झारखंड में भाजपा के रघुराज का अर्थ केवल धोखाधड़ी से जमीन-सम्पदा की लूट

ग्‍लॉबल समिट : भाजपा का रघुराज -रघुवर सरकार ने ज़मीन लूटाया झारखंड का और नौकरी के नाम पर युवाओं को बंधुआ मजदूरी करने भेजा बैंगलोर

झारखण्‍ड में, भाजपा के रघुराज में, ताम-झाम के बावजूद मोमेंटम झारखंड का हाथी तो नहीं उड़ा, लेकिन लैंड-बैंक व भूमि अधिग्रहण के आड़ में ग़रीबों की ज़मीन हड़पने का खुला खेल ज़रुर हुआ। झारखंड की स्थिति उस गीत की बोल की तरह हो गयी जिसमें कवि लिखता है -“पतझड़ जो बाग़ उजाड़े, वो बहार खिलाये लेकिन जो बाग़ बहार उजाड़े उसे कौन खिलाये” वैसे खेल में माहिर भाजपा के ब्रांडिंग का नतीजा था कि युवा समेत झारखंडी जनता भी झांसे में आ गयी। और रघुवर सरकार अपनी उन तमाम झूठ को उपलब्धि बता सुर्खियां बटोरी जिसकी सत्यता धरातल पर दूर तलक नहीं दिखती। 

रघुवर सरकार का पूरा कार्यकाल अपने कॉर्पोरेट आकाओं के लिए साजिशन झारखंडी भूमि व सम्पदा की लूट को समर्पित रहा। एक तरफ, बेरोज़गारी के नाम पर राज्यकोष की बर्बादी कर रची गयी ग्‍लॉबल समिट की पूरी पटकथा में, राज्य के बेरोजगार युवा को ठगते हुए केवल ज़मीन लूट हुई। तो वहीं सीएनटी-एसपीटी एक्‍ट जैसे सुरक्षा कवच को भेदने की साज़िश रची गयी। सफलता न मिलने पर जमीन डिजिटलाईजेशन/लैंड बैंक के नाम पर धोखाधड़ी से राज्यवासियों की ज़मीनों को खुलेआम हड़पने का खेल हुआ। अडानी द्वारा पॉवर प्लांट के नाम पर हड़पी गयी जमीन के विरोध में उठे ग्रामीणों की पीठ पर अब भी पुलिसिया डंडे के दाग, इनकी साजिश का गवाही देती है।    

ग्‍लॉबल समिट का कोरा सच 

  • भाजपा के कई सफ़ेदपोश मोटी ज़मीन डील में तत्‍परता के साथ संलग्न दिखे। 
  • राज्‍य में 11.56 लाख एकड़ से अधिक भूमि का लैंड बैंक में होने का दावा किया गया। 
  • उस दौर में रघुवर सरकार हर माह अपनी टीम के साथ विदेश टूर पर आते-जाते रहे।
  • बेरोज़गारी दूर करने नाम बड़ी इंडस्‍ट्री खोलने के सारे वादे खोखले साबित हुए। 

रघुराज के दर्द बयां करते हैं आमजन 

रांची के मंगल मुंडा कहते हैं कि रघुवर के राज में जमीन के नाम पर कईयों की जानें चली गई है। गांव के भोलेभाले लोगों को पता ही नहीं चला कैसे पंजी 2 से  उनका नाम गायब हो गया। ऑनलाइन रसीद-म्‍यूटेशन रजिस्‍ट्री में भी आमजनों के साथ धोखा हुआ। भ्रम में कईयों की जाने गयी। इसी प्रकार आज कई ग्रामीण कहते पाए जाते हैं कि सालों से जिस जमीन पर वे खेती करते रहें। पूर्व की भाजपा सरकार में ऑनलाइन के चक्‍कर मेंं वह भी उनके अधिकार में नहीं रहे।

रघुराज में ज़मीन गयी झारखंड की और बंधुआ मजदूरी करने युवाओं को बेंगलोर भेजा गया  

राजधानी के सहेदा ग्राम निवासी, आईआईटी छात्र विशाल कुमार व उनके दोस्त बताते हैं कि रघुवर सरकार के कार्यकाल में आयोजित ग्‍लॉबल समिट में वे खेलगांव गए थे। वहां उनका बायोडाटा लेते हुए उन्‍हें बैंगलोर भेजा गया। बताया गया कि उनकी नौकरी लग चुकी है। लेकिन बैंगलोर में उन्हें परेशानियां हुई। वापस उसे दोस्‍तों के साथ घर लौटना पड़ा। बाद में जब उसने नौकरी देने ऑफिस में फोन किया तो उन्होंने फोन उठाना ही बंद कर दिया। वाह री भाजपा का रघुराज ज़मीन लिए झारखंड में और बंधुआ मजदूरी करने भेज दिया बेंगलोर। इसे धोखा नहीं तो और क्या कहा जा सकता है।

रघुवर सरकार में जमीन रजिस्‍ट्री का सच

रांची की बेड़ो निवासी उषा बताती है। एक रुपए में जमीन रजिस्‍ट्री के नाम पर खरीदी गई 18 डिसमिल की जमीन रजिस्‍ट्री में 27 हजार रुपए लगे। रांची के डोरंडा के रजिस्‍ट्री ऑफिस में उनसे तय निर्धारित राशि से अधिक रुपए ऐंठे गए। भाजपा सरकार में जोरों से एक रुपया में महिलाओं को जमीन रजिस्‍ट्री की विज्ञापन उछाला गया। कई महिलाओं ने विज्ञापन देख ज़मीन रजिस्ट्री करने का मन बनाया। लेकिन उन्‍हें क्या पता था कि वह ठगी की शिकार होंगी। उषा की तरह कई महिलाओं के साथ भी ऐसा हुआ है।

मसलन, भाजपा के रघुराज को बेरोज़गारी के आड़ में झारखंड की मिटटी में लूट संस्कृति का बीज रोपन काल कहा जाना कोई अतिशयोक्ति नहीं। लेकिन फिर भी मौजूदा दौर में भाजपा की नैतिक पतन का पराकाष्ठा तो देखिये, सच से परे अपनी थेथरलोजी के दम पर फिर से एक बार झारखंडी ज़मीन पर लूट संस्कृति को आजमाने के लिए लगातार प्रयत्नशीन है। जहाँ वह मौजूदा हेमन्‍त सरकार की स्‍थानीय स्‍तर पर रोजगार देने के प्रयास में खोट निकालने में तन-मन धन से जुटे हुए हैं। यदि यही राम राज का उदाहरण है तो फिर रावण राज किसे कहा जा सकता है… 

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