झारखण्ड सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली 2021 को मंजूरी दे हेमन्त सोरेन ने पारा शिक्षक भाइयों से किए बादे को निभाया. सहायक शिक्षक के रूप में पारा शिक्षकों का झारखण्ड में अभिनन्दन…
झारखण्ड : अलग झारखण्ड के इतिहास में पारा शिक्षक शब्द त्रासदी के रूप में जाना जाता रहा है. चूँकि राज्य में कार्यरत अधिकाँश पारा शिक्षक झारखण्ड की मूल जनता हैं. मसलन, यह विषय भाजपा जैसे बाहरी मानसिकता पर आधारित दलों के लिए एक उर्वर राजनीति की ज़मीन साबित हुई. और ऐसे में झारखण्ड की सत्ता में 14 वर्षों तक काबिज संघ-भाजपा विचारधारा ने राजनीति के मद्देनजर मुद्दे में केवल ठगने का काम हुआ. जिससे राज्य में पारशिक्षकों की समस्या सुलझने के बजाय और उलझती और गंभीर होती चली गई. अंततः यह राज्य के लिए एक विराट समस्या बन कर उभरा.
ऐसे में राज्य के पारा शिक्षक अपने अस्तिव के मद्देनजर मूल कार्य पठन-पाठन से ज्यादा सड़कों पर आदोलन-धरना प्रदर्शन करने पर विवश हुए. चूँकि केन्द्रीय भाजपा की नीतियाँ देश भर में नौकरियां छिन रही थी तो जाहिर है ऐसे में पारा शिक्षकों की मांग कहां मायने रख सकती थी. मसलन, पूर्व की भाजपा के डबल इंजन सरकार द्वारा झारखण्ड स्थापना दिवस जैसे पावन दिवस के दिन इन झारखंडी बेटों पर लाठियां बरसाई गई. पूर्व मुख्यमंत्री ने इन किस्मत के मारों को गुंडा तक कह संबोधित किया. जिसपर दिशुम गुरु शिबू सोरेन द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी. और विडंबना रही कि आजसू पार्टी के अगुवा सुदेश महतो भी भाजपा के कुकर्म में भागीदार रहे.
झारखण्ड सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली 2021 को मंजूरी दे हेमन्त सोरेन ने अपने भाइयों से किए बादे को निभाया
नतीजतन, पाराशिक्षक अपनी समस्याओं को लेकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से संवाद स्थापित किया. और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने पारा शिक्षकों धाडस बंधाते हुए कहा था कि राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वह इस समस्या चिरकालीन हल निकालेंगे. विधान सभा चुनाव का दौर गुजरा और जनता उस डबल इंजन सरकार को खारिज किया. हेमंत सोरने ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ लिया. लेकिन राज्य के लिए यह बदलाव इतना आसान था. हेमन्त सरकार राज्य के मूल समस्याओं के तरफ बढ़ ही रही थी और उसके द्वारा कमिटी गठन किया ही गया था कि देश के साथ राज्य को भी कोरोना जैसे महामारी जकड़ लिया.
झारखण्ड सरकार के शिक्षामंत्री स्वयं संक्रमित हुए और यम से जंग जित वापिस आये. वो कहते हैं दूध का जला छांछ भी फूंक के पीता है. मसलन राज्य के पारशिक्षक कई मौकों पर अपनी मांगों को कई माध्यमों से सरकार के समक्ष रखते रहे. और सरकार उन्हें भरोसा दिलाती रही कि वह उनकी समस्या पर कार्य कर रही है. हालांकि भाजपा द्ववारा फिर एक बार पाराशिक्षकों को बरगलाने का प्रयास हुआ, लेकिन तब्बजों न मिलने से कुछ न कर पायी. अंततः राज्य के पाराशिक्षकों के लिए 19 जनवरी 2022 का दिन खुशखबरी लेकर आया. झारखंड सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली 2021 को कैबिनेट ने मंजूरी दे हेमन्त सोरेन ने अपने भाइयों से किए बादे को निभाया.
