झारखण्ड की परम्परा इसलिए भी महान है कि यह लिंग आधारित भेद-भाव की इजाजत नहीं देता. हेमन्त सत्ता में दिखती है इस संस्कृति की स्पष्ट झलक. झामुमो ने बेबी देवी को दिलाई मंत्री पद की शपथ.
रांची : झारखण्ड में 20 वर्षों के सामन्ती सत्ता के नीतियों के अक्स में दम तोडती महिला स्मिता को हेमन्त सत्ता में नया मानवीय ठोर मिला है. न केवल राज्य के बेटियों को हर क्षेत्र में निखरने का, खुद को साबित का मौक़ा मिला है. हाउस वाइफ जैसे संज्ञा से प्रचलित महिलाओं के सामाजिक सोच को फैलने का मौका मिला है. पुरुष मानसिकता तले वर्षों दबे गृहणियों के कुशल प्रबंधन को झारखण्ड विकास में सशक्त भागीदारी मिली है, चार दिवारी में दबे उनके लोकतांत्रिक आव़ाज को गूँज मिली है.
इस कड़ी में, सीएम हेमन्त के नेतृत्व में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के द्वारा बेबी देवी को मंत्री पद की शपथ दिला एक ओर निर्णायक कदम आगे बढ़ाया गया है. ज्ञात हो, झारखण्ड में स्वर्गीय जगरनाथ महतो (दा) को एक जननेता के तौर पर जाना जाता है. झामुमो के विचारधारा में सने उनके व्यक्तिव में मानवता को पनाह मिलती है. जिससे वह सफल मंत्री के रूप में भी जाने जाते रहेंगे. ऐसे में सोचनीय है कि क्या बेबी देवी के त्याग, सहमती व प्रबंधन के बिना यह संभव हो सकता था? बिकुल नहीं.
मसलन, बेबी देवी के रूप में स्वर्गीय जगरनाथ महतों की विचारधारा को झारखण्ड में आगे बढ़ने देने का झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का निर्णय न केवल सराहनीय है, जन हित में भी कल्याणकारी है. और सीएम हेमन्त सोरेन का यह निर्णय निश्चित रूप से राज्य की आधी आबादी के लोकतांत्रिक सोच को राज्य विकास में भागीदार बनने का मौक़ा देगा. कोरोना संकट के भांति जब उनके कुशल प्रबंधन ने राज्य में एक भी भूख से मौत नहीं होने दी, को राजनीति में रचने-बसने का मौक़ा देगा.