झारखण्ड : बिना खतियान के स्थानीय जांच के आधार पर बनेगा जाति प्रमाण पत्र. स्कूल स्तर पर बनाया जा रहा जाति प्रमाणपत्र. जीवन में केवल एक बार ही जाति प्रमाणपत्र बनाने से ग्रामीण इलाकों के आदिवासी बच्चों को स्कूली स्तर पर होगा सीधा फायदा. अब ST, SC, OBC को योजनाओं व स्कॉलरशिप में मिलेगा आरक्षण का लाभ…
रांची : झारखण्ड गरीब एवं अत्यंत पिछड़े राज्य की श्रेणी में आता है. यहां अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC), पिछड़े वर्ग (OBC) की संख्या अधिक है. इन्हें अपनी जाति प्रमाण पत्र बनाने में सबसे अधिक समस्याओं को झेलना पड़ता है. आसानी नहीं बनने के कारण इन वर्गों के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है. जिससे शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार द्वारा दी जानेवाली स्कॉलरशिप व कई सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ता है.
इस समस्या के मद्देनजर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा प्राथमिकता के साथ सकारात्मक कदम उठाया गया है, जाति प्रमाण पत्र बनाने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारीयों को निर्देश दिया गया है कि इसे शिघ्र बनाएं. साथ ही प्रमाण पत्र बनाने में आने वाली कई अडचनों को समाप्त कर दिया गया है. सरकार द्वारा उठाये गए कदम से अब राज्य में सुनियोजित तरीके से जाति प्रमाण पत्र बन पायेंगे. जिसका सीधा लाभ ST, SC, OBC वर्ग के बच्चों को होगा. विशेषकर वैसे ग्रामीण इलाके में रहने वाले बच्चों को ज्यादा फायदा होगा जिनके पास संसाधन की कमी है .
अब जीवनकाल में एक बार ही बनेगा प्रमाण पत्र. सीएम ने कहा-समस्या मुख्यालय तक नहीं पहुंचे
बीते माह झारखण्ड ट्राइब एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक में फैसला हुआ है कि अब से झारखण्ड के आदिवासियों का जीवन में अब एक ही बार ही जाति प्रमाणपत्र बनेगा. उन्हें बार-बार इसे बनाने की आवश्यकता नहीं होगी. सीएम ने स्पष्ट कहा था कि राज्य के लोग जाति प्रमाणपत्र के लिए परेशान हैं. ऐसे में जाति प्रमाणपत्र नहीं बनने की समस्या किसी भी कीमत पर राज्य या जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंचनी चाहिए. अफसर यह सुनिश्चित करें कि प्रमाणपत्र के लिए किसी को बार-बार कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े.
मुख्य सचिव का सभी डीसी को निर्देश – बिना खतियान के स्थानीय जांच के आधार पर बनाएं जाति प्रमाण पत्र
सीएम के निर्देश आते ही मुख्य सचिव द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी करने में आ रही परेशानियों को दूर करने का निर्देश दे दिया गया है. जिलों के डीसी से जाति प्रमाण पत्र के लंबित व निष्पादित मामलों की जानकारी मांगी गयी है. कहा गया है कि राज्य में बिना खतियान के स्थानीय जांच के आधार पर भी जाति प्रमाण पत्र बनाया जाए. अंचल कार्यालय से बनाये गये जाति प्रमाणपत्र के आधार पर अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन करेंगे. उस आवेदन के आधार पर अनुमंडलाधिकारी कार्यालय से जाति प्रमाणपत्र जारी किया जायेगा. खतियान नहीं होने या परिवार के अन्य सदस्यों का पूर्व से प्रमाण पत्र नहीं बनने की वजह से किसी का जाति प्रमाण पत्र लंबित नहीं रहना चाहिए.
राज्य में पहली बार स्कूली स्तर पर बनाया जा रहा है जाति प्रमाणपत्र
राज्य के बाहर के बच्चे गलत तरीके से जाति प्रमाणपत्र बनाकर फायदा ना ले पायें, इसलिए सीएम हेमन्त सोरेन ने बीते दिनों शीतकालीन सत्र के दौरान बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों में बच्चों का जाति प्रमाणपत्र बनेगा. इसे लेकर छह माह का विशेष अभियान चलाया जाएगा. इसके लिए सीएम ने 29 दिसम्बर की तारीख तय कर दी. यानी 29 दिसम्बर से राज्य के सभी स्कूलों में ही जाति प्रमाण पत्र बनाने का काम शुरू हुआ है. ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है कि अब न केवल सरकारी बल्कि निजी स्कूलों में सभी कक्षाओं के बच्चों का जाति प्रमाणपत्र बनाया जा रहा है.
रांची में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच स्कूलों का चयन, हर जिलों में भी प्रमाण पत्र बनाने का काम शुरू
स्कूलों में जाति प्रमाणपत्र बनाने के सीएम के निर्देश के बाद हर जिलों में स्कूलों का पायटल प्रोजेक्ट के तहत चयन कर लिया गया है. रांची की बात करें, तो पांच स्कूलों में कैंप लगाकर छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाणपत्र बनाने का काम 29 दिसम्बर से शुरू हो गया है. पहले चरण में सफलता मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट में स्कूलों की संख्या बढ़ायी जाएगी. इन स्कूलों में राजकीयकृत मध्य विद्यालय पांड्रा, जिला स्कूल, उत्क्रमित उच्च विद्यालय हटिया, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय मांडर और प्लस टू उच्च विद्यालय उचरी मांडर शामिल हैं.