झारखण्ड : सामन्ती प्रोपोगेंडों के बीच हेमन्त सरकार में, राज्य के इतिहास में पहली बार JSSC CGL की बड़े पैमाने पर वेकैंसी आई है. मूल युवा बिना भ्रमित हुए परीक्षा दें और संस्थानों में आपनी भागीदारी बढा सीएम हेमन्त की मंशा को मजबूती दें.
रांची : बीजेपी-आजसू की पूर्व की सरकारों में JSSC के माध्यम से झारखण्ड के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ. सरकारी पदों के रिक्त होने के बावजूद साजिशन नियुक्तियां नहीं हुई. बल्कि जबरन झारखंडी युवाओं को अनुबंध चाकर बनाने पर जोर दिया गया. थोड़े बहुत नियुक्तियां निकली भी तो स्थानीय भाषाओँ की अहमियत समाप्त कर उन नौकरियों को बाहरियों में लुटाया गया. नतीजन बीजेपी, आजसू व संघ की सामंती नीतियों के अक्स में झारखंडी युवाओं की लाचारी दिखी.
मौजूदा सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा जब उन सभी सामंती परम्पराओं को समाप्त करने के प्रयास हुए. तो बीजेपी-आजसू की जोड़ी के द्वारा कोर्ट, ईडी व भ्रम के आसरे हेमन्त सरकार के उन सभी प्रयासों को विफल करने का प्रयास हुआ. बीजेपी नेताओं के अगुवाई में स्थानीय नीति का रद्द होना तथ्य का स्पष्ट उदाहरण हो सकता है. लेकिन सीएम सोरेन ने कभी हार नहीं मानी और सभी सामंती प्रयासों की पार जा झारखंडी युवाओं के हित में नियुक्तियों का सिलसिला आरम्भ करने में सफल हुए.
हेमन्त सरकार में मूलवासियों की नियुक्ति को मिलती है तरजीह
इसी फेहरिस्त में JSSC CGL की बड़े पैमाने पर वेकैंसी आ चुकी है. इसके विज्ञापन राज्य के लगभग सभी अखबारों की शोभा बढ़ा रहे हैं. बताया जा रहा है कि झारखण्ड के इतिहास में पहली बार JSSC CGL की इतनी बड़ी संख्या में वेकैंसी आई है. चूँकि हेमन्त सरकार में परीक्षा शुल्क भी कम है और मूलवासियों की नियुक्ति के मामले में इस हेमन्त सरकार ट्रैक रिकॉर्ड भी लाजवाब है. क्योंकि इस सरकार मूलवासियों की नियुक्ति को तरजीह मिलती है.
मसलन, परीक्षार्थियों को विपक्षी एजेंडे से भ्रमित होने के बजाय अब परीक्षा की तैयारी में जुट जाना चाहिए. और पूर्व की बीजेपी सरकार के नीतियों से सीख लेते हुए अपना व राज्य के भविष्य को सुखद व विकसित बनाने पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि युवाओं को समझना जरुरी है कि झारखण्ड में पूर्व से स्थापित सामन्ती व्यवस्था को बदलने के लिए उन्हें सरकारी संस्थानों में अपनी भागीदारी बढ़ानी होगी. और हेमन्त सरकार व महापुरुषों के मंशा को मजबूती देना होगा.