पूर्व JVM नेताओं के कैनवास पर फिर एक बार जेपी नड्डा का आगमन 

झारखण्ड सीएम हेमन्त के छाँव में जरुरी मांगों के अक्स में जेपी नड्डा के भाषण को फिर एक बार तोलने को बेसब्र. देखना दिलचस्प होगा – वह राज्य को तमाम सन्दर्भ में खुशखबरी देंगे या जुमला सुनायेंगे.

रांची : बीजेपी-आरएसएस की केन्द्रीय लूट के अक्स में बाबूलाल मरांडी का वर्तमान में संकल्प यात्रा झूठ के आसरे झारखण्ड को फिर से भ्रमित करने का प्रयास भर प्रतीत हो चला है. राज्य आज भी पीएम मोदी का, 2014 का हरमू मैदान का वह भाषण नहीं भूला होगा. जिसके अक्स में राज्य ने न केवल विकास के जुमले सुने, झारखण्ड ने खुद को डबल ठगेरों के बीच पाया था. और खरीद-फरोख्त के अक्स में जेवीएम ने 6 विधायकों को भी खोया था.

एक बार जेपी नड्डा का आगमन 

उस दौर में बाबूलाल मरांडी बहुत क्रोधित दिखे थे और मामले में न्यायिक लड़ाई भी लड़ते दिखे थे. जबकि वर्तमान परिस्थितियां संकेत तो यही देते हैं कि यह बीजेपी-आरएसएस और बाबूलाल मरांडी के आपसी मिली भगत का नतीजा भर था. और बाबूलाल जी का भंगिमा केवल राज्य को भ्रमित करने का प्रयास भर था. ऐसा नहीं होता तो फिर वह पूर्व सीएम रघुवर दास को न्यायालय में घसीटते ना कि राज्यपाल रघुवर दास को बुके देकर रोड़ा हटने की खुशी मनाते. 

गुजरात लॉबी के अक्स में झारखण्ड कमल के दलदली ज़मीन पर पूर्व जेवीएम नेताओं का एकछत्र कब्ज़ा 

भाजपा नेता खुद कहते हैं कि दलदली जमीन में ही कमल खिलता है. लेकिन दलदली ज़मीन हमेशा खरनाक होता है. कमजोरों को लील लेता है. इस स्पष्ट तस्वीर को पहले झारखण्ड की जनता ने देखा. और अब झारखण्ड बीजेपी के मूल नेता-कार्यकर्ता व सदस्य-प्रचारक इस तस्वीर को देखने पर विवश हैं. जिसके अक्स में वह बड़ी बेआबरू हो पूर्व जेवीएम के नेताओं के कैनवास में गुजरात लॉबी के दूत यानी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का हार्दिक स्वागत करने पर विवश हैं.

ज्ञात हो, आदिवासी त्रासदी के अक्स में जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल, जो पानी पी-पी कर पूर्व के बीजेपी सरकार के नीतियों को कोसते नहीं थकते थे. वह आज पीएम मोदी के तारीफ के पूल बांधते नहीं थक रहे. वह मोदी के किसान, गरीब, महिला, आदिवासी, दलित, ओबीसी विरोधी नीतियों को सुशासन, विकासशील और कल्याणकारी बताने से नहीं चुक रहे. ऐसे में राज्य की जनता का बाबूलाल के इन परिस्थितियों को उनके सीएम बनने की चाहत से जोड़कर कर देखना क्या गलत है.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का फिर एक बार झारखण्ड की ज़मीन पर आगमन 

बहरहाल तमाम परिस्थितियों के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का झारखण्ड के ज़मीन पर फिर एक बार स्वागत होने जा रहा है. पूर्व के सभी जेवीएम नेताओं में इसकी ख़ुशी है. लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता कि इस बार भी झारखण्ड के मूल वासियों की मांग की त्रासदी जस की तस ही है. ऐसे में राज्य की जनता के बीच संशय की स्थिति है. उनका कहना है कि क्या इस बार वह राज्य की मांगों को पूरा करेंगे या फिर जुमला गा चलते बनेंगे.

वर्तमान झारखण्ड सीएम हेमन्त के छाँव में 1932 स्थानीय नीति, सरना-आदिवासी धर्म कोड, एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण बढोतरी बिल, मोब-लिंचिंग बिल, केन्द्रीय पर झारखण्ड का 1.36 लाख करोड़ बकाया अदायगी जैसे कई ज़रुरी मांगों के साथ केंद्र के तरफ आँखें गड़ाए है. वह जेपी नड्डा के भाषण को एक बार फिर तोलने को बेसब्र है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि वह राज्य को तमाम संदर्भ में खुशख़बरी देंगे या जुमला सुनायेंगे. और बाबूलाल जी का इसपर क्या रुख होगा.

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