पर्यावरण पर दो सरकारों की सोच : भाजपा के 8.25 लाख पौधा लगाने का दावा खोखला, अब हेमंत सरकार लगाएगी 1.65 करोड़ पौधा

एनजीटी के आरोप और तालाबों एवं जलाशयों को कंक्रीट से घेरने से साफ है कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पर्यावरण को पहुंचाया गया क्षति

रांची। जल-जंगल और जमीन से भरपूर झारखंड प्रदेश को प्राकृतिक धरोहर का कई वरदान मिला हुआ है। इसमें सबसे प्रमुख वरदान हरियाली को लेकर है। लेकिन राज्य गठन के पहले और बनने के 20 सालों तक इस राज्य का दोहन ही किया गया है। चाहे खनिज संपदा को लुटने की बात हो, या वनों में पाये जाने वाले बहुमूल्य पेड़ों को काटकर लकड़ी बेचने का। इन सभी कामों को अप्रत्यक्ष तौर पर राजनीति संरक्षण मिलता रहा है। इसका हश्र यह हुआ है कि आज झारखंड बिगड़ते प्रदूषण की राह पर है। पूर्ववर्त की भाजपा सरकार में किस तरह से पर्यावरण को क्षति पहुंचायी गयी है, इसका जीता-जागता उदाहरण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिये आदेश और विकास के नाम पर कंक्रीटों के जाल से पता चलता है। इसे देखते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सोच है कि पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से राज्य में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए। वन महोत्सव के अवसर पर हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि 2021 में ही राज्य में 1.65 करोड़ पौधे लगाये जाएगें। यह पौधा खाली पड़े जमीनों में लगाया जाएगा।


अगर भाजपा पर्यावरण सोच को ध्यान में रखकर काम करती, तो नहीं होती आज परेशानी


झारखंड से विशेष प्रेम रखने वाले मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने 1.65 करोड़ पौधा रोपण की घोषणा आखिर क्यों किये। अगर इसकी जानकारी ली जाए, तो पता चलेगा कि पूर्व रघुवर सरकार ने भी वन महोत्सव के दौरान सभी 24 जिलों में पौधारोपण का फैसला किया था। 2019 को तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने कहा था कि राज्य के सभी 24 जिलों में 44 नदियों के 64 स्थानों के किनारे 274 किमी में 8.25 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इतना ही नहीं, राज्य को वनों से आच्छादित कर पहला राज्य बनाने की बात कर रघुवर ने कहा था कि सरकार जो भी विकास कार्य करेगी उसमें प्रकृति के संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाएगा। लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार ने इसके उलटा ही काम किया।


एनजीटी ने माना,विधानसभा और हाईकोर्ट बनाने में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन


रघुवर सरकार की पर्यावरण विपरित सोच की पुष्टि तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिये एक आदेश से ही हो जाती है। सितम्बर 2020 को ट्रिब्यूनल ने कहा था कि झारखंड सरकार ने पर्यावरण नियमों और स्थापित मानदंडों का उल्लंघन कर राज्य विधानसभा और हाईकोर्ट के नए भवन निर्माण का निर्माण कराया है। इससे पर्यावरण को क्षति पहुंची है। पर्यावरण क्षति को देखते हुए एनजीटी ने राज्य सरकार पर जुर्माना भी लगाया। जाहिर है कि यह काम रघुवर सरकार के दौरान ही किया गया था। क्योंकि विधानसभा और हाईकोर्ट के नए भवन का निर्माण कार्य पूर्ववर्ती सरकार में ही शुरू किया गया था।


पर्यावरण को ध्यान में रखकर हेमंत सरकार ले रही है नीतिगत फैसला


भाजपा सरकार की सोच से विपरित हेमंत सोरेन सरकार पर्यावरण को ध्यान में रखकर नीतिगत फैसला ले रही है। मुख्यमंत्री का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण की बातें तो हम बहुत करते हैं। लेकिन उसपर खरा नहीं उतरते है। ऐसे में पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा। इसके लिए सीएम ने वनों के महत्ता को समझते हुए फैसला किया है कि 2021 में 1 करोड़ 65 लाख पौधा लगाए जाएगें। वही वन महोत्सव यानी मंगलवार (13 जुलाई 2021) के दिन पूरे राज्य में 5 लाख पौधे लगेंगे। यानी जहां भाजपा सरकार 15 दिन में 8.25 पौधा लगाने का दावा कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में केवल खानापूर्ति की। वहीं हेमंत सरकार की सोच इससे काफी आगे है।


पूर्ववर्ती सरकार ने तालाबों को कंक्रीटों से घेरा, नतीजा अब इसके अस्तित्व पर संकट


पर्यावरण को नजरअंदाज कर भाजपा राज में किस तरह विकास का खोखला काम किया गया है, वह तो राजधानी स्थित तालाबों और डैमों के चारों और बने क्रंकीट से समझा जा सकता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि रांची स्थित ऐसे बड़े तालाब और डैम को कंक्रीट से घेरना सही नहीं हैं। इन जलाशयों के संरक्षण के प्रति हम गंभीर नहीं हुए तो गंभीर परिणाम देखने को मिल सकता है। बता दें कि पूर्ववर्ती सरकार में राजधानी के बड़ा तालाब, करमटोली तालाब को कंक्रीट से घेरा गया है। इससे तालाब के अस्तित्व पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

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