सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ED निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को अवैध करार दिए जाने से विपक्ष, गैर बीजेपी सरकार व जनता न केवल मोदी सरकार के सच से अवगत हुए, राहत की सांस भी ली है.
रांची : देश भर में गैर बीजेपी सरकारों व विपक्ष का ED पर केन्द्रीय सत्ता के दबाव में काम करने का आरोप है. विपक्ष के द्वारा स्पष्ट कहा गया कि ED केवल मोदी सरकार के नीतियों से इत्तेफाक न रखने वालों की जाँच करता है. और उनकी गलत तरीके से गिरफ्तारी करता है और उनपर झूठे आरोप लगाए हैं. वहीं इडी के निष्पक्ष व उसके पास पुख्ता सबूत होने का सच सांसद संजय सिह से माफ़ी मांगने जैसे प्रकरण से जा जुड़े, तो देश में इडी (ED) जैसी संस्थान की के स्वतन्त्र व निष्पक्षता की असल हकीक़त समझी जा सकती है
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय मिश्रा के तीसरे सेवा विस्तार को अवैध करार देते हुए पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह संवैधानिक संरक्षणों व ईडी के स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन है. और इडी डायरेक्टर के सेवा विस्तार को रोकने का आदेश केंद्र सरकार व संजय मिश्रा दोनों पर लागू होता है. इसलिए 17 नवंबर 2021 और 17 नवंबर 2022 को मिश्रा को सेवा विस्तार देने का केंद्र सरकार का आदेश कानूनी तौर पर अवैध है.
ED जैसे संस्थान पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप एक गंभीर मामला
मोदी सरकार में भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी संस्थान पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप एक गंभीर मामला है. यह आरोप भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाता है. यह आरोप यह भी बताता है कि देश में आरएसएस के विचारधारा को हथियार बनाकर शासन करने वाली मोदी सरकार में लोकतांत्रिक सस्थानों पर राजनीतिक दबाव अधिक बढ़ा है. जिसके अक्स में संस्थान जनहित के बजाय सत्ता के एजेंडा हित में कार्य करने को विवश है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विपक्षी दल, गैर बीजेपी सरकार व जनता न केवल मोदी सरकार के कार्यप्रणाली के काले सच से अवगत हुए हैं, राहत की सांस भी ली है. वे लंबे समय से संजय मिश्रा के सेवा विस्तार का विरोध कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ED जैसी महत्वपूर्ण संस्थान के स्वतंत्रता के सिद्धांत को भी बल मिला है. ED देश का एक अत्यंत महत्वपूर्ण जांच एजेंसी है और इसका स्वतंत्र होना और अंतःकरण से निष्पक्षत कार्य करना अत्यंत आवश्यक है.