विकास के नाम पर झारखंड को लूटने वाली भाजपा के जनप्रतिनिधि अब राज्य के विकास में बन रहे हैं बाधक

नगर विकास विभाग अपने पास रख सीएम सोरेन भ्रष्टाचार पर लगा रहे लगाम. तो बीजेपी जनप्रतिनिधि के चेहरे पर दिख रही है तिलमिलाहट की साफ़ झलक  

रांची नगर निगम जनप्रतिनिधि, मेयर आशा लकड़ा द्वारा नगर आयुक्त मुकेश कुमार के विकास कार्यों का लगातार विरोध, इसी सच की अभिव्यक्ति 

रांची: राजधानी में विकास के नाम पर बीजेपी जनप्रतिनिधियों के घपले की कहानी, हेमंत सरकार में हो रही योजनाओं व परियोजनाओं की जांच से पता चलता है. जाहिर है जांच के उपरान्त काली कमाई के सच भी उजागर होंगे. पिछली भाजपा सत्ता में, राजधानी में सौंदर्यीकरण के नाम पर अरबों रुपये फूंक दिए गए, इस बाबत बीजेपी जनप्रतिनिधि द्वारा स्वच्छता व विकास के दावे भी किये जाते रहे. लेकिन आखिरी सच यही है कि तमाम परियोजना पर जांच की तलवार लटकी हुई है. और तमाम प्रोपेगेंडा जेब भरने की कहानी का सच लिए हुए है.

ज्ञात हो, मौजूदा दौर में, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बतौर नगर विकास मंत्री राजधानी समेत अन्य शहरी निकायों में स्वच्छता, सुंदरता और विकास से सम्बंधित कार्य कर रहे है. लेकिन, बीजेपी जनप्रतिनिधि द्वारा लगातार उन प्रयासों का विरोध किया जाना, उनकी कमीशन परम्परा पर रोक लगाए जाने की अभिव्यक्ति भर हो सकती है. जाहिर है बिना कारण विरोध होना काली कमाई में उत्पन्न अवरोध ही इसका एक मात्र कारण हो सकता है. मामले को रांची नगर निगम के कार्यप्रणाली को टटोलने से भी समझी जा सकती है. जहाँ नगर आयुक्त मुकेश कुमार राजधानी में स्वच्छता, सुंदरता व अन्य विकस कार्य करने की कोशिश कर रहे है, तो मेयर आशा लकड़ा का लगातार बेवजह इसका विरोध करती देखी जा रही है.    

अरबों रुपये वाले योजनाओं के आधे-अधूरे कामों देखने से पता चलती है सच्चाई

बीजेपी जनप्रतिनिधियों के काली कमायी का अंदाजा उनकी कई अधूरे योजनाओं के हश्र देख समझा जा सकता है.

  • हरमू नदी सौंदर्यीकरण योजना (84 करोड़), नाला बनकर रह गया.
  • सीवरेज ड्रेनेज के आधे-अधूरे काम (89 करोड़ खर्च)
  • बड़ा तालाब के अधूरे सौंदर्यीकरण का काम (करीब 10 करोड़)
  • कांटाटोली फ्लाईओवर काम (करीब 17 कऱोड़ रुपये खर्च)

दरअसल उपरोक्त सभी योजनाएं पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. लेकिन इन अरबों रुपये के अधूरे काम जनप्रतिनिधियों के काली कमाई पर मोहर ज़रुर लगाती दिखती है.

सरकार बदलते ही मेयर का हर योजना पर हो रहा है विरोध

बीजेपी सरकार बदलते ही नगर विकास विभाग का जिम्मा मुख्यमंत्री ने स्वयं संभाला. श्री सोरेन के कार्यकाल में सुनियोजित ढंग से राजधानी को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने व विकसित करने की कवायद शुरू हुई. उनकी देखरेख में राजस्व वसूली के कामों में सुधार हुआ. आउटसोर्सिंग कंपनी (स्पेरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड) के मनमानी पर रोक लगाई गई. लेकिन मामले में मेयर आशा लकड़ा का बिना किसी आधार का विरोध. कमीशन परम्परा जैसी काली कमाई पर लगाम लगाना भर हो सकता है. हालांकि, मेयर को बैकफुट पर जाना पड़ा है.

इसके बाद जब आईएएस अधिकारी मुकेश कुमार ने नगर आयुक्त का काम संभाला, तो राजधानी में कई योजनाओं पर काम शुरू हुआ. लेकिन सभी में मेयर आशा लकड़ा का अड़चन डालने के प्रयास. इसी सच्चाई को बयान करती दिखती है.

इनमें शामिल योजनाएँ

  • पुराने विधानसभा के सामने जगन्नाथपुर जाने वाले मार्ग से होते हुए नए विधानसभा तक (60 वाट का 300 एलईडी सोलर पोल लगाने की योजना.
  • राजधानी के विभिन्न मोहल्लों व वार्ड के अंदरूनी क्षेत्रो में लगने वाले एलईडी लाइटों को पैनल से जोड़कर टाइमर से चालू/बंद किए जाने के संबंध में. 
  • निगम क्षेत्र के पांच पार्कों का संचालन एनजीओ के माध्यम से संचालित किये जाने की योजना.
  • निगम के कई वार्डों में करोड़ों रुपये खर्च कर सड़क व नाली निर्माण कराने की योजना. 
  • नगर विकास विभाग द्वारा झारखंड नगरपालिका जल कार्य, जल भार व जल संयोजन नियमावली-2020 पर विरोध.
  • राजधानी के हेहल पोस्ट ऑफिस एनएच-75,  सिटी ट्रस्ट हॉस्पिटल एनएच-23 से न्यू मार्केट चौक ( पिस्का मोड व देवी मंडप रोड) तक मुख्य सड़क के दोनों ओर पेवर ब्लॉक लगाने की योजना.
  • राजधानी को स्वच्छ बनाने के लिए नगर विकास विभाग के सचिव के निर्देश पर नगर आयुक्त द्वारा संचालित “चलो करें कोरोना को डाउन, रांची बनेगा नम्बर वन टाउन” अभियान.

न पार्षदों का समर्थन मिल रहा न ही उनके ही पार्टी नेताओं का

हालांकि, मेयर आशा लकड़ा का विरोध अभी तक चल रहा है. लेकिन उन्हें इस विरोध में किसी वार्ड पार्षद, पार्टी के नेता या अधिकारी का समर्थन न मिलना, तथ्य की सच्चाई को दर्शाता है. ऐसे में मेयर का विरोध करना साफ बताता है कि वह नहीं चाहती है कि राज्य सरकार राजधानी का विकास छोटे बजट में करे.

Leave a Comment