झारखण्ड : हेमन्त का उत्कृष्ट विद्यालय – गरीबों में भर रहा नई आशा 

झारखण्ड : देश-राज्य विकास की पहली शर्त शिक्षा है. कल तक जो जनता बच्चों को सरकारी स्कूल से निकाल, पेट काट कर अंग्रजी मीडियम स्कूल में पढ़ाने को विवश थी. वह आज अपने बच्चों को सीएम हेमन्त के उत्कृष्ट विद्यालय में गर्व से पढ़ाना चाह रहे. क्या सीएम सोरेन का दूरदर्शी सोच सुनिश्चित कर रहा है झारखण्ड का आधुनिक भविष्य?

रांची : झरना कच्छप जैसी कईयों के अपने बेटी-बेटों का नामांकन अब हेमन्त सरकार के उत्कृष्ट विद्यालय में ही कराने की चाहत, झारखण्ड की स्पष्ट नई तस्वीर पेश करती है. झारखण्ड में कल तक जो जनता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल से निकाल, अपना पेट काट कर अंग्रजी मीडियम स्कूल में पढ़ाने को विवश थी. वह जनता आज स्वेच्छा से अपने बच्चों को सीएम हेमन्त सोरेन के उत्कृष्ट विद्यालय में गर्व से नामांकन करा रहे हैं ताकि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ा कर अपना भविष्य गढ़ सके.

झारखण्ड: हेमन्त का उत्कृष्ट विद्यालय -गरीबों में भर रहा नई आशा

ज्ञात हो, यह वही गरीब राज्य है जहाँ पूर्व की बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने हजारों स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद करने का ऐतिहासिक पाप किया. सके द्वारा दलील दी गई कि राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम है. लेकिन, यह नहीं बताया गया कि उसके विचारधारा में ऐसी-एसटी, ओबीसी व गरीबों के बच्चों को पढने का अधिकार नहीं है. इसके बावजूद भी इस वर्ग के अपने बच्चों को पढ़ाना है तो अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को मोटी फ़ीस दें. जो शिक्षा के अधिकार को मुँह चढ़ाती है.

लेकिन, सीएम हेमन्त के दूरदर्शी सोच ने राज्य में पूर्व से चली आ रही दो कोठरी वाली सरकारी स्कूलों की परम्परा को ध्वस्त कर उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में सभी के लिए पूर्ण शिक्षा की नीव रखी. यह निश्चित रूप से झारखण्ड का भविष्य निर्धारित करेगा. उत्कृष्ट विद्यालयों में नामांकन हेतु कुल 12146 सीट की तुलना में 29863 आवेदन विद्यालय प्रबंधन को प्राप्त होना, ना केवल शिक्षा के अधिकार संरक्षण का वकालत करता है, पहली बार राज्य के लोगों में नई आशा भी भर रहा है.

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