हेमन्त सरकार : 11 नवंबर का दिन फिर एक बार बनेगा ऐतिहासिक

हेमन्त शासन में झारखण्ड के लिए नवम्बर माह खास. झारखण्ड स्थापना दिवस. सरकार आपके द्वार जन कार्यक्रम का समापन दिवस. आदिवासी सरना धर्म कोड पारित. 1932 वर्ष खतियान स्थानीयता का विधेयक भी होगा पारित.  

रांची : झारखण्ड व झारखंडवासियों के लिए नवंबर का महीना ऐतिहासिक होता है. इस माह में झारखण्ड को लंबे संघर्ष का परिणाम हासिल हुआ था. यहां के लोगों को उनका अलग झारखण्ड प्राप्त हुआ था. इस माह का महत्व केवल झारखंडवासी ही समझ सकता है. मसलन, हेमन्त सरकार के दौर इस माह में झारखण्ड वासियों को उनका हक दिलाने की कवायद स्पष्ट रूप से देखी जा रही है. 

ज्ञात हो, इस माह में ‘सरकार आपके द्वार’ जैसे जन कार्यक्रम का संचालन व 14 नवम्बर को समापन की प्रथा शुरु हुई है. साथ ही 11 नवंबर को विशेष सत्र बुला कर राज्य वासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की भी प्रथा शुरु हुई है. चूंकि राज्य में बीजेपी की शाख बाहरीराजनीति पर स्थापित रही है. मसलन, हेमन्त सरकार के पग को रकने में बीजेपी सामंवादी राजनीति की भी पराकाष्ठा स्पष्ट दिखती है. 

हेमन्त सरकार : 11 नवंबर का दिन फिर एक बार बनेगा ऐतिहासिक

झारखण्ड : 11 नवम्बर को विशेष सत्र के माध्यम से राज्य को अधिकार देने की शुरुआत 

ज्ञात हो, दो वर्ष पहले 11 नवम्बर को, राज्य के आदिवासियों की पहचान को संरक्षण देने के मद्देनजर सरना आदिवासी धर्म कोड, विशेष सत्र के माध्यम से पारित कर केंद्र को भेज कर इस दिवस व माह को ऐतिहासिक बनाया गया था. हालांकि केंद्र द्वारा इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. केंद्र की मंशा को समझी जा सकती है लेकिन राज्य के बीजेपी सांसद की इस पर चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करते हैं. 

वर्तमान यानि 2022, 11 नवंबर के दिनही  हेमन्त सरकार द्वारा फिर एक बार विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. ज्ञात हो इस दिन झारखण्ड को 20 वर्षों के बाद उसका सबसे बड़ा अधिकार, 1932 वर्ष खतियान आधारित स्थानीयता का विधेयक पारित कराया जाएगा. साथ ही, राज्य के ओबीसी, एसटी और एससी वर्ग के लिए आरक्षण में वृद्धि देने वाल विधेयक भी विधानसभा से पारित करने का मानवीय प्रयास किया जाएगा. 

बिना जनगणना के EWS आरक्षण पारित कर देश को बांटने का फिर हुआ प्रयास 

ज्ञात हो, देश में, मौजूदा सामंतवाद व्यवस्था में एक तरफ गरीबों की जनगणना कराए बिना, वोट की राजनीति के अक्स में EWS आरक्षण पारित किया गया. और दूसरी तरफ आरक्षित जातियों के आरक्षण दायरा बिना बढ़ाए दूसरी जातियों को उसमें शामिल करने का प्रयास हुआ है. 

पहला सवाल – एससी, एसटी व ओबीसी को EWS आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिला? दूसरा आरक्षित जातियों में जब दूसरे जातियों को शामिल करने का प्रयास हो रहा है तो आरक्षण के आँकड़े में वृद्धि करने की बात क्यों नहीं हो रही है? जाहिर है तमाम कवायद देश को फिर एक बार आग के हवाले करने का प्रयास भर है.

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