झारखण्ड : सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में कोरोना संकट से लेकर बालासोर ट्रेन हादसा तक देश व राज्य सेवा में तत्पर दिखी है. हेमन्त शासन हमेशा ही देश-राज्य की जनता की परवाह करती दिखी है.
रांची : कोरोना से लेकर बालासोर ट्रेन हादसा तक में मोदी शासन की लचर व्यवस्था व अकुशलता की स्पष्ट तस्वीर देश के समक्ष पेश की है. लेकिन, वहीं ऐसे परिस्थियों के बीच भी हेमन्त शासन में झारखण्ड का देश व राज्य सेवा में अहम भागीदारी का पहलू भी सामने आया है. जो झारखण्ड को गौरवान्वित करता है. ज्ञात में, कोरोना काल में जब मोदी शासन बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त थी. तब झारखण्ड शासन एक तरफ देश को ऑक्सीजन उपलब्ध करा था और अपने प्रवासी मजदूरों को, अपने विद्यार्थियों व बेटियों को झारखण्ड वापस ला रहा था.
साथ ही अल्प संसाधन के बीच राज्य की जनता व यहाँ फंसे अन्य राज्यों के लोगों का पेट भर रहा था. अपने खिलाड़ियों की ट्रेनिंग करवा रहा था. और बेहतर प्रबंधन कर राज्य को कोरोना के संकट से बाहर निकाल रहा था. वर्तमान में घटी बालासोर ट्रेन हादसा में भी झारखण्ड का यही रूप दिखा. वह क्षमता के अनुरूप मददगार की भूमिका में दिखा. ज्ञात हो सीएम हेमन्त सोरेन के निर्देश पर तत्काल श्रम सचिव के नेतृत्व में अधिकारियों और डॉक्टर की टीम बालासोर घटनास्थल पहुँची और हताहत यात्रियों को अपनी सेवा दी है.
बालासोर ट्रेन हादसे में हताहत सभी यात्रियों को चिकत्सीय मदद पहुंचाई और झारखण्ड के पीड़ितों की खोजबीन की. इलाजरत घायलों से अस्पताल में मुलाकात कर उनकी स्थिति जानी. गोड्डा जिले के 4 चार घायलों को डिस्चार्ज करा उनके आवास पहुंचाए. गोड्डा जिले के ही 2 मृत यात्रियों की दुखद ख़बर के साथ पार्थिव शरीर को उनके घर भेजने की व्यवस्था की. सभी घायलों से निरंतर संपर्क स्थापित कर राज्य सरकार उन्हें मदद भी पहुंचा रही है.
लेकिन, कई राज्यों के मदद के बीच केंद्र सरकार का केवल अपनी ही पीठ थपथापाना और झारखण्ड के बीजेपी के नेताओं का संस्थानों के जाँच के आसरे ऐसे वक़्त में भी हेमन्त सरकार के पैर रोकने का प्रयास करना अशोभनीय और अनैतिक है. साथ ही केंद्र का न कोरोना काल में ना अब झारखण्ड का नाम ना लेना न केवल दुखद है उसके छोटे सोच को भी प्रदर्शित करता है .