जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई हेतु शिक्षक पद सृजन के प्रस्ताव को हेमन्त सरकार में मिली मंजूरी

कोल्हान विश्वविद्यालय में संथाली, हो, कुडुख, कुरमाली तथा मुंडारी जैसे जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई के लिए शिक्षकों के पद सृजन से संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी, झारखंड में अब किसी एडवर्ड कुजूर जैसे छात्र, जिन्होनें 1984 में कुड़ुख से एमए की परीक्षा फ़र्स्ट डिविज़न में पास की थी, को रिक्शा चला कर जीवन-यापन नहीं करना पड़ेगा

विश्वविद्यालय के 14 अंगीभूत महाविद्यालयों में 135 और स्नातकोत्तर केंद्रों में  24 शिक्षकों के पद किए जाने हैं सृजित   

कोल्हान  विश्वविद्यालय, चाईबासा के अंतर्गत आने वाले अंगीभूत महाविद्यालयों और स्नातकोत्तर केंद्रों में संथाली हो कुडुख, कुरमाली तथा मुंडारी भाषा के संचालन के लिए शिक्षकों के पद सृजन संबंधी प्रशासी पदवर्ग समिति के लिए संलेख प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी है. राज्य के विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार के द्वारा उठाया गया यह कदम शुरुआत भर है, लेकिन झारखण्ड जैसे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र में इसके  दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगा.

ज्ञात हो, पूर्व की सरकारों में, झारखंड में जनजातीय भाषाओं का हाल बुरा हो चला था. रांची समेत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में जनजातीय भाषा विभाग में पार्याप्त शिक्षक तक नहीं थे. नतीजतन, जहां एक तरफ छात्रों में जनजातीय भाषाओँ को लेकर रुचि घटती चली गयी. वहीं, उन्हीं सरकारों के नीतियों के अक्स में राज्य की नौकरियों में बाहरियों का दबदबा बढ़ता गया. और रांची विश्वविद्यालय के पहले बैच के छात्र एडवर्ड कुजूर (1984 में कुड़ुख से एमए की परीक्षा फ़र्स्ट डिविज़न में पास की थी) जैसे ना जाने कितने झारखंडियों को रिक्शा चला कर जीवन यापन करना पड़ा.

 कुल 159 शिक्षकों के पद किए जाने हैं सृजित 

ऐसे में राज्य के विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने की दिशा में हेमन्त सरकार के द्वारा उठाया गया यह कदम, झारखंड के लिए कितना राहत भरा हो सकता है, समझा जा सकता है. ज्ञात हो, कोल्हान विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा के अंतर्गत संथाली, हो, कुडुख, कुरमाली तथा मुंडारी भाषा में कुल 159  शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव है .इसमें सहायक अध्यापक के 147, सह प्राध्यापक के 8 और प्राध्यापक के 4 पद शामिल हैं. 

महाविद्यालयों एवं स्नातकोत्तर केंद्रों में कितने पदों का होना है सृजन 

विश्वविद्यालय के अंतर्गत आनेवाले 14 अंगीभूत महाविद्यालयों में 135 शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव है . इसमें कुडुख भाषा में 6, संथाली भाषा में 39, हो भाषा में 39, कुरमाली भाषा में 39 और मुंडारी भाषा में 12 शिक्षकों के पद का सृजन होना है . वही, स्नातकोत्तर केंद्रों में संथाली, हो, कुरमाली और मुंडारी भाषा में 6-6 पद समेत कुल 24 शिक्षकों के पद सृजित किए जाने हैं .

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