कोरोना – जहाँ घर में घुसे रहे भाजपाई वहां हेमंत ने हर मोर्चे पर लड़ी जनता की लड़ाई

कोरोना से जंग में हेमंत सरकार के एक मंत्री हो चुके हैं शहीद तो दूसरा अस्वस्थ 

राँची। झारखंड राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व केंद्र की गलत नीतियों के कारण सत्ता गवां  चुकी प्रदेश भाजपा नेताओं का हतोत्साहित का आलम यह है कि उनकी नैतिकता तक ने जवाब दे दिया है। अगर ऐसा नहीं होता तो निस्संदेह उन्हें कोरोना जैसे संकट के दौर में अल्प संसाधन के मद्देनज़र, जहाँ केंद्र तक पस्त दिखती है, वहां हेमंत सरकार की उपलब्धियां उन्हें ज़रूर नजर आती। 

पूरे कोरोना काल के दौरान प्रदेश के भाजपा नेता या तो क़ानून तोड़ विभीषण की भूमिका में रहे या फिर घर में छिपे रहे। जिसकी गवाह अखबार की सुर्खियाँ हो सकती है। उनके द्वारा हेमंत सरकार को निकम्मी बताना हास्यास्पद से अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता। और ऐसा कर वह खुद की गरिमा पर ठेस पहुंचा रहे हैं। जबकि हकीक़तन पूरे कोरोना काल में हेमंत सोरेन व उनके तमाम सरकारी तंत्र राज्यवासियों के लिए हर मोर्चे पर डटी रही है। हेमंत सरकार की कई ऐसी उपलब्धियां भी है जाना केंद्र की भाजपा ने भी घुटने टेके हैं। 

विडम्बना देखिये राज्य का जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि को देने से मुकरने वाली भाजपा खुद की फ्रॉड को एक्ट ऑफ़ गॉड बताती है। और राज्य सरकारों को निकम्मी बता रही है। आदतन येन-केन-प्रकारेण राजनीति में बने रहने की लालसा में वह जनता को मुर्भाख समझने की भूल कर रही है। झारखंड भाजपा हेमंत सरकार को खराब सड़कों को लेकर घेरने का प्रयास कर रही है। जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि पर केंद्र के खिलाफ बोलने की हिम्मत ना रखने वाले नेताओं को रघुवर सरकार में रही सड़कों की हालत का लेखा-जोखा भी ज़रुर देना चाहिए। 

हेमंत सरकार का रघुवर सरकार की तरह कर्ज न लेने का भाजपायीओं को दुःख

मसलन, इन भाजपा नेताओं को केवल यह दुःख है कि हेमंत सरकार रघुवर सरकार की तरह कर्ज न लेते हुए अल्प संसाधन में झारखंड को उबारने का प्रयास कर रही है। हेमंत के स्वावलंबी अभियान से नेताओं की ठाठशाही में कमी आयी है, जिसकी उन्हें आदत अबतक नहीं रही है।   

राज्यों के आर्थिक पिलर को मोदी सरकार पहले ही कर चुकी है ध्वस्त 

दरसल, भाजपा नेता झारखंड को देश से अलग समझते है या फिर यूँ कहे कि गैर भाजपा शासित राज्य देश से अलग है। क्योंकि, भाजपा खुद कहती है कि देश की आर्थिक हालत खराब है, लेकिन झारखंड की स्थिति देश की स्थिति से परे बताती है। भाजपा की राजनीति का स्तर देखिये आर्थिक संकट में राज्य के सच्चे बेटे यानी सिविल सोसाइटी के लोग राजधानी के गढ्ढों को भरने के लिए आगे आ रहे हैं। तो मुद्दराहित भाजपा इसमें भी राजनीति करने से नहीं चुक रही।

जबकि, राजधानी के सड़कों की खराब हालत के लिए भाजपा सरकार ही जिम्मेवार है। केंद्र की मोदी सत्ता ने पहले राज्य के आर्थिक पिलर को तहस नहस कर दिया, फिर जीएसटी का बकाया 2500 करोड़ भुगतान करने से मुकर गयी। और रघुवर साहेब पहले ही राज्य का ख़ज़ाना खाली चके हैं। रही कसर कोरोना ने पूरी की है। यकीनन यदि राज्य में भाजपा की सरकार होती तो निश्चित ही राज्य की सारी समस्या भगवान द्वारा उत्पन्न की गयी होती! ऐसे में भाजपा नेताओं द्वारा आरोप लगाना केवल मौकापरस्ती ही हो सकती है। 

मसलन,  हेमंत सरकार के परुषार्थ में कोई कमी नहीं है। यह सरकार कर्ज लेने की दिशा में ना जाते हुए राज्य के संसाधनों से झारखंड को फिर से खड़ा करने का प्रयास करती दिखती है। ज्ञात हो कि इस सरकार ने अपने स्वावलंबी अभियान में अपना एक सिपाही मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के रूप में खो चुकी है और दूसरा अस्पताल में जंग लड़ रहा है। राज्यवासियों को चाहिए वह अपने झारखंडी सरकार पर भरोसा रखे। और अपने घर सोना झारखंड को संभालने में योगदान देने से न चूकें।

तीन बार कोरोना जाँच कराने वाले हेमंत होम आइसोलेशन में भी करते रहे हैं काम 

हेमंत सरकार राज्य को कोरोना मुक्त कराने और विकास को पटरी पर लाने के लिए मुस्तैदी से लड़ते दीखते हैं। कोरोना पॉजिटिव सहकर्मियों के संपर्क आने के बाद मुख्यमंत्री को तीन बार कोरोना जांच कराना पड़ा हैं। साथ ही होम आइसोलेशन में भी वह काम करते रहे हैं। कोरोना संक्रमितों के बीच हेमंत सोरेन द्वारा सोशल डिस्टेसिंग का पालन, मास्क व सैनिटाइजर उपयोग कर जनता के समक्ष उदाहरण भी पेश किया है।

जब भाजपा नेता दिल्ली से भाग कर घर घुस रहे थे, तब हेमंत प्रवासी समेत जनता को  पहुँचा रहे थे राहत सामग्री

कोरोना से लड़ाई में सरकार के प्रयासों को देखे तो अंतर साफ़ पता चलता है। जब कोरोना के डर से भाजपा नेता दिल्ली में फंसे प्रवासियों को छोड़ कर घर गुस रहे थे। उस वक्त सीएम हेमंत सोरेन बिना किसी डर के राजधानी राँची के कंटेनमेंट जोन पहुँच जायजा ले रहे गये। रात में बाइक पर भी गस्त लगाते देखे जा सकते थे। उन्होंने बड़ी मुस्तैदी के साथ राज्य के लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाया। वे पीडीएस डीलरों को भी नहीं बक्शे।  

इतना ही नहीं उन्होंने 24 मार्च को लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से कभी भी छुट्टी नहीं ली है। कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर राज्य में उत्पन्न स्थिति का जायजा वे हमेशा लेते रहे हैं। अधिकारियों से लगातार बातचीत व दिशा निर्देश देते रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा उठाये जानेवाले कदमों पर न केवल विचार करते रहे हैं, बल्कि वे अधिकारियों को कड़े शब्दों में निर्देश देने से नहीं चूके।

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