झारखण्ड : अनुशंसा समिति की अनुशंसा पर नौकरी मिलने से खिल रहे हैं चेहरे. अप्रैल से मई-2022 तक 111 आश्रितों को समिति की अनुशंसा पर मिली सरकारी नौकरी. स्थापना कार्यालय की अनुशंसा से कईयों की जीवन में आई ख़ुशियाँ
रांची : हेमन्त सरकार में जिला अनुकंपा समिति तमाम सरकारी कर्मियों के परिजनों की आस बन कर उभरी है. ज्ञात हो, कर्तव्यों का निर्वहन कर दुनिया से चले बसे सरकारी कर्मियों के परिजनों में हेमन्त सरकार ने नयी उम्मीद जगाई है. इस समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य सेवा काल में दिवंगत सरकारी सेवकों के आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी प्रदान करने हेतु अनुशंसा करना है. समिति द्वारा संबंधित दिवंगत सरकारी सेवक के परिवार को वित्तीय राहत देने तथा आपात स्थिति से उबारने में सहायता प्रदान की जाती है.
झारखण्ड में 111 आश्रित परिवारों को मिला सरकारी नौकरी
पश्चिमी सिंहभूम जिले केके अंतर्गत अप्रैल-2021 के उपरांत मई-2022 तक अनुकंपा समिति के सदस्यों की उपस्थिति में तकरीबन 8 बार जिला अनुकंपा समिति की बैठक संपन्न हुई. प्राप्त अनुकंपा मामलों के आवेदनों पर प्रत्येक बैठक के दौरान जांचोंपरांत फैसले लिए गए. और संबंधित आश्रितों को स्थायी नौकरी देने की अनुशंसा की गयी. नतीजतन, जिला अंतर्गत विभिन्न कार्यालयों में ग्रुप सी सेवा वर्ग के तहत 82 तथा ग्रुप डी सेवा अंतर्गत 29 सहित कुल 111 आश्रित परिवारों के योग्य युवक – युवतियों को सरकारी नौकरी दी गयी है.
स्थापना कार्यालय की अनुशंसा से कईयों की जीवन में आई खुशियां
स्थापना कार्यालय में कार्यरत अभिषेक कारवां बताते हैं कि उनके पिता स्व. शिवप्रसाद कारवां चाईबासा नगर परिषद में कार्यरत थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई थी. उन्होंने नौकरी हेतु स्थापना कार्यालय में आवेदन किया, अनुशंसा के उपरांत उन्हें सरकारी नौकरी मिली. वह सपरिवार खुश है. समाहरणालय में ही सेवा दे रहे मो. सलमान जफर कहते हैं कि उनके पिता दिवंगत मो. असलम जो झारखण्ड राज्य ट्रांसपोर्ट निगम में कार्यरत थे, उनकी मृत्यु के पश्चात लम्बे संघर्ष के उपरांत उन्हें स्थायी नौकरी के लिए अनुशंसित किया गया. खेल विभाग में कार्यरत सुश्री मनीषा गोप, उपायुक्त कार्यालय में कार्यरत अनिल कुमार जैसे कई का जीवन आज खुशहाल है.
अनुकंपा समिति की अनुशंसा उपरांत मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों को दिया जाने वाला स्थायित्व उनका अधिकार है. जिस प्रकार जहां हम सब रहते हैं वह पूरा समाज परिवार का सदस्य होता है. यदि परिवार का कोई सदस्य हम सबों से बिछड़ जाए, तो समाज के सदस्यों का कर्तव्य बनता है कि हम उस सदस्य के आश्रितों का सहारा बने और उन्हें संबल प्रदान करें. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के प्रयास से जिला अनुकंपा समिति अपने इसी फर्ज़ को अदा करती है.