली युवाओं को विदेश में उच्च शिक्षा के अवसर प्राप्त होंगे. हेमन्त सरकार में यह संभव हुआ है. झारखण्ड के गरीब वर्ग के युवाओं का विदेशों में सरकारी खर्च पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सच सामने है. सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना राज्य के लखों बेटियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कर उनमें आत्मविश्वास का संचार कर रहा है. यही नहीं राज्य स्कूल व स्कूली शिक्षा व्यवस्था के दुरुस्तीकरण में कदम बढ़ चुका है.

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