INSACOG के चेतावनी के बावजूद न केंद्र चेता, न रेमडेसिवीर बनाने वाली कम्पनियाँ

कोरोना वायरस के दूसरी वेब को लेकर वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद, एक तरफ केंद्र चुनाव करवाता है तो दूसरी तरफ रेमडेसिवीर जैसी दावा बनाने वाली कंपनियां उत्पाद बंद कर देती है. और अब झारखंड जैसे राज्य को आयात करने की अनुमति नहीं दे रहे. मौजूदा दौर में यह बड़ा सवाल हो सकता है. 

सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिक फोरम मार्च के शुरुआत में ही कोरोना वायरस के दूसरी वेब, अधिक संक्रामक होगा, चेतावनी दे। और इंडियन SARS-CoV-2 जेनेटिक कंसोर्टियम (INSACOG) उन शीर्ष अधिकारी को जानकारी दे, जो सीधे प्रधानमंत्री मोदी को रिपोर्ट करता हो. और सीएमओ मामले में प्रतिक्रिया देना भी मुनासिब नहीं समझे. और चेतावनी के मद्देनजर केंद्रीय सत्ता पाबंदी लागू करने के बजाय चुनावी रैलियों को जिए. और 24 मार्च को स्वास्थ्य मंत्रालय देश में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिलने की बात तो कहे, लेकिन बयान में ‘बहुत चिंताजनक’ शब्द का जिक्र नहीं हो. तो देश क्यों तबाही के सच को जी रहा है समझा जा सकता है.

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच झारखंड समेत देश के कई राज्यों में एंटी-वायरल दवा रेमडेसिवीर की भारी कमी है. घंटो लाइन में खड़े होने के बाद भी यह दवा नहीं मिला रही. सरकार ने हाल ही में इसके निर्यात पर रोक लगाई है. अक्टूबर, 2020 में अमेरिका में कोरोना के इलाज असरदार देख इस दवाई को मंजूरी मिली थी. कोरोना संक्रमितों को जल्द ठीक होने में इंजेक्शन के मदद करती है. मसलन मौजूदा दौर में जीवन रक्षा के मद्देनजर रेमडेसिवीर को किसी रामबाण से कम नहीं आँका जा सकता.

रेमडेसिवीर-इंजेक्शन की कमी क्यों? दवा कंपनियों की दलील 

रेमडेसिवीर की कमी होने के मद्देनजर दवा बनाने वाली कंपनियों का बयान दिलचस्प है. इनका कहना है कि कोरोना को घटते मामलों को देखते उन्होंने दिसंबर से मार्च के दौरान उत्पादन बंद या बहुत कम कर दिया था। वह अपना पल्ला यह कह कर झाड़ रही है कि उन्हें आशंका नहीं थी कि देश में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढौतरी होगी. कंपनियों का मानना है कि दवा आपूर्ति होने में अभी कम से कम 10 दिनों का समय लग सकता है. यहीं से बड़ा सवाल खड़ा होता है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि सरकार व स्वास्थ्य मंत्रालय को वैज्ञानिकों के चेतावानी मिलने के बावजूद ठीक विपरीत कदम उठाये गए. और केंद्र राज्य को  रेमडेसिवीर दवा आयात करने की अनुमति नहीं दे रही.

आयात को लेकर केंद्र क्यों झारखंड को अनुमति नहीं दे रहा? 

इलाज के लिए जरूरी रेमडेसिवीर की कम आपूर्ति के मद्देनजर, चिंतित झारखंड सरकार ने बांग्लादेश की एक दवा कंपनी से इसे ख़रीदने की अनुमति केंद्र सरकार से माँगी है. मुख्यमंत्री द्वारा केंद्रीय रसायन मंत्री को बाकायदा चिट्ठी लिख कर आयात करने की अनुमति मांगी गयी. उस कंपनी से झारखंड सरकार को 50 हज़ार वायल का कोटेशन मिला है. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा न अनुमति मिली है और न ही पत्र का जवाब ही दिया गया है. कोरोना संक्रमण की रफ़्तार को थमने के मातहत झारखंड ने रेमडेसिविर के 76,640 वायल की माँग की थी. लेकिन राज्य को सिर्फ़ 8038 वायल की आपूर्ति कर केंद्र ने चुप्पी साध ली..

बहरहाल, ताज़ा रिपोर्ट तस्दीक करे कि झारखंड में लोगों की मौतें लगातार हो रही है. और केंद्र का अनुमति न देना झारखंड की समस्या और बढ़ा सकती है. यहीं से दूसरा सवाल यह भी हो सकता है कि क्या केंद्र का यह रवैया किसी साजिश के तहत तो नहीं. आखिर क्यों केंद्र को झारखंड के जान की फ़िक्र नहीं?

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