झारखण्ड : पारा शिक्षकों की भांति सहिया बहने भी होंगी स्थायी – सीएम 

झारखण्ड : पूर्व भाजपा सरकार में सहिया समूह की बहनें अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ यम के द्वार खटखटाती रही. इन बीमार बहनों को इलाज के बदले मिली लाठियां. हेमन्त सरकार में इनकी सुध लेना इनके जख्मों पर मरहम लगाने जैसा है 

गोड्डा-झारखण्ड : मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी वर्गों के गरीबों व मध्यम वर्ग के जीवन में हर स्तर में सुधार हो. हमारी सरकार का लगातार प्रयासरत है. आज राज्य का मजदूर हो, व्यक्ति हो, देश-दुनिया में कहीं भी उसके साथ किसी तरह की घटना होती है, तो सरकार पूरी ताक़त के साथ उसकी सहायता करने को तत्पर खड़ी रहती है. हेमन्त सरकार बाक़ायदा इस दिशा में कानून बनाकर कार्य कर रही है.

हमारी सरकार में साजिशन बंद केर दिए गए नौकरियों के दरवाजे फिर से खोले गए गए हैं, युवा को हर स्तर पर बेहतर दिशा देने का प्रयास हो रहा है. जनता सुरक्षित और निर्भय होकर काम कर सके इस दिशा में सरकार नीतियां धर्ताल पर उतार रही है. अनुबंध कर्मियों के भविष्य को स्थिरता दिया जा रहा है. सहिया बहनों की हितों की रक्षा के सरकार ने कदम बढ़ा दिया है. सरकार पार शिक्षकों की भांति सहिया बहनों की समस्याओं के समाधान में बढ़ चली है.

मुख्यमंत्री का प्रयास निश्चित रूप राज्य के सहिया बहनों के जख्मों पर मरहम लगाती दिखती है

ज्ञात हो, पूर्व के भाजपा के रघुवर सरकार मे झारखंड में कार्यरत सहिया समूह की बहनें, अपने घरों व बिलखते बच्चों को छोड़ दयनीय स्थिति में, अपनी मांग के मद्देनज़र महीने भर से राजभवन के निकट जुझारू संघर्ष किया है. अंतिम विकल्प के तौर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ यमराज के द्वार खटखटाई है. लेकिन उस तानाशाही सरकार मांग तो दूर भूख से बीमार हो रही इन बहनों को ठोस मेडिकल सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई गई थी. इनपर बहनों पर लाठियाँ बरसाई गई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का यह प्रयास निश्चित रूप इन सहिया बहनों के जख्मों पर मरहम लगाती दिखती है.

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