झारखण्ड सरकार द्वारा केंद्र से खनिजों पर रॉयल्टी मूल्य आधारित कर की दर 20% करने की मांग

केन्द्रीय नीतियों के अक्स में झारखण्ड में व्याप्त गरीबी के मद्देनज़र पहली बार हेमन्त सरकार में खनिजों पर रॉयल्टी मूल्य आधारित कर की रॉयल्टी दर 20% करने की और मूल्य आधारित रहित खनिजों को मूल्य आधारित कर 20% निर्धारित करने की केंद्र से मांग…

हेमन्त सोरेन के सत्ता संभालते ही केन्द्रीय मंशा डीवीसी जैसे संस्थान के सच के रूप राज्य के समक्ष उभरे. जहाँ डीवीसी अपनी मातृ-मिट्टी की कर्ज उतारने के बजाय स्वायत्तता के अक्स में उसके नियम राज्य की जनता को परेशान करे. कोरोना जैसे त्रासदी के दौर में भी केन्द्रीय सत्ताके विलासिता के अक्स तले झारखण्ड में कोल ब्लॉक नीलामी का सच दिखे. केंद्र की नीतियों के तहत झारखण्ड को बार्गेन बाजार की दिशा में धकेलने का प्रयास हो. और आंकड़ों के अनुसार 53 हजार एकड़ भूमि कोल मंत्रालय को दिए जाने का भी सच सामने हो. जिसकी क्षति पूर्ति राशि 65 हजार करोड़ से अधिक भारत सरकार के पास बकाया हो.

और तमाम ऐसे परिस्थितियों के बीच झारखण्ड के गरीबी का दर्द मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के मजबूत अभिव्यक्ति के रूप में बाहर आये. जहाँ वह कहे कि ‘ज़मीन हमारी, पानी–कोयला भी हमारा और हमारे ही लोगों ग़रीब’ तो केन्द्रीय नीतियों की हकीक़त को समझा जा सकता है. ऐसे में मूल कारणों के निवारण में, केन्द्रीय बजट 2022-23 के लिए सुझाव के तौर पर राज्य को मिलने वाले केंद्रीय राजस्व के विभिन्न स्रोतों का विशेष तौर पर झारखण्ड सरकार के पत्र में उल्लेख किया जाए. खनिजों की रॉयल्टी को मूल्य आधारित दर निर्धारित करने की मांग की जाए, तो खनिजों की रॉयल्टी को लेकर झारखण्ड सरकार की चिंता और कदम को जायज़ माना जाना चाहिए.

रॉयल्टी मूल्य आधारित कर की दर 20% किए जाये

झारखण्ड सरकार द्वरा केंद्र को सुझाव दिया गया है कि झारखण्ड राज्य में देश का खनिज राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. राज्य के कोयले, लोहे और अन्य खनिजों के उत्पादन से राजस्व प्राप्त होता है. इन खनिजों से खनन उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन से राज्य के आधारभूत संरचनाओं पर बड़े पैमाने पर  प्रतिकूल असर पड़ता है, क्षतिग्रस्त होता है. पर्यावरण का भी नुकसान होता है. भारी संख्या में लोग विस्थापित होते हैं और जन जीवन के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है. मसलन, राज्य सरकार को बड़ी राशि उन क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य जैसे जिम्मेदारियों पर खर्च करना आवश्यक हो जाता है. 

अतः जिन खनिजों पर रॉयल्टी मूल्य आधारित कर के रूप में है, उसकी रॉयल्टी की दर 20% किया जाये. जिन खनिजों पर रॉयल्टी की दर 20% मूल्य आधारित कर नहीं है, उन खनिजों में भी उसे मूल्य आधारित करते हुए इसकी दर को 20 फीसदी निर्धारित किया जाये. कोल कंपनियों का यह दायित्व है कि खदानें बंद हो चुकी हैं या अप्रयुक्त हैं, उन स्थलों को में पर्यावरण को पुनर्वासित करें. लेकिन कंपनियों द्वारा इन दायित्वों का निर्वहन नहीं किया जाता है. अतः कोल कंपनियों को इस संबंध में कारगर आदेश जारी किए जाय ताकि झारखण्ड जैसे राज्य को सहुलियत हो.

जीएसटी कंपनशेसन पूर्ण एवं समय पर उपलब्ध कराने की मांग

झारखण्ड जैसे राज्य को जीएसटी कंपनशेसन पूर्ण एवं समय पर उपलब्ध कराया जाए. कुछ केंद्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन प्रतिपूर्ति के आधार पर किए जाने का प्रावधान है. लेकिन ऐसी प्रतिपूर्ति (कंपनशेसन) की राशि राज्यों को कई बार समय पर नहीं मिलती है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव बना रहता है. पत्र में वित्त मंत्री द्वार केंद्र सरकार से राज्य को प्रतिपूर्ति की राशि समय पर विमुक्त करने का आग्रह किया है.

Leave a Comment