झारखण्ड : अक्षय ऊर्जा तय करेगा राज्य का समृद्ध भविष्य 

 झारखण्ड : सौर ऊर्जा को सिर्फ शहर में ही नहीं गाँव-गाँव तक पहुंचाया जाएगा. अक्षय ऊर्जा के माध्यम से हर वह काम होगा, जो कोयले से उत्पादित बिजली से होता है. इसका प्रयोग पेयजल – सिंचाई से लेकर घरेलू दिनचर्या में होगा.

रांची :  झारखण्ड भौगोलिक दृष्टिकोण से ऐसा राज्य है जो पहाड़-पठार, नदी-नाले-सौंत, घने जंगल सहित कई दुर्गम क्षेत्र के बीच बसा है. राज्य में ऐसे कई जगह ट्रांसमिशन के माध्यम से बिजली पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. संचरण लाइन की कनेक्टिविटी में कठिनाइयां और बाधाएं उत्पन्न होती हैं. साथ ही प्राकृतिक पर भी जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे जगहों पर बिजली पहुंचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है. ऐसे में सौर ऊर्जा के माध्यम से घर-घर तक बिजली पहुंचाना राज्य सरकार के इरादे को दर्शाता है.

सौर ऊर्जा नीति 2022 के लोकार्पण में मुख्यमंत्री द्वारा कहा जाना कि आज इसकी शुरुआत गिरिडीह से हो रहा है. झारखण्ड में गिरिडीह जिला को पहला सोलर सिटी के रूप में चयनित किया गया है. और हमारा लक्ष्य है कि हम सौर ऊर्जा को सिर्फ शहर में ही नहीं गाँव-गाँव तक पहुंचाएं. साथ ही पेयजल-सिंचाई से लेकर घरेलू दिनचर्या में भी इस योजना का लाभ लोगों को मिले इस सोच के साथ कार्य योजना बनाकर हम आगे बढ़ रहे हैं. हमारी सोच है कि अक्षय ऊर्जा के माध्यम से लोग हर वह काम कर सकें, जो काम कोयले से उत्पादित बिजली से होता है. निश्चित रूप से यह प्रयास उम्दा सोच के श्रेणी में रखा जा सकता है.

पारंपरिक बिजली स्रोतों के तुलना में सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली की कीमत 2-3 रुपया यूनिट

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां पारंपरिक बिजली स्रोतों से बिजली की कीमत प्रति यूनिट 5 रुपए से अधिक है वहीं सौर ऊर्जा से उत्पादन की गई बिजली की कीमत 2 से 3 रुपया यूनिट ही होता है. झारखण्ड में ऐसे कई जिले हैं जहां 30 से 40 मेगावाट की बिजली की खपत है. इन जिलों में 400 से 500 एकड़ भूमि पर सौर ऊर्जा के माध्यम से पर्याप्त बिजली उत्पादन किया जा सकता है. हमें इन सारी बिंदुओं पर विचार करते हुए अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करते हुए राज्य के भविष्य को समृद्ध बनाना है.

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