हूल दिवस पर पीएम ने राष्ट्र के संबोधन में स्वतंत्रता सेनानियों को नमन नहीं किया

हूल दिवस पर पीएम ने राष्ट्र को संबोधन किया. लेकिन उन्होंने न ही झारखण्ड को शुभकामना दी और न ही स्वतंत्रता संग्राम में सबसे पहले कूदे नायकों को याद ही किया

जब पीएम देश को संबोधित कर रहे थे, वह 30 जून था. झारखंड के लिए वह खास दिन होता है। क्योंकि, झारखंड के लिए वह क्रांतिकारी दिन है। उस दिन, लोग अपने उन नायकों को एक त्यौहार के रूप में याद करके मनाते हैं जिन्होंने देश में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई कि पहली शुरुआत की थी।

झारखंड के लोग उन वीरों को नमन करते हुए अपनी सोशल मीडिया वॉल को पट देते हैं। उस दिन के महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि झारखंड में उस दिन सरकारी अवकाश भी घोषित है। उस दिन को हूल दिवस कहा जाता है।

उस दिन देश के प्रधान मंत्री को चीन के विवाद से ज्यादा देश के लोगों की भूख की चिंता थी! इसलिए, उन्होंने उन 20 शहीदों के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला। न ही चीन को कोई कड़ा संदेश दिया। लेकिन, दिलचस्प यह है कि उन्होंने न तो झारखंड वासियों को हूल दिवस पर कोई बधाई दी और न ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ देश के पहली क्रांति के अगुवा शहीद नायकों को याद किया। जो एक दुखद बात है।

झारखंड के मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के दिन नायकों को पीएम द्वारा याद नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई और खेद व्यक्त किया

हूल दिवस

हालांकि, झारखंड के मुख्यमंत्री ने इस पर आपत्ति जताई और खेद व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस रवैये से पता चलता है कि उन्हें झारखंड की कितनी परवाह है। खेद व्यक्त करना भी जायज़ है। क्योंकि, वह झारखंड के वीर सपूत थे, जिन्होंने देश में सबसे पहले क्रांति का बिगुल फूंका। शायद उन्हें याद करना मोदी जी और उनकी विचारधारा को स्वीकार्य नहीं है!

मसलन, सोशल मीडिया पर लोग हूल दिवस पर पीएम ने राष्ट्र के संबोधन में स्वतंत्रता सेनानियों को नमन नहीं पर कह रहे हैं, साहब अभी चुनावी मोड़ पर आ चुके हैं। और चुनावी लड़ाई जीतना देश में किसी भी युद्ध से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। चूंकि देश भर में बिहार राज्य में सबसे ज्यादा गरीबी है। इसलिए मोदी जी की घोषणा का असर निश्चित रूप से बिहार चुनाव पर पड़ेगा। क्योंकि बिहार में नवंबर माह में चुनाव होने हैं।

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