झारखंड में हेमन्त सरकार के नौ माह अब तक के भाजपा शासन के कार्यकाल पर भारी
मौजूदा दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा विचारधारा के अक्स तले कहीं गुम हो चुका है। यदि ऐसा नहीं है तो निश्चित रूप से संघ की असल विचारधारा यही हो सकती है जिस पर मौजूदा दौर में भाजपा अमल कर रही की है। तय तो स्वयंसेवकों को करना है। क्योंकि स्वयंसेवक अब जिस प्रकार भाजपा के पीछे-पीछे चलने को तैयार है, उनकी व्यूह रचना इससे इतर कुछ अतिरिक्त नहीं दर्शाता।
झारखंड में भाजपा पहली बार इतनी कमजोर दिखती है, जहाँ उनके पास सरकार को घेरने के लिए कोई मुद्दा शेष नहीं है। एक तरफ भाजपा अपनी नीतियों के आसरे खुद गरीबी के चरम तक देश को पहुंचाती है और झारखंड जैसे राज्य में गरीबी को मुद्दा बनाकर जिम्मेदार विपक्ष बन जाती है। और आरएसएस के थिंक टैंक भाजपा के बिछी चौसर पर सर झुका कर चलने को बेबस दिखती है। और मजबूरन जनता को बरगलाने का प्रयास की भूमिका में नजर आती हैं।
सामाजिक तौर पर संघ के थिंकटैंक अपने ही राज में खुद की विचारधारा का अनुसरण करने में फेल है। क्योंकि संघ को गुमान था कि जो राजनीतिक रास्ता वह तय करती थी भाजपा के लिए उस लकीर पर चलना मजबूरी होता था, लेकिन मौजूदा दौर में भाजपा ने संघ के भ्रम को तोड़ दिया है। क्योंकि पाकिस्तान से लेकर महंगाई तक और किसान से लेकर भ्रष्टाचार तक के मुद्दों तक भाजपा के भीतर संघ की वह सोच तो आखिरी साँसे भर रही है। ऐसे में हाथ जलाये बगैर संघ समाज में कौन सा प्रयोग करना चाहती है।
झारखंड के हेमंत सरकार के नौ माह के कार्यकाल पर एक दृष्टि
राज्य की पूर्वती डबल इजन सरकार राज्य को लूट-खसोट कर विदा तो हो गई, लेकिन पीछे छोड़ गयी गरीबी, मुफ़लिसी, भ्रम व फूट की राजनीति। विडम्बना देखिये खुद ही बेप्लानिंग लॉकडाउन करती है और खुद की उत्पन समस्या को एक्ट ऑफ़ गॉड बताती है। साथ ही झारखंड जैसे राज्य का हिस्सा हड़पती है और खुद ही पूछती है सरकार के नौ माह में क्या हुआ!
देशव्यापी लॉकडाउन की त्रासदी खुद गवाही देती दिखती है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार वैश्विक महामारी में कंगाल हो चुकी राजकोष के बावजूद जो कार्य व निर्णय लिये है, निश्चित रूप से राज्य के प्रति उनकी कर्तव्यनिष्ठा व दूरगामी सोच को दर्शाता है। राज्य को झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर, वन सम्पदा एवं समृद्धि को प्रतिबिंबित करने वाला प्रतीक चिन्ह देना। कोरोना महामारी के दौर में राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम बनाकर विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों से सम्पर्क स्थापित करना इसी का हिस्सा भर है।
झारखंड सरकार के 9 महीने के कार्यकाल का लेखा जोखा :
- पाँच लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक जो झारखण्ड के अन्य राज्यों व दुर्गम स्थानों में फंसे थे उसकी सकुशल वापसी ट्रेन से लेकर हर माध्यम से कराना निस्संदेह देश के समक्ष लोकतंत्र के मायने गढ़ते हैं।
- श्रमिकों के वापसी के साथ उनकी स्वास्थ्य जांच के साथ आवश्यकतानुसार क्वारंटाइन से लेकर खाद्यान्न तक उपलब्ध कराना कर्तव्यनिष्ठा का ही पाठ हो सकता है।
- प्रवासी समेत राज्य के मजदूरों के लिए मनरेगा एवं i. बिरसा हरित ग्राम योजना। ii. नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना iii. वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजनाओं के माध्यम से महामारी के दौर में रोजगार उपलब्ध करवाया जाना। साथ ही प्रवासी श्रमिकों के बैंक खातों में DBT माध्यम से लगभग 25 करोड़ की सहायता राशि का हस्तांतरण किया जाना राज्य के प्रति जिम्मेदारी है।
- राज्य के गरीबों को उस क्षेत्र के विधायक की अनुशंसा पर 1000 रुपये तथा राज्य के बाहर फंसे प्रवासी श्रमिकों को 2000 रुपयों की राशि हस्तांतरित करने हेतु राज्य के सभी विधायक को अधिकतम 25 लाख रुपये व्यय करने का अधिकार मुख्यमंत्री मानव सेवा योजना के अंतर्गत दिया गया।
- अब तक कुल 1.12.484 योजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है और 484735 योजनाओं पर कार्य जारी है।
- लॉकडाउन से प्रभावित राज्य असंगठित कामगारों, दिहाड़ी मजदूरों, गरीब निराश्रितों तथा असहाय को भुखमरी से बचाने के लिए “मुख्यमंत्री दीदी किचन योजना’ की शुरुआत की गई।
- “मुख्यमंत्री दाल-भात योजना के अंतर्गत पूर्व से संचालित 388 दाल-भात केन्द्रो की संख्या बढाकर 1700 कर दिए जाने के कारण लॉकडाउन के दौरान झारखण्ड वापस आने वाले प्रवासी श्रमिकों तथा अन्य जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन प्राप्त हुआ।
