झारखण्ड : 21 वर्षों के इतिहास में, साजिशन शिक्षा व्यवस्था को रसातल में पहुंचा गया. स्कूलों को बंद किया गया. हेमन्त सरकार में मॉडल स्कूल के रूप में हुआ क्रांतिकारी बदलाव सभी वर्गों के गरीब बच्चों को करेगा शिक्षित. सामाजिक उत्थान में साबित होगा मील का पत्थर.
रांची : झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि सरकार हर वर्ग को ध्यान में रख कर योजनायें धरातल पर उतार रही है. कोरोना महामारी के कारण बच्चों की शिक्षा में नुकसान हुआ. ऑनलाइन माध्यम से तो कुछ बच्चे पढ़ लिए, लेकिन सरकारी स्कूलों में पढने वाले गरीब तबके के बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उन्हें शिक्षा से महरूम होना पड़ा है. इसलिए हमारी सरकार सभी जिलों में मॉडल स्कूल बना रही है. जो गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तरह सुविधाएं उपलब्ध करायेगी. आगे सरकार इसे ब्लॉक स्तर एवं पंचायत स्तर तक ले जाने की तैयारी कर रही है.
ज्ञात हो, झारखण्ड एक गरीब आदिवासी-दलित बाहुल्य राज्य है. इसके 21 वर्षों के इतिहास में, साजिशन शिक्षा व्यवस्था को रसातल में पहुंचा गया. पूर्व की रघुवर सरकार में मर्जिंग के नाम पर भारी संख्या में स्कूलों को बंद किया गया. नतीजतन, हेमन्त सरकार में सरकारी शिक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में, मॉडल स्कूल (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में बदलाव हेतु बड़ा फैसला लिया गया है. जिसके तहत राज्य के सरकारी विद्यालयों को आधुनिक व उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र के रूप में अलग पहचान मिलेगा.
मॉडल स्कूल में विशेषज्ञ-शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे
मॉडल स्कूल में बच्चों की गुणवत्ता युक्त पढ़ाई के साथ व्यक्तित्व का विकास होगा. मॉडल स्कूल में गुणवत्ता युक्त पढ़ाई से संबंधित सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी. विद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने का संकल्प सरकार द्वारा लिया गया है. मॉडल स्कूल में विशेषज्ञ-शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे. लैबोरेट्रीज, लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब की व्यवस्था होगी. मसलन, यह आधुनिक स्कूल ऑफ एक्सीलेंस हर स्तर पर निजी विद्यालयों के समकक्ष न केवल नजर आएंगे, खुद को स्थापित भी करेंगे.