झारखण्ड : किसान पाठशाला बनेगा “सेंटर ऑफ़ एग्रीकल्चर मूवमेंट 

झारखण्ड : ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूतीकरण के मद्देनजर कृषि उत्पादन, पशुपालन, एग्रीकल्चर मूवमेंट, निर्यात जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर समीक्षा बैठक में सीएम के निर्देश अहम  व दूरदर्शी. 

रांची : सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा हुई. इस अहम बैठक में ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूतीकरण के मद्देनजर, फसल प्रणालियों को कृषि उत्पादन से जोड़ने, पशुपालन को बाजार से जोड़ने हेतु मॉडल फार्म स्थापना, कृषि उत्पादों को निर्यात की संभावनाओं से जोड़ने और किसान पाठशाला को सेंटर ऑफ़ एग्रीकल्चर मूवमेंट से जोड़ने जैसे महत्वपूर्ण विकल्पों पर सीएम के द्वारा अहम निर्देश दिए गए.

झारखण्ड : किसान पाठशाला बनेगा "सेंटर ऑफ़ एग्रीकल्चर मूवमेंट

केन्द्रीय नीतियों के खनिज दोहन के अक्स में, मूलवासियों के दृष्टिकोण से झारखण्ड एक कृषि पर निर्भर राज्य है. सीएम हेमन्त के नेतृव वाली सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती में कृषि और पशुपालन को प्राथमिक कड़ी माना गया है. सीएम का मानना है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और पशुपालन की मजबूती से किसानों व गरीबों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी. राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. जिससे पलायन रुकेगा और राज्य में आत्मनिर्भरता और खुशहाली बढ़ेगी.

किसान पाठशाला” को “सेंटर ऑफ़ एग्रीकल्चर मूवमेंट” बनाने पर जोर 

झारखण्ड की हेमन्त सरकार में “किसान पाठशाला” को”सेंटर ऑफ़ एग्रीकल्चर मूवमेंट” बनाने से संरचित और उन्नत तकनीकों के साथ राज्य के किसानों और कृषि आधारित श्रमिकों को शिक्षित और समर्थ बनाया जा सकेगा. इसके माध्यम से किसान लक्ष्य, पाठ्यक्रम, विधी, बजट, संसाधनों का विवरण जैसी एक विस्तृत योजना तैयार कर सकेंगे. 

जिससे उचित स्थान का चयन, आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था, विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम, उत्पादन तकनीक, समय पर बिजाई, समुचित सिंचाई, फसल संरक्षण, पशुपालन, कृषि व्यवसाय नियोजन, विपणन, ग्रामीण समुदाय का गठन, साझेदारी का संवर्धन, आवश्यक सरकारी सहायता और गारंटी, उचित प्रचार-प्रसार जैसे विषयों पर राज्य के किसान दक्ष होगे. 

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए मॉडल फार्म स्थापित करने पर जोर 

मॉडल फार्म आर्थिक दृष्टिकोण से कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और उपयोगी साधन साबित हुआ है. मॉडल फार्म में निहित पशु चिकित्सा जैसी व्यवस्था पशु जनसँख्या को बढ़ावा देगा. जिससे विशिष्ट प्रजाति के आवासीय पशुओं के पालन को व्यावसायिक उत्पादन का आधार देगा. ग्रामीण आर्थिक विकास में मॉडल फार्म एक विकल्प साबित होगा. यह किसानों को पर्यावरण सम्मत अतिरिक्त आय का स्रोत देगा और किसान अपनी ज़मीन और संसाधनों का उपयोग अपने विवेक से कर पायेंगे.

फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने की कवायद 

बैठक में सीएम के द्वारा फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं. फसल प्रणालियों में फसलों को उगाने के लिए अपनाए जाने वाली एकीकृत आवश्यक दृष्टिकोण कम लागत में बेहतर पर्यावरणीय स्थिरता के साथ, गुणवत्तायुक्त अधिक फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. कुल मिलाकर, फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने से कई फायदे हो सकते हैं. ये फायदे किसानों, पर्यावरण और उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होंगे.

कृषि उत्पादों के निर्यात में संभावना तलाशने पर जोर 

कृषि उत्पादों के निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होता है. साथ ही विभिन्न सेक्टरों में नौकरियों के सृजन की भी संभावनाएं बढ़ जाती है. किसानो के उत्पाद को विदेशी बाजार प्राप्त होता है जिससे उनकी आर्थिक- वैचारिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आता है. विदेशी बाजारों से व्यापार करने से कृषि उत्पादकों को नई तकनीक, अधिक मूल्य और अनुभवी व्यापारियों का सहयोग मिलता है. और अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी क्षेत्रों में मजबूती देखी जाती है.

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