- लॉकडाउन के कारण संकट में आये परिवारों की मदद के लिए आकस्मिक राहत पैकेट जिसमें 2 किलोग्राम चूडा, 500 ग्राम गुड़ तथा 500 ग्राम चना सम्मिलित कर वितरण का निर्णय लिया गया। राँची जिला में 5000 पैकेट तथा अन्य 23 जिलों में प्रति जिला 2000 पैकेट का वितरण किया गया।
- वैसे परिवारों जिनके पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं थी और रघुवर शासन में रद्द कर दिए गए थे या जिन्होंने आवेदन किया था, उन तमाम परिवारों को दस किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। जिससे अब तक 13 लाख 36 हजार परिवारों को लाभान्वित हुए।
- “शहीद निर्मल महतो श्रमिक महासंघ नामक एक नई संस्था का गठन किया गया। यह संस्था श्रमिक साथियों को न केवल सुरक्षित एवं सतत रोजगार उपलब्ध करवाने उनके परिवार जनों के कल्याण के लिए काम भी कर रही है।
- मंत्रिपरिषद की प्रथम बैठक में ही महिलाओं तथा अवयस्कों के विरुद्ध होने वाले यौन उत्पीड़न एवं अन्य अपराधों पर त्वरित निर्णय हेतु 22 फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का निर्णय लिया गया।
- निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी स्थानीय लोगों के लिए कम से कम 75 प्रतिशत पद आरक्षित करने हेतु नियम बनाने का काम सरकार द्वारा जारी है।
- राज्य में सड़कों का जाल बिछाने के उद्देश्य से इस वर्ष में 3384 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है। जिसमें लगभग 900 कि०मी० पथ एवं 25 पुल का निर्माण कार्यसंभव होगा।
- सरकार द्वारा “सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोत्पाद सहकारी महासंघ’ के गठन का निर्णय लिया गया है। महासंघ के अन्तर्गत पंचायत स्तर पर प्राथमिक सहकारिता समिति का गठन कर प्राथमिक समितियों के माध्यम से कृषि उपकरण व बैंक का भी संचालन किया जायेगा।
- राज्य के किसानों को आय का सशक्त स्रोत उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने “मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। साथ ही पशुओं को विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाने के लिए पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, टीके व औषधि का उत्पादन केन्द्र एवं प्रयोगशाला का निर्माण कांके, रांची में 28.69 करोड़ रुपये की लागत जा रहा है।
- बिरसा मुंडा एयरपोर्ट विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत रनवे की लम्बाई 900 मीटर से बढ़ाकर 1200 मीटर करने का प्रस्ताव है।
- राज्य सरकार हो, कुडूक एवं मुण्डारी भाषा को 8वीं अनुसुची में शामिल करने हेतु प्रयासरत है।
- राज्य के ऐसे छात्र-छात्रा जो विदेश की प्रतिष्ठित संस्थान में स्नातकोत्तर (उच्च शिक्षा) की पढ़ाई करना चाहते है, उन्हें राज्य सरकार अनुदान उपलब्ध कराएगी।
- सरकार ने 5000 (पांच हजार ) विद्यालयों को शिक्षक छात्र अनुपात, प्रशिक्षक सहित खेल का मैदान, पुस्तकालय आदि सभी सुविधाओं से युक्त करते हुए “सोबरन मांझी आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है।
- नौनिहाल अपने घरों में सुरक्षित रहें और महामरी की इस घड़ी में उनका पठन-पाठन अवरुद्ध न हो, इसके लिए माह अप्रैल 2020 से ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था ‘डीजी-साथ कार्यक्रम के अन्तर्गत की जा रही है। राज्य के लगभग 14 लाख विद्यार्थी इस व्यवस्था से लाभाविन्त हो रहे है।
- झारखंडवासियों की भावना के अनुरूप पलामू मेडिकल कॉलेज का नाम मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल, हजारीबाग मेडिकल कॉलेज का नाम शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल, दुमका मेडिकल कॉलेज का नाम फुलो-झानो मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल तथा पाटलिपुत्रा मेडिकल कॉलेज एव अस्पताल का नाम परिवर्तित करते हुए शहिद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल किया गया।
- राज्य में युद्धस्तर पर कोरोना संक्रमितों की जांच हो सके इसके लिए रांची, धनबाद तथा जमशेदपुर में कार्यरत मेडिकल कॉलेज तथा इटकी आरोग्यशाला में आर०टी०पी०सी०आर० (NTPCR) प्रयोगशाला की शुरुआत की गई।
- जिला स्तर पर जांच की सुविधा सुनिश्चित करने हेतु जिला अस्पतालों में 97 TRUNET मशीनों की स्थापना की गई।
- शहरी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से “शहरी रोजगार गारंटी योजना” प्रारंभ की जा रही है। इसके तहत प्रत्येक इच्छुक परिवार को वर्ष भर में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है। काम नहीं दे पाने की स्थिति में उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा।
मसलन, झारखंड सरकार के नौ माह के कार्य को देख कर निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि झारखंड में अबतक के भाजपा शासन के कार्यकाल दूर-दूर तक नहीं टिकती हैं।