झारखण्ड सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2021
शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल के सहमती से हेमंत सरकार द्वारा झारखण्ड के पारा शिक्षक को स्थायी करने का फैसला लिया गया. राज्य के 46776 प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को टेट पास करने पर मानदेय में तीन हजार की अतिरिक्त वृद्धि होगी. यह राशि एक जनवरी से होने वाली 40 फीसदी वृद्धि के अतिरिक्त होगी. झारखण्ड सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली 2021 में इसके लिए प्रावधान किए गए हैं. जिसे कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. नियमावली के लागू होने के साथ राज्य के 62,876 पारा शिक्षक अब सहायक अध्यापक कहलाएंगे. उनकी सेवा उम्र 60 साल तक की होगी. और सेवाकाल में मौत होने पर उनके आश्रित को अनुकंपा पर नौकरी मिलेगी.
सहायक शिक्षकों के मानदेय में कितनी वृद्धि हुई
कैबिनेट ने टेट पास ट्रेंड सहायक शिक्षकों के मानदेय में एक जनवरी से 50 फीसदी जबकि सिर्फ ट्रेंड सहायक शिक्षकों के लिए 40 फीसदी की वृद्धि को मंजूरी दी गयी है. ट्रेंड के लिए आकलन परीक्षा होगी, जिसमें पास होने पर मानदेय में 10 फीसदी की अतिरिक्त वृद्धि होगी. वर्तमान में पहली से पांचवीं के सिर्फ ट्रेंड पारा शिक्षक को 12000 मानदेय मिलता है. 40 फीसदी वृद्धि के बा अब सहायक शिक्षक के रूप में उन्हें 16800 रुपए मिलेंगे.
वहीं, आकलन परीक्षा में पास करने पर सहायक शिक्षकों को मानदेय में 10 फीसदी अतिरिक्त वृद्धि होगी. ये पारा शिक्षक अगली टीईटी में पास कर जाते हैं तो इन्हें टेट पास के समतुल्य 21000 रुपये मानदय मिलेंगे. इस आधार पर टेट पास करने पर उनके मानदेय में तीन हजार की अतिरिक्त वृद्धि होगी. इसी तरह छठी से आठवीं के प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 13000 से बढ़कर 18,200 रुपए मिलेंगे. आकलन परीक्षा पास करने पर 19500, जबकि टेट पास करने पर 22,500 का मानदेय मिलेगा.
पारा शिक्षकों के परिजनों को आर्थिक मदद के साथ उनके बच्चों की पढ़ाई व बेटी-शादी पर मिल सकेगा ऋण
ज्ञात हो, हेमन्त सरकार की सामाजिक सुरक्षा केवल शिक्षकों की सेवा अवधि में मौत के बाद आर्थिक मदद तक ही नहीं थमता. इससे आगे उनके बच्चों की पढाई, बेटी की शादी जैसी जटिल समस्याओं को भी सुलझाती है. पारा शिक्षकों, प्रखंड साधन सेवी, संकुल साधन सेवी और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व अन्य कर्मियों के अचानक मौत होने की परिस्थिति में बड़ा फैसला ले सकती है. सरकार इसके लिए एक कल्याण कोष बना के तरफ बढ़ चली है. जिसमे कर्मी इस कोष की सदस्यता लेते हुए भविष्य निधि के तौर पर प्रतिमाह 200 रुपए जमा कर सकेंगे.
जहाँ सरकार सेवा के दौरान मौत होने पर परिजनों को 5 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद करेगी और असाध्य रोगों के इलाज के लिए 1 लाख रुपए, सेवा अवधि के दौरान दिव्यांग होने पर 2 लाख, अद्दर्ध दिव्यांगता होने पर डेढ़ लाख रुपये भी देगी. यह कोष इन्हें ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराएगी. जिससे पारा शिक्षक 2 लाख तक के राशि से अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के सपने को पूरा कर पायेंगे. और डेढ़ लाख की भी सुविधा से बच्चियों की शादी कर सामाजिक दाईत्व भी निर्वाह कर सकेंगे.