झारखण्ड : मुख्यमंत्री ने पशुपक्षियों की जीएमपी/जीएलपी उत्पादन प्रयोगशाला के निरीक्षण में कहा कि यह देश का महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा. प्रयोगशाला को अधिक उपयोगी बनाने हेतु भवन में कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी बदलाव करने के दिए गए निर्देश.
रांची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के फैसले झारखण्ड के बुनियाद को मजबूती के साथ गढ़ने का पक्षधर दिखते है. तमाम फैसले दर्शाता है कि वह झारखण्ड नए सिरे से विकास के पथ पर ले जाना चाहते है. जिसका लाभ झारखण्ड राज्य की मूल जनता को तो मिले ही, देश को भी मिले. जिससे झारखण्ड देश-दुनिया के पटल पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हुए आत्मनिर्भरता की और बढ़ सके. ज्ञात हो, कांके, औषधि उत्पादन प्रयोगशाला 2014 की योजना है, और राज्य की आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है. विडम्बना है कि रघुवर सरकार के पांच वर्ष में गाय पर राजनीति हुई, लेकिन राज्य व देश में पशु-पक्षियों के लिए उपयोगी यह योजना पूरा न हो सका.
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निर्माणाधीन जीएमपी/जीएलपी टीका औषधि उत्पादन प्रयोगशाला, कांके का निरीक्षण किया गया. उनके द्वारा प्रयोगशाला के प्रोडक्शन व क्वालिटी कंट्रोल यूनिट के निर्माणाधीन भवन से संबंधित तकनीकी विकल्पों पर अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया. मुख्यमंत्री ने स्कपष्हाट शब्दों में कहा कि यह झारखण्ड राज्य के लिए अति महत्वपूर्ण योजना है. यहां जानवरों व पक्षियों के लिए टीका का निर्माण होगा. इसे शीघ्र चालू करने के लिए सरकार प्रयासरत है. जल्द योजना की समीक्षा होगी, ताकि यहां टीका उत्पादन कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके.
टीका उत्पादन को उपयोगी बनाने हेतु शीघ्र बनाई जाएगी कार्ययोजना
मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि औषधि उत्पादन प्रयोगशाला 2014 की योजना है. इसके शुरू होने विलंब हो चुका है. ऐसे में इसमें तकनीकी बदलाव की जरूरत है. इसे लेकर विस्तृत कार्य योजना बनाई जाएगी, ताकि निर्धारित समय सीमा में तमाम अड़चन को दूर करते हुए प्रयोगशाला को चालू किया जा सके.
टीका उत्पादन प्रयोगशाला के निर्माणाधीन भवन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव के निर्देश भी मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए है. इस सम्बन्ध में उनके द्वारा कहा गया कि भवन में लिफ्ट व रैंप की भी व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे सामानों के परिवहन कार्य में सुगमता हो. मसलन, भवन को को ज्यादा उपयोगी बनाने पर जो दिया गया. ज्ञात हो, लगभग 28 करोड 69 लाख 90 हजार रुपए की लागत से इस केंद्र का निर्माण हो रहा है.
प्रत्येक वर्ष होगा एक करोड़ टीका का उत्पादन
पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को बताया कि प्रयोगशाला के भवन निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. अब उपकरणों के इनस्टोलेशन की तैयारियां की जा रही है. इस प्रयोगशाला में हर साल लगभग एक करोड़ टीका का उत्पादन हो सकेगा. इस केंद्र में पशु-पक्षियों के लिए 6 तरह के टीके बनाए जाएंगे. इसमें गलघोटू (एच एस), बीक्यू, एंथ्रेक्स, स्वाइन फीवर और पोल्ट्री वैक्सीन (रानीखेत) शामिल है.
जैव विविधता उद्यान का भी हुआ अवलोकन
मुख्यमंत्री द्वारा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जैव विविधता उद्यान का भी अवलोकन किया गया. उनके द्वारा यहां ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू करने पर जोर दिया गया. और कहा कि यहां से उत्पादित फसलों और वेजिटेबल्स का सप्लाई देश-विदेश में होने की व्यवस्था हो. साथ ही यहां रिटेल आउटलेट भी खोलने की योजना बनाई जाए, ताकि स्थानीय लोग भी इसका लाभ ले सके.