झारखण्ड : पहला राज्य जहां बीजेपी जनप्रतिनिधियों के काली कमाई की हो रही जाँच

झारखण्ड : गैर भाजपा शासित राज्यों में पहला राज्य जहां भाजपा जनप्रतिनिधियों के काली कमाई की हो रही जाँच. कम्बल से लेकर छात्रवृति घोटाला तक में शामिल मंत्री-विधायक तक पहुंची जाँच की आंच.

रांची : देश के वर्तमान परिस्थिति में जहां पीएम व गृहमंत्री की कार्यशैली का अक्स केवल गैर भाजपा शासित राज्यों के सरकारों पर जाँच थोपने का सच लिए हों. जहाँ एक तरफ कई आरोप आधारहीन साबित हुए हों . विधायक ख़रीद-फरोख्त व स्थापित राजनितिक पार्टियों को तोड़ने का सच हो. वहां झारखण्ड देश का ऐसा पहला गैर भाजपा शासित राज्य है, जिसने पूर्व के बीजेपी सरकार के मंत्री व जनप्रतिनिधियों की काली कमाई व घोटालों पर जाँच बिठाने का साहस दिखाए. तो एक आदिवासी सीएम का राज्य रक्षा में लोकतांत्रिक जुझारूपन को समझा जा सकता है.

झारखण्ड : पहला राज्य जहां बीजेपी जनप्रतिनिधियों के काली कमाई की हो रही जाँच 

केन्द्रीय सरकार के शक्तियों के दवाव व बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे जैसे सामन्ती सोच से प्रेरित नेताओं के मकड़जाल के बीच एक आदिवासी सीएम का जाँच के दिशा में कदम बढ़ना, उनके लोकतंत्र के प्रति आस्था व लोकतंत्र बचाने की जबरदस्त इच्छाशक्ति को दर्शाता है. केन्द्रीय सत्ता के सामंती सोच के अक्स में हाई कोर्ट को दरकिनार कर ईडी-सीबीआई’ का खुलेआम दुरुपयोग के विरुद्ध सीएम हेमन्त सोरेन का यह लोकतांत्रिक साहस उने व्यक्तिव को भी परिभाषित कर रहा है.

झारखण्ड में हो रहे इस कार्रवाई से पहली बार भाजपा नेताओं में संविधान व क़ानून का डर दिख है. सीएम हेमन्त सोरेन के साढ़े तीन वर्ष का कार्यकाल जहां एक तरफ भाजपा के षड्यंत्रों का सामना करते हुए उसके विधायकों की काली करतूतों का पर्दाफास का ऐतिहासिक उदाहरण पेश कर रहा है. तो वहीं जनपक्ष में शिक्षा, चिकित्सा, क़ानून व्यवस्था सुदृढ़ीकारण व नियुक्ति, रोजगार के अवसर. कर्मचारी अधिकार संरक्षण व महिला सशक्तिकरण के जिवंत सच लिए आगे बढ़ा रहा है.

2024 आमचुनाव के मद्देनजर ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग झारखण्ड में विफल 

ज्ञात हो, देश के अनुभवी पत्रकारों व बुद्धिजीवियों का स्पष्ट मानना है कि केन्द्रीय सत्ता का खुलेआम ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग 2024 लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने का प्रयास भर है. जिसके अक्स में कई गैर भाजपा दलों के विधायक भाजपा में शामिल होने को विवश हुए हैं. इस फेहरिस्त में एनसीपी विधायक हसन मुश्रीफ प्रमुख नाम हो सकता है. इनपर गंभीर घोटाले का आरोप था, भाजपा में जाते ही आरोप मुक्त हुए. लेकिन यह सामन्ती प्रयोग झारखण्ड में विफल रहा. 

आय से अधिक संपत्ति जांच के मामले में हाईकोर्ट में दाखिल हो चुका है पीआईएल 

हेमन्त सोरेन सरकार में झारखण्ड भाजपा के जनप्रतिनिधियों की काली कमाई पर कार्रवाई हो रही है. इसमें बीजेपी के पूर्ववर्ती रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पांच विधायक-मंत्री, अमर कुमार बाउरी, रणधीर कुमार सिंह, नीरा यादव, लुइस मरांडी व नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है. इन सभी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रारंभिक जांच दर्ज करने का आदेश दिया गया है.

ज्ञात हो, पलामू प्रमंडल के डालटनगंज निवासी पंकज कुमार यादव ने इनके खिलाफ झारखण्ड हाईकोर्ट में 2020 में पीआईएल दायर कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की जांच का अनुरोध किया गया था. इनके विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति से संबंधित जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा किया जा रहा है. एसीबी के द्वारा राज्य सरकार से पूर्व मंत्रियों के विरूद्ध पीई दर्ज करने की अनुमति की मांग की गई थी. प्रस्ताव को कैबिनेट से सेस्वीकृति भी दे दी गई है.

अमर कुमार बावरी व रणधीर सिंह के धोखे पर खुद बाबूलाल तक ने लगाया था आरोप 

इस फेहरिस्त में अमर कुमार बाउरी और रणधीर सिंह पर बाबूलाल मरांडी भी धोखाधड़ी का आरोप लगा चुके हैं. ज्ञात हो, 2014 में अमर कुमार बावरी और रणधीर सिंह जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीते थे. बाद में दोनों भाजपा में शामिल हो गए. तब बाबूलाल मरांडी और तत्कालीन विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के द्वारा कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए भाजपा पर विधायक खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया गया था. आश्चर्य है आज बाबूलाल मरांडी इन दोनों आरोपी विधायक का साथ खड़े हैं.

लुईस मरांडी के मंत्री रहते कल्याण विभाग में कथित आरोप 

उपरोक्त पांचों भाजपा नेताओं में से एक नाम लुईस मरांडी का भी है. पूर्ववर्ती भाजपा के रघुवर सरकार में वह कल्याण मंत्री थी. बाद में इनके कल्याण विभाग में करोडों रुपये के कथित छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप सामने आया था. चूँकि यह छात्रों व शिक्षा से जुड़ा मामला था मसलन सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा तत्काल इस घोटाले की जांच कराने की घोषणा की गई है. यह गंभीर मामला भी अभी जांच के दायरे में है.

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